शिमला लोकसभा सीट और कांग्रेस पार्टी
शिमला।लोकसभा चुनावों की तारीखों की घोषणा होने ही वाली है। लेकिन कांग्रेस में अभी भी प्रत्याशियों को लेकर कुछ भी तय नहीं हैं। हालीलाज कांग्रेस व सुक्खू कांग्रेस में मचे घमासान के बीच कांग्रेस के पास चारों ही लोकसभा हलकों में दमदार प्रत्याशी नहीं हैं।
विधानसभा में मिली सीटों के आधार पर शिमला लोकसभा हलके से कांग्रेस को उम्मीद जरूर है लेकिन यहां पर पार्टी प्रत्याशियों के चयन को लेकर असमंजस में हैं।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक हालीलाज कांग्रेस अमित नंदा को लोकसभा चुनाव में मैदान में उतारने की इच्छुक हैं। कहा जाता है कि जब सीबीआइ और ईडी के चंगुल में पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह फंसे थे तो अमित नंदा ने उनकी कई तरह से मदद की थी। तब से वह हालीलाज कांग्रेस के च्वायस बने हुए हैं।
हालांकि 2017 के चुनावों में शिमला ग्रामीण से जब विकमादित्य सिंह चुनाव मैदान में उतारे गए थे तो दो बार के विधायक रहे सोहन लाल ने विकमादित्य सिंह की बहुत मदद की थी। लेकिन हालीलाज कांग्रेस सोहन लाल को शायद ही आगे करे। बेशक सोहन लाल की कांग्रेस के दोनों ही धड़ों में अच्छी पैंठ हैं। इसके अलावा उनकी छवि भी बेहद साफ सुधरी है।
शिमला लोकसभा हलके से सुक्खू का लाड कसौली से कांग्रेस विधायक विनोद सुल्तानपुरी से कम नहीं हुआ है लेकिन अब सरकार संकट में आ चुकी है तो अब उनका पत्ता भी साफ ही लग रहा हैं। विनोद सुल्तान पुरी विधानसभा का चुनाव भी तब जीते थे जब कसौली में भाजपा प्रत्याशी राजीव सैजल के खिलाफ भाजपा का एक धड़ा हो गया था और हालीलाज कांग्रेस के हरदीप बावा को नालागढ़ से टिकट मिल गया था। अब बावा आजाद है। वह लोकसभा चुनावों में सुल्तानपुरी का साथ पूरी शिददत के साथ शायद ही दें। ऐसा कांग्रेसियों के एक खेमे को लगता हैं।
उधर, कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी राजीव शुक्ला की च्वायस सिरमौर जिला से दयाल प्यारी हैं। दयाल प्यारी पहले भाजपा में होती थी व विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने शुक्ला के कहने पर ही उन्हें टिकट दिया था। उन्हें भाजपा की विधानसभा में एकमात्र महिला विधायक रीना कश्यप ने हराया था। चूंकि कांग्रेस के पूर्व मंत्री गंगू राम मुसाफिर बगावत कर गए थे। अभी गंगू राम मुसाफिर के पुत्र ने भी कांग्रेस से टिकट के लिए आवेदन कर रखा हैं।
ऐसे में कांग्रेस के पास शिमला हलके से कोई दमदार प्रत्याशी उभर कर सामने नहीं आ रहा हैं।
ये दीगर है कि शिमला लोकसभा हलके में कांग्रेस का दबदबा हैं। जिला सोलन में विधानसभा की चार सीटें कांग्रेस के पास हैं। जिला सिरमौर में भी पांच में से तीन विधायक कांग्रेस के है। जबकि जिला शिमला में सात में से छह विधायक कांग्रेस के है। इस समीकरण से यह सीट कांग्रेस की मजबूत मानी जा सकती है। लेकिन कांग्रेस के भीतर का घमासान कांग्रेस के खिलाफ है।
इसके अलावा शिमला लोकसभा हलके से कैबिनेट में ही पांच मंत्री है। इनमें विक्रमादित्य सिंह भी शामिल है।इसके अलावा सुक्खू की मित्र मंडली में भी शिमला हलके से नेताओं की भरमार है।
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