लोकतंत्र व सेकुलरिज्म की हिमायत की।
बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन ने बांग्लादेश की ताजा हालातों को लेकर माइक्रो ब्लागर एक्स पर लिखा है कि शेख हसीना ने 1999 में Islamists को खुश करने के लिए मुझे देश से बाहर निकाल फेंक दिया था। तब मैं मौत से जूझ रही अपनी मां को देखने बांग्लादेश में आई थी, उसके बाद हसीना ने मुझे दोबारा अपने ही देश में दाखिल होने की इजाजत नहीं दी। आज वही Islamists छात्र आंदोलन में शामिल है जिन्होंने हसीना को बांग्लादेश छोड़ने पर मजबूर कर दिया।
बाबरी मस्जिद ध्ंवस के बाद बांग्लादेश में भी दंगे हो गए थे व हिंदुओं को निशाना बनाया गया था। उस समय लज्जा जैसा उपन्यास लिखकर तसलीमा नसरीन चर्चित हो गई थी व बांग्लादेश में कटटरपंथियों के निशाने पर आ गई थी। ये कटटरपंथी तसलीमा नसरीन की जान के पीछे पड़ गए थे। वह बड़ी मुश्किल से देश से बाहर निकल पाई थी।
निर्वासित जीवन जी रही इस लेखिका ने लिखा कि शेख हसीना अपनी इस स्थिति के लिए खुद जिम्मेदार हैं।उसने अपने लोगों को भ्रष्टाचार में शामिल होने की खुली छूट दी। उन्होंने कहा कि अब बांग्लादेश पाकिस्तान नहीं बनना चाहिए। सेना को वहां शासन नहीं करना चाहिए। राजनीतिक दलों को लोकतंत्र और सेकुलरिज्म स्थापित करना चाहिए।
एक्स पर उन्होंने तीन अगस्त को लिखा था कि 24 मंत्री व सांसद यूरोप में पहुंच चुके है और जनता सड़कों पर हैं।हसीना फ्रेंकस्टीन की तरह है। उन्होंने बड़े पैमाने पर मस्जिदें व मदरसें खड़े कर दिए जहां पर महिला विरोधी इस्लामी मौलवियों ने युवाओं की बुद्धि भ्रष्ट कर दी। इस तरह उन्होंने इन राक्षसों को पैदा करने में पूरा सहयोग दिया। इसके अलावा हसीना ने इस्लामिक स्कूल डिग्री को सेकुलर यूनिवर्सिटी डिग्री के समकक्ष बना दिया। अग यही राक्षस हसीना को देश छोड़ने के लिए मजबूर कर रहे हैं।
उन्होंने 1 अगसत को एक्स पर लिखा था कि हसीना सराकर जमात ए इस्लामी पर पांबदी लगाना चाहती है। इससे कोई लाभ होने वाला नहीं है। इसके उल्ट धर्म आधारित राजनीति पर पाबंदी लगनी चाहिए और राज्य धर्म को संविधान से हटा देना चाहिए। उन्होंने कहा कि हसीना सरकार ने पिछले 16 सालों में इस्लामीकरण कर जमाते इस्लामी का एजेंडा पूरा किया हैं।
(30)