शिमला। सरकार धूमल की कमान में भाजपा की हो या वीरभद्र सिंह की कमान में कांग्रेस की। दलितों के पक्ष में दोनों ही नहीं है। सरकारी बाबूओं और ठेकेदारों ने जेब में पैसे डाले और अपना धंधा चमकाने आगे चल दिए।दलितों का क्या हुआ ये न डीसी ने जाना न बीडियो ने और न ही एसडीएम और एमएलए ने । बीडियो ऑफिस के जेई और सिंचाई विभाग के एक्सीन के तो कहने ही क्या।सब के सब एक से बढ़ कर खिलाड़ी है।
खेल जिला सोलन की ग्राम पंचायत पलानिया के गांव शिलड़ू का है जहां पर पंचायत ने पूर्व की वीरभद्र सिंह सरकार के कार्याकाल में 80 हजार रुपए से पीने के पानी के लिए एक टैंक का निर्माण किया। लेकिन तब से लेकर अब तक इस टैंक में एक बूंद पानी भी नहीं पहुंचा है। दलितों के इस गांव के लोगों को ये जानकारी ही नहीं है कि इस टैंक में पानी क्यों नहीं डाला जा रहा है।
मामला कई दफा स्थानीय एमएलए से लेकर अफसरों तक के नोटिस में लाया गया लेकिन कहीं कुछ नहीं हुआ। देखते-देखते 80 हजार रुपया बर्बाद हो गया। रिपोर्टर्ज आइ डॉट कॉम ने जब आईपीएच विभाग अर्की के एक्सीन से दरयाफ्त की तो उन्होंने जो खुलासा किया वो चौंकाने वाला था।
एक्सीन ने कहा कि उनके पास उनके जेई की रिपोर्ट है जिसमें ये कहा गया है कि इस टैंक में पानी ठहर ही नहीं सकता है। इसलिए विभाग ने इसमें पानी नहीं डाला।लेकिन एक्सीन के दावे पर इस दलित गांव के लोग सवाल उठाते है।
ग्रामीणों का कहना है कि विभाग ने तो इसमें कभी पानी डाला ही नहीं तो विभाग को कैसे पता चला कि इसमें पानी ठहर ही नहीं सकता।ग्रामीण आज भी इंतजार कर रहे है कि उनके गांव के इस टैंक में पानी कभी तो पानी आएगा।यही नहीं आईपीएच विभाग ने बीडियो ऑफिस व पंचायत को ये जानकारी दी भी है या नहीं कि इस टैंक में पानी ठहर नहीं सकता,ये किसी को पता नहीं है।
उधर बीडियो ऑफिस कुनिहार के जेई राकेश कुमार कहते है के ये टैंक अस्सी हजार रुपए से बना था तो उन्होंने इसे ठीक बनाया था पानी तो आईपीएच विभाग ने डालना था। ब्लाक आफिस और आईपीएच विभाग के तकनीकी बाबू अब जिम्मेदारी एक दूसरे पर डाल रहे है।डाले भी क्यों न आखिर बाबू तो बाबू ही होते है।इस टैंक का निर्माण हुआ तब पंचायत का प्रधान दलित ही था। टैंक बन जाने के बाद इस टैंक में पानी पहुंचा या नहीं ये जानने की जहमत इस दलित पूर्व प्रधान ने भी नहीं उठाई।
एक्सीन आईपीएच अर्की कहते है कि गांव के अलग से पानी की लाइन है लेकिन गांव वाले बताते है कि पानी कभी सप्ताह में एक बार आता तो कभी पंद्रह दिनों में एक बार। जबकि आईपीएच के एक्सीन व बीडियो ऑफिस के जेई के घर रोजाना पानी आता है।कुनिहार ब्लाक में ऐसे न जाने कितने टैंक है जो पानी की बूंदों को तरस रहे है।तकनीकी बाबूओं,ठेकेदारों और नेताओं को इसकी फिक्र भी कतई नहीं है। गांवों में चल रहे ये खेल उंगली उठाते हैं तो बस सता में रहे मुख्यमंत्रियों पर उठाते है। चाहे फिर वो प्रेम कुमार धूमल हो या वीरभद्र सिंह। क्योंकि इन्हीं ने उपर से नीचे तक प्रशासन का एक ऐसा ढर्रा बना रखा है जो किसी को जवाबदेह नहीं है।
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