शिमला।पावर कारपोरेशन के दिवंगत चीफ इंजीनियर विमल नेगी की रहस्य मौत की जांच कर रही शिमला पुलिस ने इस मामले में आरोपी पावर कारपोरेशन के तत्कालीन एमडी आइएएस हरिकेश मीणा, निदेशक इलेक्ट्रिकल देशराज और निदेशक प्रशासन शिवम प्रताप शिवम के तमाम सरकारी और निजी ठिकाने खंगाले नहीं इस बावत दो मई को प्रदेश हाईकोर्ट में दायर पुलिस स्टेटस रपट में कोई जिक्र नहीं हैं।
कायदे से जांच टीम को इन सभी आरोपियों के निजी आवासों में भी छापेमारी की जानी चाहिए थी और मामले में सुनील ग्रोवर की ओर से अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह ओंकार शर्मा के सामने दी गई गवाही में लगाए गए इल्जामों से जुड़े सबूत तलाश करने चाहिए थे।
संदेह जताए जा रहे है विमल नेगी की मौत के पीछे भ्रष्टाचार मूल में हैं।
पुलिस ने विमल नेगी के कार्यालय में तो सर्च की व तमाम तरह के दस्तावेज भी कब्जे में लिए लेकिन आरोपियों के दफतरों से भी कुछ कब्जे में लिया है इस बावत हाईकोर्ट में दायर स्टेटस रपट में कोई जिक्र नहीं किया गया हैं। इसके अलावा मीणा, शिवम प्रताप सिंह और देशराज के शिमला स्थित आवासों में कोई तलाशाी ली गई है। इस बावत भी कोई जिक्र नहीं हैं।
जबकि पुलिस ने विमल नेगी के न्यू शिमला में कंगणाधार में स्थित फलैट की जांच के दौरान तलाशी ली जो थोड़ा हैरान करने वाली है। ये तलाशी विमल नेगी की पत्नी और उनके रिश्तेदारों की मौजूदगी में ली गई। इस दौरान एसआइटी ने एक लैपटॉप और कुछ दवाएं जब्त की।
लेकिन पुलिस ने मीणा के जयपुर स्थित घर, शिवम प्रताप सिंह के घर और देशराज के घरों की भी तलाशी ली है इस बावत स्टेटस रपट में कोई जिक्र नहीं हैं। जबकि अमूमन पुलिस आरोपियों के ठिकानों पर छापेमारी करती हैं। यहां पुलिस ने ऐसा किया है ये नहीं ये सामने नहीं आया हैं।
पुलिस ने आरोपियों देशराज, मीणा और शिवम प्रताप सिंह के लैपटॉप,पेन ड्राइव(अगर किसी के पास कोई है तो)इनके आइ फोन और बाकी इलेक्ट्रिकल उपकरण कब्जे में लिए है या नहीं इसका भी स्टेटस रपट में जिक्र नहीं हैं। मीणा ने देशराज को क्या आदेश दिए,देशराज ने आगे क्या कहा और मीणा को कहां से किस तरह के आदेश आए इस बावत कुछ पता इन आरोपियों के उपकरणों से लने की संभावना हैं।
पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष मुख्य सचिव है और मंत्री खुद मुख्यमंत्री है, ऐसे में क्या मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री से भी मीणा को कोई आदेश आते रहे हैं। ये सब कुछ जांच में सामने आना चाहिए।
कायदे से आरोपियों की तो हर चीज खंगाली जानी चाहिए। तमाम तरह की संपतियों से लेकर उपकरणों तक। तब कहीं जाकर कुछ सुराग मिल सकते हैं।
याद रहे पुलिस जांच को लेकर पहले ही विमल नेगी की पत्नी किरण नेगी इल्जाम लगा चुकी है कि पुलिस नेगी के घरों व खातों की जांच कर रही है । जबकि जांच आरोपियों के ठिकानों और खातों की होनी चाहिए।
इसके अलावा इन आरोपियों के पॉलीग्राफ व अन्य टेस्ट कराने को लेकर भी अदालत से मंजूरी के लिए कोई अर्जी दायर नहीं की गई हैं।
पुलिस को पता ही होना चाहिए कि आरोपी हाइ प्रोफाइल शख्सियतें है। मीणा तो आइएएस के साथ आइआइटीएन भी हैं। अफसरों का बड़ा नेटवर्क होता हैं।
याद रहे पुलिस ने पिछली स्टेटस रपट में इशारा किया था कि पावर कारपोरेशन के किसी प्रोजेक्ट के एक्सटेंशन आफ टाइम को बढ़ाने का मामला संदेह के घेरे में हैं।भ्रष्टाचार की ओर भी इशारा किया गया था।बहरहाल इस स्टेटस रपट में इस बावत कुछ भी नहीं हैं। बस फारेसिंक लैब से रपटों के इंतजार का जिक्र किया गया हैं।
पुलिस ने अपनी स्टेटस रपट में कहा कि जांच के दौरान पुलिस ने पावर कारपोरेशन के करीब तीस कर्मचारियों के बयान लिए ।
स्टेटस रपट में ये भी कहा गया है कि देशराज विमल नेगी का सुपीरियर अफसर था और मीणा देशराज का सुपीरियर अफसर था जबकि शिवम प्रताप सिंह निदेशक कार्मिक और वित थे , उसका नेगी से कोई सीधा लेना देना नहीं था ।अगर ऐसा था तो 53 काल्ज शिवम प्रताप सिंह ने क्यों की थी, ये बड़ा सवाल हैं।
हालांकि पुलिस ने इस मामले में मीणा की जमानत याचिका का खारिज करने की मांग प्रदेश हाईकोर्ट से की है । लेकिन साथ ही कहा है कि मीणा जांच में सहयोग कर रहा है एसआइटी की ओर से जब जांच के लिए बुलाया जाता है वो इसमें शामिल हो रहा हैं। अब इस स्टेटस रपट पर 15 मई को विचार किया जाना है।याद रहे देशराज को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से 22 जुलाई तक अंतरिम जमानत मिली हुई हैं।
प्रदेश हाईकोर्ट में विमल नेगी की पत्नी किरण नेगी ने पुलिस जांच को पहले ही कटघरे में खड़ा किया हुआ है और हाईकोर्ट में मामले की सीबीआइ जांच की मांग को लेकर याचिका दायर की हुई हैं। हाईकोर्ट में इसी याचिका की सुनवाई दो मई को हुई थी व मामले को सीबीआइ को भेजना है या नहीं इस बावत अब पुलिस की स्टेटस रपट पर 15 मई को गौर किया जाना हैं।
अब 15 मई को इस मामले में विमले नेगी के वकीलों की ओर से क्या दलीलें दी जाती है ये बेहद महत्वपूर्ण हो जाता हैं।
हैरानी जनक ये है कि इस मामले में तमाम तरह के भ्रष्टाचार के संकेत मिल रहे है लेकिन सुक्खू सरकार ने भ्रष्टाचार को लेकर किसी तरह की जांच के आदेश अभी तक नहीं दिए हैं। ये सुक्खू सरकार और उनके वरिष्ठ नौकरशाहों को कटघरे में खड़ा कर देता हैं। पुलिस तो इस मामले में विमल नेगी को आत्महत्या के लिए उकसाने की जांच कर रही है। भ्रष्टाचार की जांच तो विजीलेंस को करनी है या फिर सीबीआइ कुछ कर सकती है अगर हााईकोर्ट से मामला सीबीआइ को गया तो।
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