शिमला। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह व उनकी नीतियां ट्रेड यूनियन और वर्क प्लेस पर आतंकवाद फैला रही है।गुड़गांव मारुति उदयोग में एक साल से मजदूर जेलों में है। वहां मैनेजर को मालिकों ने मरवाया और हरियाणा के सीएम भूपेंद्र सिंह हुडडा के साथ मिलकर मजदूर आंदोलन को तबाह करने का प्रयास चल रहा है। ये आरोप
सीटू के राष्ट्रीय महासचिव व राज्य सभा सांसद तपन सेन ने शिमला में नार्दन जोन इंश्योरेंस इंप्लाइज एसोसिएशन के 30 महाअधिवेशन में लगाए।
उन्होंने भाजपा बाकी राजनीतिक दलों पर भी हमले बोले। उन्होंने कहा कि भाजपा प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी पर उस व्यक्ति को बिठाना चाहती है जिसके हाथ लोगों के खून से रंगे है।भाजपा समेत सभी दल कपटी हो गए है।वो संसद में लाए जाने वाले जन विरोधी बिलों के खिलाफ वामपंथियों से भी ज्यादा धारदार भाषण देते है। लेकिन आखिर में जब वोटिंग की बारी आती है तो उन बिलों को पास कर देते है।जितने भी बिल पास हुए उनको भाजपा व अन्य दलों का समर्थन मिला है। ये जटिल स्थिति है।ये कपट जनता के सामने आना चाहिए। भाजपा व कांग्रेस की नीतियां एक जैसी है व दोनों में होड़ लगी है कि ओबामा की गोद में पहले कौन पहुंचे।
उन्होंने राजनीतिक दलों की ओर से किए जाने वाले छल को लेकर जनता को आगाह किया।
यूपीए सरकार को अब तक की सबसे भ्रष्टतम सरकार करार देते हुए वर्ल्ड वेल्थ रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि देश में 7 हजार लोगों की मुटठी में जीडीपी का 60 प्रतिशत हिस्सा है। आर्थिक तरक्की का लाभ गिने चुने लोगों को मिल रहा है।ऐसे में आतंकवाद पैदा नहीं होगा तो क्या होगा।
सरकार ने औदयोगिक घरानों को विदेशों से कर्ज लेने की इजाजत दे दी है।वो ये कर्ज लेकर रियल इस्टेट, सोना व सटटेबाजी में निवेश कर रहे । फैक्टरी में नहीं लगा रहे है। इससे बेरोजगारी बढ़ रही है।अब वो कर्जे लेने के लिए सरकारी गारंटी हासिल करने के लिए सरकार का दरवाजा खटखटा रहे है।
उन्होंने कहा कि 2000से 2005 तक आर्थिक वृद्धि दर 5 फीसद थी तो रोजगार वृद्धि दर 2.7 थी 2005 से 2009 तक आर्थिक वृद्धि दर 7फीसद के करीब रही लेकिन रोजगार वृद्धि दर 1 फीसद से भी नीचे चली गई। 1991में चालू खाता घाटा 20 फीसद था जो अब बढ़कर 35 फीसद हो गया है। प्रधानमंत्री संसद में मान रहे है कि देश में आर्थिक संकट है। लेकिन जो कदम उठाए जाने चाहिए वो नहीं उठाए जा रहे है।
केंद्रीय मंत्रालयों की ओर से संबधित उपक्रमों को निर्देश दिए है कि वो 50 हजार करोड़ के बॉंड विदेशी बाजार में उतारकर डॉलर एकत्रित करे।ये इन उपक्रमों पर आघात है। तेल का आयात जरूरी है। लेकिन स्टील की जरूरतें तो यहीं से पूरी हो जाती है उसका आयात क्यों किया जा रहा है। पावर प्लांटस के लिए भारी मशीनरी क्यों खरीदी जा रही है।
उन्होंने कहा कि औदयोगिक घराने कुल निवेश का केवल 30 प्रतिशत निवेश कर रहे है। ये घराने सटटेबाजी से पैसा कमा रहे है। इससे देश की आर्थिकी को कोई बल नहीं मिल रहा है और सरकार इन घरानों को पांच लाख करोड़ रुपए की सालाना कर छूट दे रही है। । जबकि53 प्रतिशत निवेश पब्लिक सेक्टर कर रहा है जिसे सरकार निजी हाथों में देने के हथकंडे अपना रही है।देश के लोगों की ओर से की जाने वाली बचत देश की आर्थिकी की ताकत है। लेकिन आज ग्रामीण बैंकों में जनता की ओर से बचाए जाने वाले पैसे का 50 प्रतिशत तक औदयोगिक घरानों को कर्ज दिया जा रहा है। किसानों को कर्ज नहीं मिलता। औदयोगिक घराने बचत नहीं करते वो जो पैसे बैंक में रखते भी है उस पर ओवरड्राफ्ट ले लेते है।तपन सेन ने कहा कि ये सब देश की जनता को मालूम नहीं है।मजदूर संगठनों व
बीमा कर्मियों को ये सच घर –घर तक ले जाना है।ताकि प्रधानमंत्री राहुल गांधी हो या नरेंद्र मोदी देश विरोधी फैसले न ले सके। इस मौके पर शिमला के मेयर संजय चौहान ने कहा कि बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश को 26 फीसद से 49 फीसद करने की सरकार की मुहिमको कामयाब नहीं होने दिया जाएगा। उतरी राज्यों से आए बीमा कर्मियों का ये अधिवेशन 17 सितंबर तक चलेगा। अधिवेशन में देश भर से आए नेताओं ने अपने विचार रखे
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