शिमला। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने दिल्ली हाईकोर्ट में उनके खिलाफ भ्रष्टाचार को लेकर दायर याचिका करने वाले वकील प्रशांत भूषण के प्रदेश में अवैध भूमि सौदों का खुलासा कर कहा है कि इस मामले में जांच चल रही है व मामले में कानूनी कार्रवाई के अंदेंशे से उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।
वीरभद्र सिंह ने कहा कि प्रशांत भूषण ने पालमपुर के कंदबाड़ी में कुमुद भूषण शैक्षणिक सोसायटी के नाम चाय का बागीचा खरीदा, जिसे वह खरीद नहीं सकते थे, क्योंकि हिमाचल प्रदेश में गैर-कृषकों को चाय के बागीचे बेचने पर पूर्ण पाबंदी है। भूषण द्वारा अवैध तौर पर खरीदे गए चाय के बागीचे का मामला अन्ना हजारे के आंदोलन के दौरान, जिसका प्रशांत भूषण भी हिस्सा थे, विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा प्रमुखता से उठाया था। इस मामले की स्वतंत्र जांच चल रही है, लेकिन भूमि की अवैध खरीद पर कानूनी कार्रवाई के अंदेशे से प्रशांत भूषण ने दिल्ली उच्च न्यायालय में उनके खिलाफ जनहित याचिका दायर की है। वह इससे डरने वाले नहीं है और जांच रुकेगी नहीं।
उन्होंने कहा कि वे भाजपा और इसके सहयोगियों द्वारा उनकी छवि और प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए किए जा रहे व्यक्तिगत हमलों से डरने वाले नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनावों के दौरान अरूण जेतली सहित कई राष्ट्रीय नेताओं ने उन्हें व्यक्तिगत तौर पर निशाना बनाते हुए उनकी आयकर रिटर्न और इस्पात मंत्रालय में तथाकथित रूप से इस्पात उद्योग का अनुचित लाभ देने के निराधार आरोप लगाए थे।
जेतली ने गैर कानूनी तौर से उनके आयकर रिटर्न की विस्तृत जानकारी हासिल की, जिसे कर देने वाले व्यक्ति की पूर्व अनुमति के बिना सूचना के अधिकार के तहत भी हासिल नहीं किया जा सकता। जेतली ने पहले भी शिमला में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान भी कुछ तथ्यों को छुपाते हुए इसका उल्लेख किया ताकि भाजपा को राजनीतिक लाभ मिल सके।
उन्होंने कहा कि विभिन्न मामलों में जांच कांग्रेस की चार्जशीट के आधर पर लगाए जा रहे है।प्रदेश में कांग्रेस सरकार के गठन के उपरांत पार्टी के चुनाव घोषणापत्र को सरकार के नीतिगत दस्तावेज के रूप में अपनाया गया तथा चार्जशीट पर निष्पक्ष एवं स्वतंत्र जांच के लिए इसे राज्य सतर्कता ब्यूरो को सौंपा गया, क्योंकि सरकार लोगों से किए गए अपने वायदे को पूरा करने के लिए जवाबदेह है। इस चार्जशीट में प्रेम कुमार धूमल, उनके परिजनों, मंत्रियों व अन्यों के खिलाफ भ्रष्टाचार और भूमि घोटालों के गंभीर आरोप थे। इसके अलावा, भूमि सौदों और भूमि उपयोग में बदलाव के कई हाई-प्रोफाईल मामले भी शामिल थे, जिनमें रामदेव का पतंजलि योगपीठ, प्रशांत भूषण का शिक्षण न्यास, एचपीसीए का होटल, बैमलोई निर्माण और अनाडेल क्षेत्र आदि मामले शामिल है।
वीरभद्र सिंह ने कहा कि विधानसभा चुनावों के दौरान मीडिया एक फर्म के अधिकारी की डायरी में ‘वीबीएस’ के नाम से दर्ज संदर्भ के आधार पर मामला उछला। इस डायरी में सैंकड़ो प्रमुख लोगों के नाम दर्ज थे। यह समाचार पूर्णतः अटकलों और राजनीति से प्रेरित था। यह सामान्य सी बात और सत्यापित तथ्य है कि व्यक्तिगत डायरियों में इस प्रकार से दर्ज संदर्भ कानून के प्रावधानों के अन्तर्गत साक्ष्य नहीं होते। उन्होंने कहा कि उनके केंद्रीय इस्पात मंत्री के कार्यकाल के दौरान न तो इस कथित उद्योग से कोई लाभ लिया गया, न ही इसे कोई लाभ दिया गया। इसकी पुष्टि उनके बाद बने इस्पात मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा ने भी की है, जिन्होंने साफ तौर पर कहा है कि कंपनी को इस्पात मंत्रालय की ओर से कोई लाभ नहीं दिया गया है और किसी के द्वारा डायरी में ‘वीबीएस’ लिखना धन की हेराफेरी के लिए कंपनी के कर्मचारियों का कृत्य है।
उन्होंने कहा कि भाजपा को मंडी उप-चुनाव में मिली करारी हार के बाद आगामी लोकसभा चुनाव में भी प्रदेश की चारों सीटों पर अपनी हार नजर आ रही है।उन्होंने कहा कि उन्हें पद्रेश की जनता पर पूरा भरोसा है व यही उनकी सबसे बड़ी ताकत है और उन्हें किसी अन्य व्यक्ति से प्रमाणपत्र लेने की आवश्यकता नहीं है, खासकर किसी भूषण या भाजपा से।जिन्होंने भाजपा सरकार के दौरान अवैध तौर पर लाभ लिए और अब उनके खिलाफ षड़यंत्र रच रहे हैं। उन्होंने कहा कि झूठे मामलों में फंसाने और उनकी प्रतिष्ठा को कलंकित करने का यह एक तुच्छ प्रयास है, लेकिन इस तरह के नापाक मनसूबे कभी पूरे नहीं होंगे। .0.
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