शिमला। हिमाचल से जुड़े कर्मचारियों व अधिकारियों के मेगा तबादलों से उपजे रोष के बीच सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम सतलुज जल विद्युत निगम ने टैक्स अदा करने के बाद 2014-15 में 1676.75करोड़ रुपए लाभ करने अर्जित करने का दावा किया है।एसजेवीएनएल के अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक रमेश नारायण मिश्र ने राजधानी में निगम की बीते रोज हुई सालाना जनरल मीटिंग के बाद संवाददाताओं से कहा कि एसजेवीएनएल अब पावर कंपनी बन गई है और ये दुनिया की पहली ऐसी कंपनी है जिसने भूटान में पहला पहला पावर पोजेक्ट हासिल किया है।
मिश्र ने एसजेवीएनएल के अध्यक्ष का पदभार संभालने के बाद एसजेवीएनएल में तैनात सौ से ज्यादा कर्मचारियों व अधिकारियों को एक ही आर्डर के तहत ट्रांसफर कर दिया था। सूत्र बताते है कि इन मुलाजिमों ने ये मसला पांवर मंत्रालय में उठा रखा है ।साथ ही मिश्र के फैसले ने मोदी सरकार में मंत्री जेपी नडडा के अलावा प्रदेश भाजपा के बाकी नेताओं की नींद उड़ा रखी है।
प्रधानमंत्री मोदी के करीबी मिश्र ने इस मसले पर आज कहा कि निगम के प्रोजेक्ट प्रदेश के बाहर लगे है वहां मुलाजिमों की जरूरत है।इसलिए उनका तबादला किया गया है ये रूटीन काम है।
उधर,लूहरी में लग रहे 601मेगावाट के हाईड्रो पावर प्रोजेक्ट को लेकर उन्होंने कहा कि यहां परइस प्रोजेक्ट को कैसे लगाना है ये संभावनाएं तलाश करने के लिए अभी तक 130 करोड़ रुपया खर्च किया जा चुका है। लेकिन कोई रास्ता न निकलने के बाद अब इस प्रोजेक्ट को तीन चरणों में पूरा करने की योजना है।प्रदेश सरकार की49 प्रतिशत व एसजेवीएनएल की 51 प्रतिशत भागीदारी वाले इस प्रोजेक्ट का आगे क्या होगा ये केंद्र की मोदी सरकार के फैसले पर निर्भर करेगा।एसजेवीएनएल के कारनामों के बाद ये प्रोजेक्ट एनजेटी की आंच भी झेल चुका है।स्थानीय लोग इस मामले को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में ले जा चुके है। अब नई योजना के मुताबिक नीरथ में एकडैम बनेगा जिससे209 मेगावाट बिजलीतैयार होगी । दूसरे चरण में केपू के पास डैम बनेगा व यहां से 146 मेगावाट और तीसरे चरण्ा में खेहरा में बनने वाले डैम से 326 मेगावाट बिजली पैदा करने की योजना है।
मिश्र ने कहा कि इसकी लागत बहुत ज्यादा आ रही है। कम से कम 15 करोड़ रुपए प्रति मेगावाट लागत आने की संभावना है। सब कुछ मोदी सरकार को भेज दिया गया है जो भी फैसला लेगी मोदी सरकार लेगी।इस प्रोजेक्ट को लेकर स्थानीय लोग विरोध कर रहे है । प्रोजेक्ट में देरी के लिए मिश्र ने इन लोगों को जिम्मेदार ठहराने की नाकाम कोशिश की। लेकिन बाद में वोमान गए कि तकनीकी कारण रहे है। इस मसले पर सरकार ने भी एसएजवीएनएल से अपना रिजर्वेशन जताई थी व निगम ने यहां टनल न बनाने का फैसला लिया था। हालांकि मिश्र ने कहा कि डीपीअार को सरकार ने भी एग्जामिन किया था।बहरहाल अब लूहरी प्रोजेक्ट कब बनेगा ये तय नहीं है।
2014-15 में 434.35 करोड़ रुपए का लाभांश अदा करने वाली एसजेवीएनएल के प्रबंध निदेशक ने माना कि हम हर साल पावर जनरेशन में अतिरिक्त उत्पादन नहीं जोड़ पा रहे है लेकिन कई प्रोजेक्ट पाइप लाइन में है तो वो एक साथ व कम अंतराल में कमिशन होंगे। साल 2014-15 में एसजेवीएनएल को प्राइस रिवाइज होने के कारण 1381 करोड़ं रुपए का एरियर मिला। जिसकी वजह से इस साल की आय बढ़ गई। उन्होंने कहा कि हिमाचल सरकार से 650 करोड़ रुपया एरियर का लेना है।
उधर एसलेवीएनएल के अध्यक्ष मिश्र ने कहा कि निगम ने 5 साल में 1000 मेगावट सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा है व राजस्थान, गुजरात, तमिलनाडू और मध्य प्रदेश में सौर उर्जा क्षेत्र में बिजली उत्पादन की ज्यादा संभावनाएं हैं। जबकि हिमाचल के लाहुल स्पिति में ज्यादा संभावना है वनाथपा क्षेत्र में चल रहे प्रोजेक्ट एरिया पर सौर उर्जा प्लांट लगाने के लिए विचार कर रहा है।
उनका कहना है कि निगम सौर उर्जा से हर साल 200 मेगावाट बिजली उत्पादित करेगा और इसी तरह 5 सालों में विभिन्न प्रोजेक्टों से 1000 मेगावाट बिजली पैदा करने का लक्ष्य रखा है।
उन्होंने कहा कहा कि एसजेवीएनएल अब पावर कंपनी है व इस दिशा में एसजेवीएन पवन ऊर्जा, सौर ऊर्जा, पावर ट्रांसमिशन और यहां तक की ऊर्जा के पारंपरिक रूपों में भी विभिन्न अवसर तलाश रहा है।
हिमाचल में ही 66 मेगावाट की धौलासिद्ध जलविद्युत परियोजना की डीपीआर केंद्र सरकार को सौंप दी गई है और इस पर केंद्र को निर्णय लेना है। जबकि भूटान में 570 मेगावाट की बांग्चू जलविद्युत परियोजना की डीपीआर भी मंजूरी हो चुकी है और एसएसए पर हस्ताक्षर प्रक्रिया में है। यह परियोजना अगले छह महीनों में काम करना शुरू कर देगी। इसी तरह नेपाल में 900 मेगावाट अरूण-3 से बिजली की निकासी के लिए मुजफरपुर तक 400 केवी डब्ल सर्किट ट्रांसमिशन लाईन की डीपीआर भी तैयार है।
उन्होंने कहा कि चालू वित वर्ष के दौरान निगम ने नाथपा झाकड़ी, रामपुर और खिरवीरे परियोजनाओं से 7058 मिलियन यूनिट विद्युत का उत्पादन किया है, जो कि एमओयू लक्ष्य का 82.84 फीसदी है।
उन्होंने कहा कि निगम कारपोरेटे सोशल रिस्पॉंस्िबिलिटी के मामले में भी पीछे नहीं है वकरीब 26 करोड़ रुपए की लागत से हिमाचल, बिहार, अरूणाचल और उतराखण्ड में 2357 शौचालयों बनाने का निर्माण किया है।
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