शिमला।प्रदेश में वनों के संरक्षण के लिए लोगों को जागरूक करने के उददेश्य से हिमाचल प्रदेश के मशहूर संगीतकारों और लोक गायकों को शामिल करने की एक अनूठी पहल है। लोक कलाकारों ने मौसम परिवर्तन का जंगलों पर प्रभाव विषय पर आधारित 6 गीतों की ‘अरण्य ध्वनि’ (जंगलों की आवाजें) शीर्षक से एक पारम्परिक लोकगीतों की एलबम तैयार की है। इस एलबम को फारेस्ट प्लस द्वारा रामपुर बुशैहर में पदम राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला के प्रांगण में यूएसए के वन विशेषज्ञ एवं फारेस्ट प्लस के मुख्यिा क्रिस्टोफर कर्नल द्वारा जारी किया ।
यू.एस.ऐड़ की संस्था फारेस्ट प्लस द्वारा भारत-अमेरीका द्विपक्षीय सहयोग से भारत में वन भूमि के सही उपयोग व वन क्षेत्र को विकसित करने के लिए चलाया जा रहा यह एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम है। यह कार्यक्रम केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं मौसम बदलाव मंत्रालय के सहयोग से चलाया जा रहा है ताकि भारत में घटते वन्य क्षेत्रों के कारण पर्यावरण में आ रहे बदलाव को रोकने के लिए कारगर योजना बनाई जा सके। इसके साथ ही कार्यक्रम के तहत मौसम बदलाव में कमी लाने के लिए अन्तर्राष्टीय मैकेनिजम का उपयोग कर लोगों के जीवन को स्तरोन्नत करना भी शामिल है।
बढ़ती जनसंख्या व विभिन्न विकासात्मक गतिविधियों के कारण राज्य के संसाधनों पर लगातार दबाव बढ़ रहा है, जिसके कारण वन क्षेत्र में कमी आई है। इस संगीत एलबम का मुख्य उद्देश्य लोगों में वन संरक्षण के प्रति जागरूकता लाना है। इसके साथ ही मौसम चक्र में हो रहे परिर्वतन के कारण प्रकृति में आ रहे बदलाव व प्रदेश में वन प्रबन्धन की जानकारी देना भी है।
प्रदेश के पारम्परिक लोक गीतों में भी वन संरक्षण के महत्व को दर्शाया गया है। इस एलबम में लोगों से आहवान किया गया है कि वे वन व प्राकृतिक संपदाओं के संरक्षण के लिए मिल जुलकर प्रयास करें। इसी के मददेनजर यू.एस.ऐड. के वन विशेषज्ञ सोमित्री दास संयुक्त राज्य अमेरिका की अन्तर्राष्ट्रीय विकास एजेंसी, फोरेस्ट प्लस के मुखिया डा. क्रिस्टोफर कर्नन, फारेस्ट प्लस के अन्य साथियों एवं संयुक्त वन प्रबन्धन समिति सदस्यों व स्कूली विद्यार्थियों ने मिलकर इस एलबम को जारी किया है।
इस एलबम में प्रदेश के लोक गायकों कुलदीप शर्मा, रोशनी शर्मा, हेम चंद हरनोट, मोहन गुलेरिया और बिमला चैहान ने अपने स्वर दिए हैं और रामपुर क्षेत्र के 20 गांवों के सैंकड़ों वन समिति सदस्यों सहित एक हजार स्कूली विद्यार्थियों व सामुदायिक सदस्यों ने इसमें भाग लिया है।
सोमित्री दास ने उम्मीद जताई है कि यह म्यूजिक एलबम मौसम बदलाव व वनों के सत्त प्रबन्धन के संदेश को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने में सहायक होगी। उन्होंने बताया कि फारेस्ट प्लस द्वारा देवभूमि डिजिटल रिकार्डिंग स्टूडियो शिमला के सहयोग से तैयार किए गए इस एलबम के लोकगीतों का प्रसारण आकाशवाणी शिमला से भी किया जाएगा ताकि इन गीतों के माध्यम से अधिक से अधिक लोगों में वन संरक्षण बारे संदेश पहुंचाया जा सके।
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