शिमला।पावर कारपोरेशन के चीफ इंजीनियर विमल नेगी की मौत ने साबित कर दिया है कि प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार के शासन में तंत्र में कितना जहरीला माहौल बन चुका है। इस जहरीले माहौल की वजह से संभवत: विमल नेगी की मौत हुई हो लेकिन ये एक अकेला मामला नहीं हैं।
एनर्जी विभाग में चपड़ासी बुधराम भी सुसाइड के मुहाने पर हैं। उसे पिछले यानी2024 के सितंबर महीने से लेकर अब तक वेतन नहीं मिला हैं। जब हरिकेश मीणा एनर्जी निदेशालय के निदेशक थे वो उन्होंने चपड़ासी बुधराम को रिप्रैट्रिएट कर दिया था। ये वाक्या पांच सितंबर 2024 का है। बुधराम सात सिंतबर को नौणी विवि जो उनका मूल विभाग था वहां ज्वाइंनिंग देने चले गए। लेकिन विवि ने कानून का हवाला देकर उनकी ज्वाइनिंग नहीं ली और उन्हें वापस एनर्जी निदेशालय भेज दिया।
नौ सितंबर 2024 को बुधराम ने एनर्जी निदेशालय में ज्वाइंनिंग दे दी। उनकी ज्वाइंनिंग ले भी ली गई लेकिन उस पर आज तक क्या किया गया ये किसी को पता नहीं हैं। बुधराम कार्यालय आता रहा लेकिन बायोमैट्रिक्स से उसकी हाजिरी का आप्शन हटा दिया गया। बावजूद इसके वो अक्तूबर तक कार्यालय आता रहा।
रिपैट्रिएट करने से पहले से उसे एक शो काज नोटिस दिया गया था कि वो छुटटी मंजूर कराए छुटटी पर चला गया था। ये मई महीने का वाक्या है । लेकिन बुधराम ने अपनी अर्जी अफसरों को दी थी। चूंकि निदेशक मीणा थे तो वो उस दौरा चुनाव डयूटी पर चले गए थे। इन छुटिटयों समेत उन्हें मई, जून जुलाई में तनख्वाह मिलती रही।
लेकिन बाद में कुछ हुआ व बुधराम को निशाने पर ले लिया गया। ये क्या हुआ, इसी की जांच कराने की जरूरत हैं व जिस तरह से विमल नेगी मौत की जांच अतिरिक्त मुख्य सचिव ओंकार शर्मा कर रहे है । इस मामले को भी उसी के साथ जोड़ कर जांच कराने की जरूरत है ताकि पता चल सके कि प्रदेश में नौकरशाही ने क्या हाहाकार मचा रखा है । कहीं दास प्रथा तो नहीं चल रही हैं वो भी जनता के पैसे के दम पर।तभी किस अफसर के कुत्ते का इलाज पालमपुर में हुआ और सरकारी कर्मचारी कुत्ते को लेकर पालमपुर में एक सप्ताह तक रहे, जैसे मामलों से भी पर्दा उठ पाएगा।
बहरहाल, सितंबर महीने से उनकी हाजिरी लगानी बंद कर दी गई।
उसकी हाजिरी किसके आदेश पर रोकी गई ये आज तक किसी को पता नहीं हैं। निदेशालय ने एक चिटठी सचिवालय पावर को लिखी की बुधराम को रिपैट्रिएट करने के मामले को वित विभाग के समक्ष उठाया जाए। सितंबर से लेकर अब तक इन चिटिठयों पर सचिवालय के बाबूओं ने क्या किया किसी को पता नहीं हैं।लेकिन ये चिटठी लिखी ही नहीं जा सकती थी क्योंंकि सरकार को कोई कानून ही नहीं हैं। बावजूद इसके ये चिटठी लिखी गई और बुधराम को बुरी तरह से प्रताडि़त होना पड़ा। ये चिटठी गैरकानूनी है ये न तो सचिवाााल में बिजली महकमे के किसी बाबू न मसला उठाया और न ही वित विभाग ने कुछ कहा। चूंकि इस बावत वित विभाग से पहले ही चिटिठयां तमाम विभाागों को भेजी जा चुकी थी।
बहरहाल,जब हाजिरी नहीं लगी तो बुधराम घर बैठ गए व इंतजार करते रहे है उनके मामले में कुछ तो होगा। इस दौरान वो सरकार में किस विभाग के कर्मचारी रहे ये सुक्खू सरकार में आज तक किसी को पता नहीं हैं। बुधराम नियमित कर्मचारी थे। जिन नियमों के तहत बुधराम जैसे हजारों कर्मचारी 2015 -16 में सरप्लस होकर दूसरे विभागों में गए थे, उन्हें दोबारा से रिपैट्रिएट नहीं किया जा सकता था। लेकिन बावजूद इसके मीणा व उनकी मंडली ने ये सब किया।
