शिमला।लोकसभा चुनाव से पहले प्रदेश में सियासत और खेल पर कब्जा करने के लिए वीरभद्र सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के परिवार के बीच शुरू हुई जंग 2014 के चुनाव की जमीन तैयार करने जा रही है।
राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो इस जंग में उभरने वाले मुददे प्रदेश में 2014 के लोकसभा चुनाव की जमीन तैयार करेंगे।
इन दोनों परिवारों के मामले जनता के अलावा अदालतों तक पहुंच गए है। पहले धूमल के पुत्र अनुराग और अरुण ही इस खेल में शामिल थे अब वीरभद्र सिंह ने भी अपने बेटे विक्रमादित्य सिंह को सियासत और खेल के इस मैदान में उतार दिया है।
विक्रमादित्य सिंह को पहले प्रदेश राइफल संघ का अध्यक्ष बनाया गया।एसके बाद एक गैर सरकारी संगठन हिमाचल स्पोर्ट्स कल्चर एंड इंवायरनमेंट नामक गैर सरकारी संगठन के तहत नेताओं और आईएएस –आईपीएस अफसरों के बीच क्रिकेट का मैच करवाया गया। इस संगठन के अध्यक्ष विक्रमादित्य है।मैच का उदघाटन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और राज्यपाल उर्मिल सिंह ने किया । जाहिर है ये सब विक्रमादित्य का रुतबा बढ़ाने के लिए किया गया । छात्र राजनीति में सक्रिय न रहने के बावजूद अब विक्रमादित्य को युवा कांग्रेस की सरदारी मिल गई है।
धूमल के पुत्र व भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर भी इसी तरह एचपीसीए के बैनर तले फले -फूले है। भाजपा की सरकार में उनकी एचपीसीए को जगह –जगह जमीनें मिली। अनुराग को अनाडेल में सेना के कब्जे वाला मैदान चाहिए था तो धूमल सरकार में उस मैदान को एचपीसीए के हवाले करने का पूरा प्रयास हुआ।
अब वीरभद्र सरकार में उन जमीनों पर एक बार आधी रात को कब्जा हो चुका है। एफआईआर दर्ज है। अदालत से बेशक राहत मिली है लेकिन सरकार की कार्यवाहियां जारी है। दूसरी ओर पूरा धूमल परिवार वीरभद्र सिंह की सरकार और उनके परिवार को घेरने पर आमदा हो गया है। साथ ही धूमल परिवार ने इस जंग में पूरी भाजपा को शामिल कर दिया है।
धूमल के छोटे बेटे अरुण धूमल खुद वीरभद्र सिंह परिवार को घेरने के लिए मैदान में उतरे।प्रशांत भूषण जैसे नामी वकील का उनके सिर पर साया रहा। वीरभद्र सिंह, उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह और पुत्र विक्रमादित्य के खातों का लेनदेन जनता के बीच पहुंचा दिया गया। मामला दिल्ली की अदालत में जनहित याचिका के तहत पहुंच गया है।जब वीरभद्र सिंह अपने ऊपर लगे इन आरोपों का जवाब देने के लिए अकेले पड़ गए। उनके अधिकतर वरिष्ठ मंत्री उनके साथ नहीं है। इसलिए बेटे विक्रमादित्य सिंह को युवा कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया गया।
उन्होंने युवा कांग्रेस की सरदारी मिलने के बाद धूमल परिवार पर निशाने साधे।धूमल परिवार के सारे राज विजीलेंस के पास है।जाहिर सी बात है ये वीरभद्र सिंह और विक्रमादित्य सिंह की जुबानी ही जनता के बीच पहुंचेंगे। सूत्रों के मुताबिक इसी तरह की रणनीति बनी है। ये रणनीति कितनी कारगर होगी ये अलग मसला है। इसके अलावा विजीलेंस ब्यूरो को पहले ही कांग्रेस की चार्जशीट थमा दी गई है। करीब चार दर्जन मामलों में जांच जारी है।
उधर, वीरभद्र सिंह अब अपने कांगड़ा दौरे के बाद दिल्ली को रवाना हो रहे है। दिल्ली हाईकोर्ट में दायर याचिका सुनवाई 27 नवंबर को है। उससे पहले उन्हें वहां कई इंतजाम करने है। मजे की बात है कि इन दो परिवारों के बीच चल रही इस तनातनी को लेकर भाजपा व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मौन साध गए है। बीच में माकपा ने कुछ हल्ला मचाया था ।अब वो भी खामोश हो गई है।
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