शिमला। कोरोना विषाणु की वजह से चंडीगढ़ में पीजीआइ व अन्य अस्पतालों में फंसे मरीजों,जो ठीक हो चुके है व जिन्हें अस्पतालों से छुटटी मिल गई है,उन्हें राहत की खबर है। आखिर में प्रदेश सरकार इन्हें प्रदेश में लाने के लिए मान गई है।
बीते रोज चंडीगढ़ के प्रशासक के सलाहकार व आइएएस अधिकारी मनोज परिदा ने टवीट कर प्रदेश की जयराम सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया था। उन्होंने टवीट में कहा था के पड़ौसी राज्य हिमाचल पीजीआइ जैसे अस्पताल में स्वस्थ्य हो चुके मरीजों को केंद्र सरकार की ओर से लगाई बंदी का हवाला देकर अपने प्रदेश में ले जाने को तैयार नहीं है। इसकी वजह से ये स्वस्थ मरीजों पीजीआइ में बैड छोड़ने को तैयार नहीं है।ऐसे में अस्पताल के बैड खाली नहीं हो रहे है।
Neighboring states like himachal have refused to take them now saying central govt has banned interstate movement.our hospital beds remaining blocked as discharged non covid patients not leaving.
इस टवीट ने जयराम सरकार को हिला कर रख दिया व आनन फानन में प्रदेश सरकार ने हां कर दी।
इस टवीट के बाद आज प्रदेश सरकार की ओर से मुख्य सचिव अनिल खाची ने चंडीगढ़ प्रशासन को बताया कि ऐसे मरीजों व इंमरजेंसी में जिन की मौत हो चुकी है ,उन्हें प्रदेश में लाने की इजाजत दे दी है। इससे अस्पतालों में फंसे मरीजों व उनके परिजनों को राहत को तो राहत मिली ही है, साथ में अस्पताल प्रशासन ने भी राहत की सांस ली है। प्रदेश सरकार की ओर से चंडीगढ़ प्रशसन को जानकारी देने के बाद परिदा ने टवीट कर कहा कि लगता है टवीट आश्चर्यजनक काम कर रहा है।
Good news,a communication has been received from himachal govt that they will take discharged patients and emergency death /marriage related travellers..
…Seems tweets are doing wonders
याद रहे चंडीगढ़ में बहुत छात्र है जो वहां पर फंस गए है व वह अपने घरों को लौटना चाह रहे है। इन छात्रोंको इनकेमाता पिता अपने निजी वाहनों में लाने के लिए भी तैयार है। लेकिन इजाजत नहीं मिल रही है।इसके अलावा प्रदेश के भीतर भी विभिन्न जिलों में बहुत से लोग फंसे हुए व ये लोग अपने-अपने घरों को लौट जाना चाहते है। ये कोरोना विषाणु से ग्रस्त भी नहीं है और हॉट स्पाट वाले इलाकों में भी नहीं है। लेकिन जयराम सरकार व उनके नौकरशाह इन्हें भी निकालने का रास्ता नहीं खोज पा रही है।
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