नतीजा ये हुआ कि बुधराम को सितंबर 2024 का पांच दिन का ही वेतन मिला व उसके बाद से आज तक उसे वेतन नहीं मिला हैं।उनका वेतन किस कानून व किस आदेश के तहत रोका गया है ये किसी को पता नहीं हैं। विभाग के अफसर इस बावत कुछ बताते भी नहीं।ये टॉप सीक्रेट रखा गया हैं।
इस मामले को reporterseye.com ने उठाया व बुधराम बिजली सचिव राकेश कंवर से भी मिले । उसके बाद मार्च महीने के पहले सप्ताह में वो नौकरी पर तो चले गए हैं लेकिन उनकी पिछले तनख्वाह पर कहीं कोई कुछ नहीं हो रहा हैं। उन पर मौखिक तौर पर कभी माफी मांगने और कभी सितंबर 2024 से मार्च2025 तक छुटिटयां देने को कहा जा रहा हैं। लेकिन बड़ा सवाल यही है कि बुधराम ने किया क्या है और अगर कुछ किया है तो उसकी जांच रपट कहां है। जांच अधिकारी कौन था। फाइंडिंग भी तो होनी चाहिए।
राकेश कंवर से मिलने के बाद जो चिटठी विशेष सचिव अरविंदम चौधरी ने निदेशालय को लिखी उसमें ये साबित करने की कोशिश की गई कि बुधराम के मामले में दया दिखाई गई हैं। लेकिन बुधराम ने किया क्या था इस बावत कहीं कुछ नहीं बताया गया हैं। कोई जांच रपट कहीं नहीं हैं।
विमल नेगी की मौत के बाद इस मामले को राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी के संज्ञान में भी लाया गया है। कायदे से तो नेगी को बुधराम को अपने पास बुला कर पूरा मामला समझना चाहिए था व इस पूरे मामले की जांच करा कर मीणा समेत तमाम करामातें दिखाने वाले अफसरों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही करनी चाहिए थी। चूंकि चपड़ासी को मंत्री तक पहुंच बनाना आसाान नहीं होता है जबकि मंत्री का एक ईशारा चपड़ासी को मंत्री के पास पहुंचा देता हैं। उनके स्तर पर शायद कुछ हुआ होगा लेकिन विमल नेगी की मौत के बाद अब डर यही रहता है कि कोई और हादसा देखते –देखते न हो जाए।
चूंकि सुक्खू राज में कोई जांच होंगी, ऐसा लगता नहीं हैं। मीणा व प्रदेश में करामात दिखाने वाले बाकि अफसरों को लेकर कर्मचारी यूनियनों ने बहुत कुछ सुक्खू को बार –बार बताया है लेकिन सुक्खू अपनी की धून के मालिक है और तभी विमल नेगी जैसे हादसे प्रदेश को गमगीन कर जाते हैं।
बहरहाल,विमल नेगी मामले के बाद बुधराम मामले की जांच होगी अब तो ऐसी उम्मीद की जानी चाहिए। पावर कारपोरेशन की तरह ही एनर्जी विभाग भी मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के ही अधीन है।
सरकार को अपने लाडले अफसरों पर पैनी नजर रखनी चाहिए । कुछ लाडले अफसर खुद को खुदा समझ लेते हैं।अब कर्मचारी अपनी प्रताड़ना के पुराने किस्से भी सुनाने लगते है। ऐसा ही एक किस्सा बददी के किसी विभाग का था। जहां पर एक प्रेग्नेंट महिला कर्मचारी को अजीब तरीके से प्रताडि़त किया जाता था। उसका साहब फाइल पर साइन करता उसे बांधता और फाइल को नीचे जमीन फेंक देता था। महिला कर्मचारी ने उससे कहा कि चूंकि उससे झुका नहीं जाता तो वो फाइल मेज पर ही रहने दे, वो वहां से उठा लेंगी।इस पर वो हंसने लगता व सिलसिला चलता रहता। उसने इसकी शिकायत बड़े साहब से कर दी । तो बड़े साहब ने बोला कि अगर मैं ऐसा करूं तो फिर तू कहां शिकायत करेगी। महिला अवाक रह गई ।इसके अलावा पर्यटन निगम कर्मचारी यूनियन के ततकालीन महासचिव ओम प्रकाश गोयल के साथ धूमल से लेकर बाली तक और बाकी नौकरशाहों ने कया किया था वे तो सुखियों में रह चुका हैं।
हिमाचल विधानसभा की रिपोर्टर वैशाली ठाकुर का कांड तो सुर्खिया में रहा था व तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी तक पहुंचा था। ऐसे में नेताओं व सरकारों को अपने लाडले अफसरों पर पैनी नजर रखनी चाहिए चाहे फिर वो मीणा हो या देशराज या कोई और।
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