शिमला। हिमाचल प्रदेश संस्कृत अकादमी के सचिव डाक्टर मस्तराम शर्मा ने कहा कि संस्कृत भाषा वैज्ञानिक भाषा है। ये इस बात से साफ हो जाता है कि भारत की ओर से मंगल पर जो मंगलयान भेजा गया उसकी ओर से भेजी गई तस्वीरों से जो खुलासा हुआ है वह भारतीय ज्योतिष में सैंकड़ों साल पहले ही हो चुका है। वह प्रदेश संस्कृत अकादमी की ओर से आयोजित पहले राज्य स्तरीय संस्कृत युवा सम्मेलन के मौके पर बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि संस्कत के विद़्वानोंके लिए अकादमी की ओर से छंदों पर एक कार्यशाला लगाई जाएगी। उन्होंने कहा कि वह अकादमी की ओर से प्रदेश के हर जिले में संस्कृत कालेज खुलवाने के लिए सरकार से मामला उठाएंगे और हर जिले में संसकृत पुस्तकालय खुलवाने का प्रयास करवाया जाएगा।
युवा सम्मेलन में प्रदेश भर से आए युवा विद्वानों ने अलग –अलग विषयों में पर अपने शोधपत्र पढ़े।नेता राम भारद्वाज ने वर्तमान परिपेक्ष्य में नैतिक शिक्षापर शोधपत्र पढ़ते हुए कहा कि आज के दौर में आतंकवाद,भ्रष्टाचार, दूराचार की वजह नैतिक शिक्षा का अभाव है।पराधीनता के दौर में मैकाले की शिक्षा पद्धति ने नैतिक शिक्षा को हाशिए पर धकेल दिया।इसलिए शिक्षा पद्धति को बदलने की जरूरत है।
डाक्टर राकेश नडडा और संदीप ने अपने शोधपत्रों के जरिए राष्ट्रीय एकता में संस्कृत के योगदान पर रोशनी डाली। उन्होंने कहा कि संस्कृत भारतीय संस्कृति की प्राण है और ये विश्व कल्याण की भाषा है।डाक्टर रितेश ने युवा वर्ग व संविधान की उपदेयता पर अपने विचार रखे।डाक्टर किरण कुमार ने हिमाचल में संसकृत के विकास में युवाओं के योगदान पर रोशनी डाली। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा पूरे विश्व को एक सूत्र में बांध सकती है।खुशवंत सिंह ने युवाओं के राष्ट्र के प्रति कर्तव्य को लेकर अपना शोधपत्र पढ़ा।इसके बाद इन विषयों पर परिचर्चा की गई।इस मौके पर किन्नौर से आए देयोल सिंह नेगी ने कहा कि संस्कृत दीवारों वदरवाजों पर लिखी गई भाषा नहीं होनी चाहिए।
समारोह के दौरान मुख्य अतिथि डाक्टर कुमार सिंह सिसोदिय और अकादमी के सचिव डाक्टर मस्तराम शर्मा ने दिनेश भारद्वाज की ओर से संस्कृत में लिखी पुस्तक संस्कृत साहित्य मंजुशा का विमोचन किया।
पूर्व ओएसडी संस्कृत कुमार सिंह सिसोदिय ने बतौर मुख्यतिथि कहा कि देश की सभी भाषाओं में 90 प्रतिशत संस्कृत के शब्द है।पहाड़ी भाषा में भी संस्कृत के शब्द है।उन्होंने यहां आए यवुाओं का आहवान किया कि वे संसकृत को व्यवहार की भाषा बनाएं।उन्होंने कहा कि संस्कृत के विद्वानों को स्वध्याय करना चाहिए और श्रेष्ठ साहित्य पढ़ना चाहिए।
इस मौके पर हिमाचल प्रदेश विवि के इक्डोल के पूर्व निदेशक ओ पी सारस्वत ने युवाओंसे आहवान किया कि वे सृजन जरूर करे। कुछ न कुछ जरूर लिखे।उन्होंने कहा कि संस्कृत से समृद्ध् व्याकरण दुनिया में नहीं है। संस्कृत की चिंतन पद्धित और संसार व्यापक है।यह दृष्टि को विस्तार ही नहीं देती चिंतन को गहराई भी देती है।उन्होंने कहा कि हर परिवार को एक बच्चा संस्कृत को समर्पित करना चाहिए। इसके बाद समारोह में संस्कृत अकादमी की 20 विद्वानों को शॉल-टोपी और स्मृति चिन्ह देकर पुरस्कृत किया गया।
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