शिमला।विधानसभा चुनावों से पहले मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू की ओर से सरकार व पार्टी के बीच छिड़ी जंग को नए प्रदेश प्रभारी व देश के पूर्व गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ढांपने की कवायद में जुट गए हैं।
शिंदे ने एलान किया कि सरकार व पार्टी में कोई बदलाव नहीं होगा ये फैसला ले लिया गया हैं। ऐसे में सवाल खड़ा हो गया हें कि क्या कांग्रेस पार्टी प्रदेश के बेहद महत्वपूर्ण चुनावों को दागी मुख्यमंत्री व अप्रभावी पार्टी अध्यक्ष की कमान में लड़ेंगे। भाजपा ये ही चाहती हैं।
2012 के बाद मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह व पार्टी अध्यक्ष सुक्खू की कमान में अब तक जितने भी चुनाव लड़ें गए उन सब में पार्टी की हार हुई हैं।भाजपा ने मुख्यमंत्री के भ्रष्टाचार को लेकर जनता के बीच जमकर हल्ला मचाया व सुक्खू की पार्टी भाजपा के हल्ले का जवाब देने में कामयाब नहीं रही।हालांकि वीरभद्र केबिनेट के मंत्री भी भ्रष्टाचार के मसले पर उनका बचाव करने आगे नहीं आए। ऐसे में शिंदे का ये कहना कि पार्टी और सरकार में कोई बदलाव नहीं होगा,से साफ हैं कि पार्टी की स्थिति सुधरने वाली नहीं हैं।
भाजपा का कहना है कि सीएम दागी हैं और पार्टी अध्यक्ष अप्रभावी।ऐसे में
शिंदे ने स्वीकार किया कि सरकार व पार्टी में समन्वय की भारी कमी थी। इस मसले पर सीएम वीरभद्र सिंह, पार्टी अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू के साथ उन्होंने खुद व सह प्रभारी रंजीत रंजन ने बातचीत की व डैडलॉक तोड़ दिया गया हैं।
अब सरकारव संगठन दोनों मिलजुल कर चुनाव जीतने में अपनी ताकत झोक देंगे। पार्टी कार्यालय राजीव भवन में वीरभद्र सिंह समर्थकों की जमवाड़े के बीच मीडिया से रूबरू हुए शिंदे ने कहा कि विरोधी पार्टी भाजपापर भी तंज कसा व कहा कि कांग्रेस मे झगड़ा होता रहता हैं। लेकिन बाद आपसीसमझौता भी हो जाता हैं। लोगों को क्षमा कर दिया जाता हैं। ये कांग्रेस की संस्कृति हैं।हमारे यहां भाजपा की तरह नहीं होता कि जिसने पार्टी को बनाया व सता के मुहाने तक पहुंचाया उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया।लाल कृष्ण आडवाणी हो या मुरली मनोहर जोशी। भाजपा ने उन्हें किस हाल पर पहुंचा दिया हैं ये सब जानते हैं। लेकिन कांग्रेस में ऐसा नहीं होता।
उन्होंने कहा कि बीते रोज जिन पार्टी अध्यक्ष के खिलाफ नारेबाजी हुई थी ,उसके खिला
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