किन्नौर/रिकांगपीओ।हिमाचल प्रदेश संस्कृत अकादमी के बैनर तले रिकांगपीओ में आयोजित राज्य स्तरीय संस्कृत कवि सम्मेलन राज्य भर से आए कवियों ने जहां एक तरफ कलि काल के कोप को वाणी दी वहीं सम्मेलन में गधे की वेदना भी मुखर हुई।
संस्कृत कवि मनोहर लाल शर्मा ने गधे की वेदना को अभिव्यक्ति दी । गधा बोलता है कि न मैं शराब पीता हूं और न ही मांस – आमलेट खाता हूं फिर भी न जाने क्यों लोग मुझे क्यों कोसते है। कवि महेश्वर शर्मा ने अपनी कविता में कहा कि कलि काल में नास्तिकों को ऋषि कहा जाता है ।यह कलि काल का प्रभाव ही है।कवि अरुण कुमार ने बोले की अब तो किन्नौर में भी संस्कृत की पवन बहने लगी है।वीरेंद्र कुमार ने हिमाचल के सौंदर्य पर अपनी वाणी चलाई तो योगेश अत्री ने स्कूलों में छात्र -छात्राओं के क्रियाक्लापों को अपनी कविता में पेश किया।संदीप ने गितिका पेश की तो त्रिलोक भारदवाज ने संस्कृत की महिमा का बखान किया।
प्रदेश भर से आए संस्कृत कवियों में से शिव कुमार ने किन्नौर तक पहुंचने के विकट मार्ग को अपनी कविता का विषय बनाया तो शंकर वशिष्ट ने जापानी कविता की शैली हाइकू में अपनी कविता पढ़ी।संस्कृत में ये नया प्रयोग है।अशोक शास्त्री बोल उठे कि प्रदेश में सबसे सुंदर किन्नौर है और जो यहां एक बार आ जाता है वो यहां के गुणगान बार बार करता है।उन्होंने किन्नौर की महिमा को वाणी दी।प्रेम लाल गौतम की वाणी बोली कि संस्कृत संस्कृति की रक्षा करती है।रविंद्र ने देश भक्ति पर गितिका पेश की तो यशपाल ने कहा कि संस्कृत से ही संस्कृति है।इसके अलावा वेद प्रकाश,रमेश चंद,विवेक शर्मा,विद्या सागर जोशी और सीसी नेगी भी कविता पाठ किया।
कवि सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए आचार्य रामानंद शास्त्री ने कहा के संस्कृत के विद्वानों को संस्कृत केउत्थान केकलिए काम करने का संकल्प लेना चाहिए ।संस्कृत का अपना स्वार्थ साधने के लिए इस्तेमाल करने से हित नहीं होगा।संस्कृत अकादमी के सचिव डाक्टर मस्तराम शर्मा ने कहा कि किन्नौर शंकर भगवान की स्थली है।इस मौके पर किन्नौर के जिला आयुर्वेद अधिकारी हेम राज गौतम, हिमाचल प्रदेश विवि में बौद्ध विद्या केंद्र के अध्यक्ष विद्या सागर नेगी ने खासतौर पर शिरक्त की।
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