शिमला। प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन भाजपा की ओर से लाए गए स्थगनादेश प्रस्ताव को नामंजूर करने पर विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ। भाजपा विधायकों ने सरकार पर बारिश से हुए नुकसान को गंभीरता से न लेने का आरोप लगाते हुए सदन की कार्यवाही नहीं चलने दी व जमकर नारेबाजी की। इस बीच भारी शोर -शराबे के बीच प्रश्नकाल चलता रहा ।
स्पीकर के प्रश्नकाल शुरू करने से पहले भाजपा विधायक सुरेश भारदवाज ने स्पीकर से प्रदेश में बारिश से मची तबाही पर चर्चा करने के लिए उनकी ओर से दिए स्थगनादेश का नोटिस पर व्यवस्था देने की मांग की। भारदवाज ने कहा कि इसे लेकर उन्होंने व भाजपा विधायक रविंद्र सिंह रवि,महेंद्र सिंह ठाकुर व सतपाल सत्ती ने नियम 66 के तहत चर्चा कराने के लिए नोटिस दे रखा है।
इस पर विधानसभा अध्यक्ष बृज बिहारी बुटेल ने कहा कि उन्हें नोटिस मिल गया है लेकिन उन्होंने भाजपा विधायकों की मांग तकनीकी आधार पर नामंजूर कर दी।उन्होंने कहा कि इस मसले पर सरकार संजीदा है व मुख्यमंत्री ने खुद इस मसले पर वक्तवय देना है।ये आज की कार्यवाही में शामिल है।
भाजपा विधायक अध्यक्ष के जवाब से संतुष्ट नहीं हुए व वो अपनी -अपनी सीटों पर खड़े हो गए व अध्यक्ष से जल्दी व्यवस्था देने की मांग की।स्पीकर ने विरोध कर रहे भाजपा सदस्यों को संतुष्ट करने के लिए मुख्यमंत्री से अपना वक्तव्य प्रश्नकाल से पहले पेश करने को कहा ।इसका भाजपा विधायकों ने जमकर विरोध किया और मुख्यमंत्री से वक्तव्य पढ़ने नहीं दिया।
प्रतिपक्ष के नेता प्रेमकुमार धूमल ने सदन में कहा कि जब मुख्यमंत्री खुद सदन में वक्तव्य देना चाहते है तो सदस्यों की मांग को दरकिनार करने का कोई कारण नजर नहीं आता।स्पीकर को चर्चा कराने की मांग को मंजूर करना चाहिए।
धूमल ने कहा कि मुख्यमंत्री नेनियम 130 के तहत वक्तव्य देना है इस नियम के तहत सदस्य को चर्चा में भाग लेने का प्रावधान नहीं है। ऐसे में सरकार और विपक्ष की ओर से इस गंभीर मसले पर चर्चा करने को लेकर कोई आपति नहीं है।इसपर प्रश्नकाल के बाद चर्चा की जा सकती है।
अध्यक्ष ने कहा कि वो विपक्ष की दलील पर चर्चा की इजाजत नहीं दे सकते क्योंकि इस नोटिस को तकनीकी आधार पर नामंजूर किया गया है।
इस पर भाजपा विधायकों ने जमकर नारेबाजी की व कहा कि सरकार बारिश से प्रभावित लोगों को मुआवजा देने में विफल रही है।
बाद में पत्रकारों से बातचीत करते हुए में विपक्ष के नेता प्रेम कुमार धूमल ने सरकार पर आरोप लगाया कि विपक्ष को जनता के मतलब के मसलों पर सदन में आवाज उठाने से रोका जा रहा है।
उन्होंने कहा कि सरकार लोगों के जख्मों पर मरहम लगाने में नाकाम रही है। यही नहीं सरकार केंद्र से एक पाई राहत भी नहीं ला पाई है।
उधर,मीडिया से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने सदन की कार्यवाही में दखल देने के लिए विपक्ष के कदम को निदंनीय करार दिया।उन्होंने कहा कि विपक्ष ने अध्यक्ष की व्यवस्था का अनादर किया है। मामला विपक्ष और स्पीकर के बीच का था।सरकार का इसमे कोई लेना देना ही नहींथा।
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