नई दिल्ली /शिमला। दिल्ली हाईकोर्ट में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंंहंं के मनी लाड्रिंग मामले में सीबीआई की ओर से दलील दी गई हैंं कि सीबीआई ने दूसरी प्रारंभिक जांच दर्ज कर आय से अधिक संपति के सबूूत जुटाएं हैं और चालान तैयार किया है।दिल्ली हाईकोर्ट में मंगलवार को भी सीबीआई की ओर से दलीलें जारी रहीं। सीबीआई ने कहा कि जांच एजेंसी को गहन छनबीन के बाद कई सबूत मिले। जिसके बाद एफआईआर दर्ज की गई।
उधर,पांच दिसंबर को कई महीनों से तिहाड़ जेल में बंद वीरभद्र सिंह के एलआईसी एजेंट आनंद चौहान ने मामले की सुनवाई कर रहे दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस विपन सांघी को केस की सुनवाई से बदलने की मांग कर सनसनी पैदा कर दी है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस टीएस ठाकुर व दिल्ली हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जी रोहिणी को आनंद चौहान के भतीजे सौरव चौहान ने आंनद चौहान की ओर से चिटठी लिखी है व इस चिटठी को मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने एंडोरस कर उन्होंने ने भी दो पेज की चिटठी लिखी हैं।चिटठी में आनंद चौहन ने कई सवाल उठाए हैं व कहा है कि 8 जुलाई से जेल में हैं और जस्टिस सांघी उनके मामले में लंबी लंबी डेटें दे रहे हैं। उन्होंने मोदी सरकार के सबसे टॉप वकील मुकुल रोहतगी पर भी अंगुली उठाई हैं व कहा कि वो इस मामले में बेवजह रुचि ले रहे हैं व जस्टिस सांघी जो कि इस मामले में उनकी जमानत याचिका की दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई कर रहे हैं ,वो उनके जीजा हैं। उन्होंने कहा कि जब सीबीआई की ओर से मुकुल रोहतगी सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए थे तो उन्होंने बदालत मं कहा था कि हिमाचल हाईकोोर्टके जिस जज ने वीरभद्र सिंह को राहत दी है ,वो वीरभद्र सिंह के कभी वकील रह चुके हैं। जो कि गलत था। बाद में उन्होंंने इस दलील को वापस ले लिया था।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस टी एस ठाकुर को लिखी चिटठी में चौहाान की ओर से कहा गया हैं कि जस्टिस सांघी का रूझान सीबीआई की ओर ज्यादा है।
यही नहीं चौहान वीरभद्र सिंह को लेकर भी सवाल उठाए हैं कि वो इस मसले पर मौन रहकर अन्याय के साथ खड़े हो गए हैं। वीरभद्र न जाने क्यों मौन हैं। जबकि उनका परिवार बेवजह परेशानी झेल रहा हैं और दिल्ली हाईकोर्ट ने अब उनकी जमानत अर्जी पर जनवरी 2017 में सुनवाई रखी है।ऐसे में उन्हें जस्टिस सांघी पर संदेह हो रहा है।
आनंद चौहान की ओर से उनके भतीजे सौरव चौहान ने जो चिटठी लिखी वो ये हैं-:
चिटठी में दोनों ने मोदी सरकार के सबसे बड़े वकील मुकुल रोहतगी व दिल्ली हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई कर रहे जज जस्टिस विपन सांघी के बीच जीजा-साले की रिश्तेदारी निकाल कर कहा है कि मुकुल रोहतगी वीरभद्र सिंह के खिलाफ पूर्व की धूमल सरकार में किसी मामले में कानूनी राय दे चुके हैं। इस मामले में वो अदालत से बरी हो चुके हैं। ऐसे में वो उनके मामले को लेकर पक्षपात पूर्ण रवैया अपना रहे है।
आनंद चौहान की ओर से उनके भतीजे सौरव चौहान की ओर से लिखी चिटठी जिसे उन्होंने वीरभद्र सिंह को भी भेजा है,पर वीरभद्र सिंह ने कहा कि यह चिटठी पढ़कर उनकी आत्मा जाग गई व वो भी आनंद चौहान की दलीलों से सहमत हैं ऐसे में जस्टिस सांघी को बदल देना चाहिए। वीरभद्र सिंह ने लिखा है कि वो छह बार हिमाचल के मुख्यमंत्री रह चुके हैं।उन्होंने कहा कि प्रशांत भूषण ने उनके खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की कि मैंने बतौर केंद्रीय स्टील मंत्री रहते रिश्वत खाई है। इस पर सीबीआई व आयकर विभाग ने सील्ड कवर में अपनी स्टेटस रिपोर्ट अदालत में पेश की। उनके मांगने पर भी ये रिपोर्टें उन्हें नहीं दी गई हैं। इन्हीं मामलोंं को लेकर सीबीआई ने दूसरी प्रारंभिक जांच दर्ज कर दी और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दी। जबकि अदालत ने एफआईआर दर्ज करने के लिए कभी नहीं कहा। वीरभद्र सिंह ने इस चिटठी में आनंद चौहान की ओर से उठाए गए बिंंदुओं का भी जिक्र किया हैं।विस्तृत विवरण के लिए पूरी चिटठी पढ़ें।
वीरभद्र सिंह की ओर से लिखी गई चिटठी को यहां पढ़े-:
यह अलग मसला है कि चिटठी लिखने से जज नहीं बदला करते । इसके लिए वाकायदा याचिका दायर करनी पड़ती है। हो सकता है कि इन दोनों ने मिलकर याचिका दायर करने के लिए आधार तैयार करने की कोशिश की हो।उधर दिल्ली हाईकोर्ट में इस मामले में सुनवाई जारी है। आनंद चौहान अभी भी जेल में हैं ।
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