शिमला। सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री डी के शिवकुमार के खिलाफ केंद्र सरकार की जांच एजेंसी ईडी की ओर से चलाई गई जांच को खारिज कर दिया हैं। इडी ने अरसा पहले शिवकुमार को सम्मन भेजा था जिसके खिलाफ इस कांग्रेस नेता ने कर्नाटक हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। सम्मन को रदद नहीं किया था। हाईकोर्ट के इस फैसले को शिवकुमार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी। आज सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस सूर्याकांत व के विश्वनाथ की पीठ ने इस सममन को रदद कर दिया।
यह मामला 2017 से जुड़ा है जब आयकर विभाग ने शिवकुमार व अन्यों के दिल्ली से लेकर कर्नाटक तक कई ठिकानों पर कर चोरी को लेकर छापेमारी की थी । आयकर विभाग ने उस दौर शिवकुमार की साढ़े आठ करोड़ से ज्यादा की रकम को जब्त कर लिया था। इसकी एवज में आयकर विभाग ने 41 लाख की देनदारी बनाई । बाद में आयकर विभाग ने अदालत में चार्जशीट दायर कर दी और उसके बाद 2018 में ईडी ने अपनी कार्यवाही शुरू कर दी।
याद रहे हिमाचल में कांग्रेस विधायकों की ओर से क्रास वोटिंग करने के बाद सरकार के अस्थिर हो जाने की स्थिति में कमान शिवकुमार को ही दी थी।
उन्होंने दिल्ली से चलने से पहले ही साफ कर दिया था कि लोकसभा चुनावों तक मुख्यमंत्री नहीं बदलेगा । वित विधेयक पर सरकार न गिरने की स्थिति में हालीलाज कांग्रेस और बागी विधायक मुख्यमंत्री को बदलने की मांग कररने लगे थे। कांग्रेस आलाकमान का एक धड़ा भी इसे हवा देने लगा था। लेकिन शिवकुमार न तो हालीलाज कांग्रेस के आगे झुके और न ही बागियों के आगे। नतीजतन प्रदेश में अब तक सरकार बची हुईहै। क्रास वोट करने वाले विधायकों की सदस्यता रदद हो चुकी हैं।हालीलाज कांग्रेस का युवराज दिल्ली की गलियों में हैं।
बेशक सरकार अभी भी खतरे में है लेकिन कांगेस नेता शिवकुमार को सभी याद कर रहे हैं। अब साफ हो गया है कि मनी लांड्रिंग का मामला झूठा ही था अन्यथा सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिलती।
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