शिमला।कमीशन हड़प रही कंपनियों को बाहर करने की मांग को लेकर राजधानी के चौड़ा मैदान में अनशन पर बैठे प्रदेश के वोकेशनल शिक्षकों ने शिक्षा विभाग के उस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है जिसमें विभाग ने इन शिक्षकों को 17 के बजाय एक आउटसोर्स कंपनी के तहत लाने का प्रस्ताव दिया था।
आंदोलन के दौरान इन आंदोलनरत शिक्षकों की सर्व शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना अधिकारी राजेश शर्मा से से वार्ता हुई। वार्ता के दौरान इन शिक्षकों को एक कंपनी के तहत लाने का प्रस्ताव दिया गया। जिसे इन शिक्षकों के संगठन हिमाचल प्रदेश वोकेशनल ट्रेनर वेलफेयर एसोसिएशन ने ठुकरा दिया व अब इनका आंदोलन जारी है। अब दूसरे दौर की वार्ता संभवत कल यानी मंगलवार का संभव हैं।
इन शिक्षकों की मांग है कि उन्हें किसी निगम या बोर्ड के तहत लाया जाए व कमीशन लेने वाली कंपनियों हरियाणा व गोवा समेत कई राज्यों की सरकारों की तर्ज पर बाहर किया जाए। ताकि कंपनियों के खाते में जाने वाली कमीशन बच सके। इन कंपनियों को सरकार की ओर से 14 फीसद कमीशन दिया जाता हैं।
याद रहे कि प्रदेश में तत्कालीन वीरभ्ज्ञद्र सिंह सरकार के शासनकाल में 2013 में विभिन्न स्कूलों में वोकेशनल शिक्षा शुरू की गई थी। ये पूर्णतया केंद्र सरकार की परियोजना था। तमाम पैसा केंद्र सरकार से मिल रहा है।
अब तक प्रदेश में 2174 वोकेशनल शिक्षक विभिन्न स्कूलों में तैनात हो चुके है। एसोसएिशन के राज्य सचिव कुलदीप ठाकुर का हनाहै कि चूंकि ये परियोजना केंद्र सरकार की है ऐसे में कंपनियों को बाहर करने से किसी का कोई नुकसान होने वाला नहीं हैं। प्रदेश सरकार पर भी कोई वितीय बोझ नहीं पड़ेगा। ये शिक्षक नियमितिकरण की मांग भी नहीं कर रहे है और इसके अलावा भी कोई अन्य मांग नहीं हैं।
पड़ोसी राज्य हरयिाणा ने 2021 में ही इन आउटसोर्स कंपनियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया हैं। ये कंपनियां इन शिक्षकों को जमकर शोषण करती है। प्रदेश में भी ऐसा ही किया जा सकताहैं।
जब जयराम से किया जवाब तलब
प्रदेश भाजपा व उसके नेता इन दिनों किसी भी तरह अपने वोट बैंक को बटोरने की रणनीति पर काम कर रहे है। इसी कड़ी में पिछले दिनां नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर चौड़ा मैदान में इन शिक्षकों के आंदोलन में शामिल हो गए व इन शिक्षकों की मांग को लेकर समर्थन देने का एलान कर दिया।
इस मौके पर इन शिक्षकों से जवाब तलब किया जब वो सत्ता में थे तो उन्होंने क्यों इन कंपनियों को बाहर नहीं किया जबकि वो बार –बा अपनी इस मांग को लेकर उनके पास भी लगातार आते रहे थे। बताते है कि जयराम के पास इसका कोई जवाब नहीं था।
आंदोलनरत इन शिक्षकों का कहना है कि इन कंपनियों को सरकार के निर्देश है कि किसी भी स्थिति में सात तारीख तक इनका वेतन अदा हो जाना चाहिए लेकिन इस बार तो दस तारीख हो गई है कइयों को वेतन नहीं मिला है।इसी तरह एरियर के मसले में किया गया। आखिर ये सब कब तक झेला जाता रहेगा।
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