दाड़ला/शिमला। प्रदेश की बड़ी सीमेंट कंपनी अंबुजा सीमेंट के जिला सोलन के दाड़लाघाट में लगे सीमेंट कारखाने को 600 के करीब मजदूरों ने हड़ताल कर बंद दिया है। कारखाने में पिछले छह दिनों से हड़ताल चल रही है,ऐसे में वीरभद्र सिंह सरकार ,उनका जिला व तहसील प्रशासन तो मौन है ही, अर्की कांग्रेस व अर्की भाजपा व स्थानीय विधायक ने भी जुबान बंद कर रखी है। इससे स्थानीय प्रशासन के साथ -साथ स्थानीय भाजपा व कांग्रेस सवालों में आ गई है। इस सीमेंट कारखाने में अर्की क्षेत्र के सैंकड़ों लोग काम करते है। ऐसे में अगर भाजपा व कांग्रेस के नेता उनका शोषण होने दें तो कई सवाल खड़े होते ही है। इसी तरह की स्थिति बागा में जेपी केसीमेंट कारखाने में भी रहती है। वहां भी जब ऐसी स्थिति आती है तो स्थानीय कांग्रेस व भाजपा नेताओं की जुबान बंद हो जाती है।
उधर,आज हड़ताल कर रहे इन मजदूरों का साथ देने के लिए अब तक हड़ताल से दूर रही बीएमएस ने भी शिरक्त कर दी है। बीएमएस के यहां पर करीब 200 मजदूर है जोहड़ताल में शामिल हुए। इन मजदूरों ने कंपनी प्रबंधन की रणनीति को भांपते हुए कहा कि वो मजदूरों से वार्ता न कर उकसाने का काम कर रही है ताकि मजदूरो व पुलिस को आमने-सामने लाया जा सके ।इसी तरह प्रशासन भी मौन है।
स्टेट सीटू के सलाहकार प्रेम चंदेल ने कहा कि अंबुजा प्रबंधन की इन रणनीतियों का मुंह तोड़ जवाब दिया जाएगा और अगर मांगे नहीं मानी गई तो कंपनी गेट से लेकर एनएच तक प्रदर्शन किया जाएगा और प्रशासन व अफसरों के कार्यालयां के आगे धरने प्रदर्शन किए जाएंगे।
उन्होंने अंबुजा प्रबंधन पर आरोप लगाया कि जो लगातार 240 दिनों से ज्यादा काम कर रहे है कंपनी उन्हें देश के श्रम कानूनों के तहत नियमित नहीं कर रही है। और न हीउन्हेंसमान मजदूरी,छुटिटयां व अन्य सुविधाएं दे रही है। ये मजदूर चाहे ठेके पर नियुक्त किए गए हो या कंपनी ने नियुक्ति की हो,सभी को नियमित किया जाना चाहिए। चदेल ने कहा कि अंबुजा प्रबंधन मजदूरों को गुमराह कर रहा है।अंबुजा सीमेंट कंपनी वर्कर्ज यूनियन के प्रधन लच्छी राम ने कहा कि यहां पर मजदूरों से हो रहे शोषण का ब्योरा सरकार व प्रशासन को हर स्तर पर दिया गया है लेकिन कहीं कुछ नहीं हुआ। उन्होंने एलान किया कि अगर उनकी मांगों कोनजरअंदाज किया गया तो आंदोलन को उ ग्र कर देगे।
यूनियन के प्रेस सचिव देवराज शर्मा ने कहा कि कारखाने में सैंकड़ों मजदूर 240 दिनों से ज्याद ही नहीं कई सालों से काम कर रहे है और इनहें कुल पगार 8हजार रुपए मिल रही है जबकि नियमित मजदूरों की पगार 35 हजार रुपए से ज्यादा है। जबकि दोनों वर्गो के मजदूर काम एक सा कर रहे है।उन्होंने कहा कि उनकी यूनियन ने एसडीएम अर्की को दो महीने पहले चिटठी लिख कर अवगत करा दिया था ।एसडीएम ने प्रबंधन से जवाब भी तलब किया लेकिन प्रबंधन ने जो जवाब दिया वो चौंकाने वाला था।
प्रेम चंदेल ने कहा कि अभी तक मजदूरों के पक्ष में न तो स्थानीय विधायक गोंबिंद शर्मा आए है और न ही भाजपा व कांग्रेस के बाकी नेता उनके बीच आए है। उन्होंने कहा कि किसान सभा के नेता रामकिशन शर्मा ने मजदूरों के आंदोलन को समर्थन दिया है। रामकिशन भी वामपंथी नेता है व दाड़लाघाट में अंबुजा प्रबंधन की ज्यादतियों के खिलाफ संघर्ष करते रहे हैं। लेकिन सवाल वीरभद्र सिंह,उनकी सरकार,उनके प्रशासन,उनके उद्योग मंत्री ,व मुख्य धारा की राजनीतिक पार्टियों कांग्रेस व भाजपा के रवैये को लेकर है। यहां उल्लेखनीय है कि अंबुजा सीमेंट भाजपा नेता शांता कुमार, प्रेम कुमर धूमल के अलावा मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की लाडली कंपनियों में शुमार रही है।
अंबुजा कंपनी में अपने हकों के लिए आज 2015 के आखिर में भी मजदूरों को अपनी लड़ाई लड पड़ रही है।मजदूरों के इस संघर्ष की बानगी देखें इन तस्वीरों में-:
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