नई दिल्ली। मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्तियों में सरकार की भूमिका को दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की मोदी सरकार को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से चार सप्ताह के भीतर जवाब तलब किया है।याचिका में मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्तियों में सरकार की एक्सक्लूसिव भूमिका को चुनौती दी थी व पारदर्शी तंत्र विकसति करने का आग्रह किया है।
याचिका कर्ता अरुण बरनवाल ने की ओर से मुख्यन्यायाधीश की बेंच में पेश हुए वकील प्रशांत भूषण ने चुनाव आयुक्त की नियुक्तियों की प्रक्रिया को स्वतंत्र बनाने की जरूरत है और इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश,प्रधानमंत्री और नेता विपक्ष की एक कमेटी बननी चाहिए।
उन्होंने दलील दी कि लॉ कमिशन,प्रशासन सुधार आयोग,चुनाव सुधार पर गठित समिति ने सिफारिशें की है इस तरह की समिति बननी चाहिए।
ये सब इस पृष्ठभूमि है कि एनजेएसी में कार्यकारी की भूमिका से न्यायपालिका की स्वतंत्रता से समझौता हो रहा है।सुप्रीम कोर्ट विचार करेगा मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनारव आयुक्तों की नियुक्ति क्या सरकार के अधिकार है,क्या ये चुनाव आयोग की स्वतंत्रता से समझौता है।
केंद्र की मोदी सरकार को इस मसले पर चार सप्ताह में जवाब दायर करने के निर्देश दिए है।
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