शिमला। जनजातीय मंत्री रामलाल मारकंडा ने सदन में कहा कि जिला सिरमौर के ट्रांस गिरी क्षेत्र वह यहां की हाटी समुदाय को जनजातीय क्षेत्र घोषित करने का मामला 2018 में नामंजूर हो चुका है लेकिन जयराम सरकार ने इस मामले को दोबारा केंद्र सकार के समक्ष उठाया है और अब यह मामला रजिस्ट्रार जनरल आफ इंडिया के पास लंबित है ।
मारकंडा ने कहा कि जयराम सरकार इस मामले पर गंभीर है और इस इलाके को जनजातीय क्षेत्र घोषित करने के लिए जयराम सरकार की ओर से 2018 से लेकर अब तक 14 बार पत्राचार किया जा चुका है। कांग्रेस विधायक हर्षवर्धन चौहान और विनय कुमार ने प्रश्न काल के दौरान पूछे गए प्रश्न के जवाब में मारकंडा ने कहा कि संविधान में जनजातीय क्षेत्र को घोषित करने के लिए उस इलाके में 50 फीसद जनजातीय आबादी होनी चाहिए और इसके अलावा क्षेत्र की सघनता और उचित आकार, एक प्रशासनिक इकाई जैसे जिला, ब्लॉक और पड़ोसी क्षेत्रों की तुलना में यह क्षेत्र आर्थिक तौर पर पिछड़ा होना चाहिए।
मारकंडा ने कहा कि इस इलाके में जनजातीय आबादी केवल 0.20 फीसद ही है। इसके अलावा यहां रहने वाली आबादी में आदिम लक्षणों के संकेत व उनकी विशिष्ट संस्कृति होनी चाहिए। भौगोलिक तौर पर यह क्षेत्र आम आबादी से बहुत दूर होना चाहिए और अन्य समुदायों से इनका मिलना जुलना बहुत कम होना चाहिए । मारकंडा ने कहा कि यह इलाका इन शर्तों को भी पूरा नहीं करता है। इसके बावजूद सरकार ने इस इलाके की हाटी जाति को जनजातीय जाति में शामिल करने के लिए एथनोग्राफिक अध्ययन कराया और सकारात्मक रपट केंद्रीय जनजातीय मंत्रालय को भेजी है।
मारकंडा ने कहा कि यह प्रस्ताव केंद्र सरकार को 2016 में भेजा था लेकिन 2018 में इसे नामंजूर कर दिया गया था। मारकंडा ने कहा कि पहले यहां की आबादी जनजातीय श्रेणी में लाई जाएगी उसके बाद इस इलाके को जनजातीय घोषित किया जाता है। इस पर कांग्रेस विधायक हर्षवर्धन चौहान और विनय कुमार ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि वह इस मसले को सीधे प्रधानमंत्री से उठाए ताकि इस क्षेत्र के लोगों को जनजातीय श्रेणी के लोगों को मिलने वाले लाभों वंचित न रहना पड़े।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि यह मसला बहुत ज्वलंत है। और जिला सिरमौर के साथ उतराखंड के लगते इलाके जनजातीय क्षेत्र घोषित है। आधे परिवार उतराखंड में चले गए हैं और आधे परिवार हिमाचल में है। तो परिवार उतराखंड के जौनसार बावर इलाके में चले गए है वह जनजातीय श्रेणी में शामिल है जबकि हिमाचल में बसा परिवार जनजातीय श्रेणी में शामिल नहीं है व उन्हें जनजातीय श्रेणी के लोगों को मिलने वाले लाभों से वंचित होना पड़ रहा है। जयराम ठाकुर ने कहा कि वह इस मसले को दोबारा से केंद्र सरकार के समक्ष दोबारा से उठाएंगे।
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