शिमला।मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की ओर से अपनी ही कांग्रेस पार्टी के खिलाफ की जा रही मैराथन बयानबाजियों ने पार्टी के भीतर उथल पुथल मचा दी है। पहले कांग्रेस पार्टी के दो सचिवों ने खफा होकर अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उसके दो दिन बाद पांच और सचिवाें ने मुख्यमंत्री के कामकाज और उनके पुत्र विक्रमादित्य को लेकर अंगुली उठा दी है। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह व हिमाचल कांग्रेस पार्टी के बीच गैंगवार की सी स्थिति बन गई है।इस बीच कांग्रेस की राष्ट्रीय मुुखिया सोनिया गांधी व उनके लाडले राहुल गांधी हिमाचल कांग्रेस में मचे इस गैंगवार से बेखबर है।
भ्रष्टाचार के मामलों में फंसे मुख्यमंत्री के लिए अपनी ही पार्टी के खिलाफ मुखर होना कई सवाल व उनकी आगामी रणनीति का संकेत देता है।पांच सचिवों ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खूू को चिटठी लिखकर पार्टी के भीतर के अंतर्विरोधों को जगजाहिर कर दिया है। जिस सरकार का मुख्यमंत्री ही भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरा हो और पार्टी अध्यक्ष की अथारिटी को ही चुनौती दे दें ऐसे में आगामी विधाानसभा चुनावों में पार्टी का क्या हश्र होगा इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है।
स्टेट की राजनीति में सुक्खू का कद वैसे भी बड़ा नहीं है ऐसे में प्रदेश का मुख्यमंत्री पार्टी अध्यक्ष व उसकी टीम पर हमला बोल दें तो अध्यक्ष का कद और भी बौना हो जाता है।बहरहाल वीरभद्र सिंह ने ब्यानबाजी कर सुक्खू की स्थिति दयनीय बना दी है और अब इंतजार इस बात का है कि वो अपनी टीम को बचा भी पाएंंगे या उनके हाथ से पार्टी निकल जाएगी।जिस तरह से 83 साल के मुख्यमंत्री ने सुक्खू की कांग्रेस पर हमला बोला है ,उससे साफ है कि सुक्खू की कुर्सी खतरे में है।
हालांकि उन्होंने सचिवों से चिटिठयां तो लिखाई हैं लेकिन आगे क्या होगा यह देखना है। यहां पढ़े कांग्रेस के पांच सचिवों की ओर से मुख्यमंत्री व उनके बेटे विक्रमादित्य को लेकर लिखी ये चिटठी-:
सेवा में,
माननीय अध्यक्ष महोदय,
हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी
राजीव भवन शिमला,
मान्यवर
हम हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव मनजीत ठाकुर (पूर्व जिला परिषद सदस्य व बीडीसी), अमिंद्र ठाकुर (पूर्व बीडीसी चेयरमैन), रितेश कपरेट (पूर्व निर्वाचित प्रदेश महासचिव), महेश शर्मा (पूर्व अध्यक्ष) व दीपक राठौर ने वरिष्ठ नेता द्वारा पार्टी सचिवों व कांग्रेस पर बार-बार की जा रही अनावश्यक टिप्पणियों को पत्र लिखकर आपके संज्ञान में लाना चाहते हैं। हमें उनकी टिप्पणियों से गहरा आघात लगा है। हम इस पत्र के माध्यम से आपको अपने मन की पीड़ा बता रहे हैं।
हम माननीय सुखविंदर सिंह सुक्खू जी का ध्यान कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं की ओर आकर्षित करना चाहते हैं।
जो इस प्रकार हैं।
1. हमें प्रदेश कांग्रेस कमेटी का सचिव बने तीन साल हो चुके हैं। प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं द्वारा आज इसे सार्वजनिक मंचों पर क्यों उठाया जा रहा है। सभी वरिष्ठ नेताओं को पार्टी प्लेटफॉर्म पर अपनी बात रखनी चाहिए। ये ठीक है कि वरिष्ठ नेताओं की महत्वपूर्ण योगदान कांग्रेस को मजबूत करने में रहा है, लेकिन आम कांग्रेस कार्यकर्ता का भी कोई आत्मसम्मान है। वरिष्ठ नेताओं द्वारा राजनीतिक मंच से कार्यकर्ताओं के आत्मसम्मान को उछाल रहे हैं, जिससे हम आहत हैं। आम पार्टी कार्यकर्ता के खिलाफ तो सार्वजनिक बयानबाजी पर अनुशासनात्मक कार्रवाई कर दी जाती है।
2. मोदी के बोल, जुमलों के ढोल कार्यक्रम से 30 हजार लोगों तक पार्टी की बात, सरकार की नीतियां व उपलब्धियां पहुंचाई गई। इसमें सैंकड़ों लोग आए, जिसमें सचिवों की महत्वपूर्ण भूमिका रही। ये इस बात का प्रतीक है कि सचिवों ने कितनी मेहनत की है। इससे प्रदेश में नई लीडरशिप का पदार्पण हुआ है।
3. प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिवों और राज्य सरकार के बोर्ड और निगमों के चेयरमैन-वाईस चेयरमैन की योग्यता देखी जाए तो उनसे हम योग्य हैं। वे भी मनोनीत हैं और हम भी।
4. अध्यक्ष महोदय चाटुकारिता संगठन में नहीं, सत्ता में होती है। संगठन में तो संघर्ष की आग में तपकर कुंदन बन जाता है। हम कांग्रेस की नींव के वे पत्थर हैं, जो सामने नहीं दिखते। नीचे दबे रहकर नींव को मजबूत करते हैं। पार्टी किसी नेता की जागीर नहीं, कार्यकर्ताओं के खून-पसीने से खड़ी हुई है और उनकी जागीर है। कार्यकर्ता ही नेता बनाती है।
5. अध्यक्ष महोदय हमने पंचायत, बीडीसी और जिला परिषद के चुनाव जीते हैं। इसलिए पीसीसी सचिव पंच का चुनाव नहीं जीत सकते, ऐसी टिप्पणी से हम आह्त होकर हमें यह पत्र आपको लिखने के लिए मजबूर होना पड़ा। सरकार में बोर्ड-निगमों के 100 चेयरमैन-वाईस चेयरमैन हैं। उनमें से कितनों ने पंच का चुनाव लड़ा और जीता है।
6. क्या वरिष्ठ नेताओं के पुत्रों को ही प्रदेश कांग्रेस कमेटी में पद पाने का अधिकार है। क्या आम कांग्रेस कार्यकर्ता पीसीसी सचिव नहीं बन सकता।
7. हम लोग बीस साल से पार्टी की सेवा कर रहे हैं। कभी पार्टी को छोड़ने की धमकी नहीं दी, न कभी पार्टी छोड़ी। अपनी जेब से खर्च कर हमेशा पार्टी का साथ दिया है। जहां भी, जिस भी ब्लॉक में ड्यूटी लगी, पार्टी को मजबूत ही किया है।
8. हम बताना चाहते हैं कि हरियाणा-पंजाब में पीसीसी सचिवों की संख्या हिमाचल से ज्यादा है। हिमाचल में तो सिर्फ 60 सचिव और 6 महासचिव हैं, जबकि पंजाब में 307 सचिव और 96 महासचिव हैं। हरियाणा में सचिवों की संख्या 150 है।
9. सार्वजनिक मंचों से बयानबाजी करने पर पार्टी में हताशा फैलेगी। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव सरकार को दोबारा सत्ता में लाने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। वरिष्ठ नेताओं के वक्तव्यों से मिशन रिपीट को धक्का पहुंचेगा।
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