शिमला।कोटखाई में दसवीं की छात्रा के साथ हुए गैंगरेप,मर्डर व इस मामले व इस मामले में अरेस्ट किए गए आरोपी सूरज के पुलिस लॉक अप में कत्ल किए जाने के मामले में एसआईटी प्रमुख हजूर एस जैदी, डीएसपी मनोज जोशी,एसएचओ राजेंद्र सिंह, एएसआई दीप चंद समेत आठ पुलिस अफसरों व कर्मियों को गिरफ्तार कर लिया हैं। रिपोर्टर्ज आइ से बात करते हुए सीबीआई प्रवक्ता आर के गौड़ ने कहा कि इनके अलावा हैंड कांस्टेबल व कांस्टेबल को भी गिरफ्तार किया गया हैं।प्रदेश के बड़े अफसरों का इस तरह सीबीआई की ओर से अरेस्ट कर दिया जाना प्रदेश की वीरभद्र सिंह सरकार के लिए बड़ा झटका हैं।हैड कास्टेबलों व कांस्टेबलों में सुरत सिंह, मोहन लाल, रफीक अली और रंजीत सिंह शामिल हैं।
एसआईटी के बाकीसदस्यों एसएसपी भजन नेगी, डीएसपी रतन सिंह आदी को अरेस्ट नहीं किया गया हैं। रतन सिंह नेगी 12 जुलाई को एसआईटी में शामिल किए गए थे।
याद रहे है कि सीबीआई ने बीते दिनों हिमाचल हाईकोर्ट में कहा था कि एसआईटी के कई अफसर सीबीआई जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं।इसके बाद एसआईटी के ये सदस्य सीबीआई के समक्ष अरेस्ट पेश हुए थे। सीबीआई एसआईटी के सदस्यों से कई दौर की पूछताछ कर चुकी हैं।लेकिन कई कडि़यां जुड़ नहीं रही थी।
एसआइटी सदस्यों के अरेस्ट होने के बाद अब गुडिया के गैंगरेप व मर्डर कांड से पर्दा उठनेका रास्ता साफ हो गया हैं। सीबीआई का मानना है कि पुलिस लॉकअप में जिस आरोपी सूरज का कत्ल हुआ था, उसमें पुलिस की भूमिका संदिग्ध हैं और पुलिस से ही गुडिया के गैंगरेप व कत्ल पर से पर्दा उठा पाएगा।पुलिस को बहुत कुछ मालूम हैं।इसके अलावा फारेसिंक रिपोर्ट में भी बहुत कुछ मिला होगा।
याद रहे कि 4 जुलाई को कोटखाई में सरकारी स्कूल की दसवीं की छात्रा गुडिया (बदला नाम) अपने स्कूल से अकेली घर लौटी थी व उसके बाद वो गायब हो गई और छह जुलाई को उसकी लाश स्कूल के समीप ही नग्नावस्था में मिली थी। जिससेसारेइलाके में हड़कंप मच गया था। पुलिस ने जांच शुरू की और पुलिस पर असली आरोपियोंकोबचानेकेआरोप लग गए। इसे देखतेहुए 10 जुलाई को वीरभद्र सिंह सरकार ने आईजी हजूर जैदी की कमान में एसआईटी का गठन कर दिया। एसआईटी ने मामले में तीन दिनों के भीतर छह लोगों को अरेस्ट कर मामले को सुलझाने का दावा किया।लेकिन पुलिस के दावे किसी के गले के नीचे नहीं उतरे और अपर शिमला में गुस्साए व आहत लोग सड़कों पर उतर आए। थाने में तोड़ फोड़ हुई व तत्कालीन एसपी शिमला डोडुप वांग्शुक नेगी के साथ हाथापाई भी हुई। राजधानी शिमला में धारा 144 तोउ़कर लोग सड़कोंपर आ गए। सरकार ने स्थिति को देखते हुए मामले को सीबीआई को रेफर कर दिया।बाद में सरकार ने हाईकोर्ट से भी आग्रह किया मामले को सीबीआई को दे दिया जाए।हाईकोर्ट ने 19 जुलाई को मामले की सीबीआई जांच कराने के आदेश दे दिए ।सीबीआई ने 23 जुलाई को केस अपने हाथ में लिया व अब तक सीबीआई अदालत में तीन स्टेटस रिपोर्ट जमा करा चुकी हैं।
एसआईटी पर ये इल्जाम था कि उसने नेपाली व गढ़वालियों को अरेस्ट कर लिया व असली मुलजिमों को छोड़ दिया। करोड़ों के लेने देन के भी इल्जाम लगे। इसके अलावा ड्रग्स धंधें से भी इस मामले को जोड़ा जा रहा हैं।जो असली आरोपी हैं वो इलाके के रसूखदार घरों से बताए जा रहे हैं। इस मामले में न्यायिक हिरासत में एक रसूखदार परिवार से जुड़े आरोपी आशीष चौहान ने हाईकोर्ट में जमानत की अर्जी भी दाखिल कर रखी हैं और उसकी अर्जी पर सुनवाई जसिटस संदीप शर्मा की अदालत छह सितंबर को करेगी।
(0)