शिमला। पूर्व प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी की पाेती और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की पुत्री प्रियंका गांधी की ओर से ब्रिटिश राज की राजधानी शिमला के समीप हिल स्टेशन छराबड़ा में बनाए जा रहे बंगले का राज अब राज नहीं रह पाएगा। ये राज दस दिनों के भीतर खुल जाएगा। आयोग ने सूचना में देरी करने के लिए वीरभद्र सिंह सरकार के दोषी बाबूओं के खिलाफ पैनाल्टी लगाने का आदेश भ्ीदिया। इस बारे 15 दिनों का समय दिया गया है।अगली सुनवाई 23जुलाई को रखी गई है।
ये सब संभव हुआ प्रदेश सूचना आयोग की फुलबैंच के एक फैसले से।प्रियंका गांधी ने प्रदेश की वीरभद्र सिंह सरकार व सूचना आयोग से गुहार लगाई थी कि सुरक्षा की नजरिए से उनके बंगले की जानकारी आरटीआई के तहत न दी जाए। इस पर आरटीआई एक्टिविस्ट देवाषीश भटटाचार्य ने आयेाग में अपील फाइल कर दी थी।
राज्य सूचना आयोग की फुल बैंच जिसमें मुख्य सूचना आयुक्त भीम सिंह व सूचना आयुक्त के डी बातीश शामिल रहे ने जनसूचना अधिकारी को दस दिन के भीतर आरटीआई एक्टिविस्ट की ओर से मांगी सारी सूचना देने के आदेश दिए है। बैंच ने कहा कि आरटीआई में सुरक्षा के आड़ में सुचना न देने का प्रावधान नहीं है। आरटीआई के तहत प्रियंका गांधी की जमीन और बंगले का रिकार्ड मांगा गया था। इसमें सेल डीड की रजिस्ट्रेशन के कागजात,लैंड का स्टेटस और 118 के तहत दी गई मंजूरी के दस्तावेज मांगे गए थे।
इससे पहले21 जुलाई 2014 को एडीएम शिमला ने तहसीलदार ग्रामीण को सूचना देने के आदेश दिए थे।लेकिन प्रियंका गांधी की ओर से एक अजी्र आने पर अगस्त 2014 को एडीएम ने अपने आदेश बदल दिए।
एडीएम ने 2 अगस्त 2014 को प्रियंका गांधी के स्पेशल पावर आफ अटार्नी केहर सिंह खाची को नोटिस जारी कर इस मामले में सूचना मुहैया कराने के लिए प्रियंका गांधी की मंजूरी मांगी। इस बीच सात अगस्त को तहसीलदार ने आरटीआई एक्टिविस्ट से 30 पन्नो की फीस मांग ली। एडीएम ने 25 अगस्त 2014 को भटटाचार्य को सूचना दी कि सुरक्षा कारणों से इस मामले की सूचना मुहैया नहीं कराई जा सकती। एडीएम ने कुछ सूचना दे दी। इस परसितंबर 2014 में भटटाचार्य ने डीसी के समक्ष अपील कर दी। साथ ही कहा कि सूचना न देने की दलील न्यायोचित नहीं है। चूंकि गूगल मैप पर पहले ही सब कुछ है।
डीसी ने 28 अक्तूबर को कहा कि केहर सिंह खाची अर्जी आने के समय प्रियंका के स्पेशल पावर ऑफ अटार्नी नहीं थे और उन्होंने एडीएम को अर्जी को नए सिंरे से निपटाने के आदेश दे दिए। इस पर भ्ज्ञटटाचार्य ने 19 नवंबर 2014 को सूचना आयोग में अपील कर दी। जिस पर आज आयोग की फुलबैंच ने अपना फैसला सुना दिया। हालांकि अभी प्रियंका गांधी के पास हाईकोर्ट में जाने का रास्ता बचा है।
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