शिमला। पूर्व मंत्री विपल्व ठाकुर को राज्यसभा का टिकट देकर कांग्रेस आलाकमान ने दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को हिमाचल प्रदेश से राज्यसभा भेजने की अटकलों पर विराम लग दिया है।विप्लव ठाकुर कल विधानसभा में 12 बजे राज्यसभा के लिए नामांकन भरेगी।उन्होंने कहा कि आलाकमान ने उनके नाम पर मोहर लगा दी है।हिमाचल से भाजपा के वरिष्ठ नेता शांताकुमार की सीट खाली हो रही है।इस सीट के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सुखविंदर सुक्खू से लेकर दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित तक के नाम कतार में थी। लेकिन विप्लव ठाकुर अपने नाम पर मोहर लगवाने में कामयाब रही। विप्लव ठाकुर कांगड़ा के जसवां विधानसभा हलके से विधायक रह चुकी है।
वामपंथी पिता परस शर्मा व कांग्रेसी माता सरला शर्मा की बेटी विपल्व ठाकुर दूसरी बार राज्यसभा के लिए भेजी जा रही है। वह प्रदेश कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष भी रह चुकी है। विप्लव ठाकुर की शादी हमीरपुर के बमसन में हुई है और जिस परिवार में उनकी शादी हुई है उनकी भाजपा नेता व पूर्व मुख्यमंत्री प्रेमकुमार धूमल के परिवार से नजदीकी रिश्ते है। हालांकि हमीरपुर में उनका ज्यादा दखल नहीं है।विप्लव ठाकुर 2006 से 2012 तक हिमाचल से राज्यसभा सदस्य रह चुकी है। इससे पहले 1993 से 1998 के बीच तत्कालीन वीरभद्र सिंह सरकार में वह मंत्री रह चुकी है।इसके अलावा वह तीन बार विधानसभा के लिए भी चुनी गई हैं।
उधर ,भाजपा राज्यसभाके लिए पार्टी की ओर से किसी को
नहीं उतार रही है। भाजपा प्रवक्ता गणेशदत ने कहा कि पार्टी बहुमत में नहीं है इसलिए वह अपना प्रत्याशी नहीं उतारेगी।
28 जनवरी नामांकन भरने की आखिरी तारीख है।
अगर जरूरत पड़ी तो 7 फरवरी को विधानसभा में वोटिंग होगी।
अभी हिमाचल से भाजपा की बिमला कश्यप और जगत प्रकाश नडडा राज्यसभा सदस्य है । हिमाचल से राज्यसभा की तीन ही सीटें है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता शांता कुमार2008 में राज्यसभा के लिए निर्विरोध चुने गए थे। विप्लव के चुने जाने के बाद वह हिमाचल से राज्यसभा जाने वाली नौंवी महिला होगी।
इससे पहले 1956 में लीलावती महालन,1968 में सत्यावती डांग,1978 मोहिंदर कौर,1980 में ऊषा मल्होत्रा,1996 में चंद्रेश कुमारी ,2006 में विपल्व ठाकुर और 2009 में बिमला कश्यप राज्यसभा सदस्य रह चुकी है।
शीला दीक्षित के नाम का हुआ विरोध
आलाकमान की मंशा दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को हिमाचल से राज्यसभा भेजने की थी। लेकिन आगामी लोकसभा चुनावों को देखते हुए प्रदेश के कांग्रेसियों ने उनका विरोध किया। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस पार्टी की दो बड़ी नेत्रियों ने आलाकमान के समक्ष उनके नाम का विरोध किया था। एक नेत्री ने तो बाकायदा नोट लिखकर दिया था।
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