शिमला। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यून बैंच ने सोलन एमसी के अफसरों के रवैये का कड़ा नोटिस लेते हुए एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। बैंच ने प्रदेश के सचिव शहरी विकास को आदेश दिए कि वो चारस सप्ताह के भीतर इस पैसे की रिकवरी करे। शुरू में ये राशि एमसी सोलन अदा करेगी। बाद में एसडीओ,जेई,सेनिटेशन इंस्पेक्टर व ठेकेदार से वसूल की जाए। बैंच ने कहा कि ठेकेदार इस राशि का 50 फीसद तक भुगतान करेगा।
बैंच ने करण सिंह बनाम सरकार मामले की सुनवाई करते हुए एमसी सोलन के अफसरों के गैरजिम्मेदाराना रवैये को भी सामने लाया है। करण सिंह की ओर से मामले की पैरवी हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील जेएस भोगल व टी एस भोगल ने की।
ग्रीम बैंच के समक्ष एमसी सोलन के वकील ने कहा कि वेस्ट को नहीं जलाते है।बैंच ने कहा उनके नोटिस में ये तथ्य आया है कि हाईकोर्ट के आदेशों के बाद भी सलोगड़ा में खुले में कचरा जलाया जा रहा है। यहां पर जहरीली गैसें निकल रही है।एमसी सोलन की ओर से दिलचस्प दलील दी गई की साइट पर कोई शख्स अंदर घुसा और और कचरे में आग लगा दी ।
इससे पहले 7 दिसबंर 2012 को हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि एमसी सोलन की ओर से गुमराहपूर्ण शपथपत्र पेश किया गया।हाईकोर्ट
ने अपने आदेश में कहा था कि यहां पर कचरा न जलाया जाए। बैंच ने आब्जर्व किया कि ये कचरा आज भी जलाया जा रहा है।इस मौके पर इंस्पेक्टर ने कहा कि कचरे को शिमला और चंडीगढ़ ले जाने का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है।
ग्रीन बैंच ने अपने आदेश में लिखा है कि बैंच ने बीते दिन कार्यकारी अफसर को बुलाया था। बेंच को बतायागया कि ईओ का तबादला हो गया है और नए ईओ ने ज्वाइन नहीं किया है।बैंच के बुलाने पर किसी और अफसर को अदालत नहीं भेजा गया। अदालत में मौजूद इंस्पेक्टर से बैंच ने सवाल पूदे लेकिन वो कोई जवाब नहीं दे पाया।बैंच ने एमसी के अफसरों की इस तरह की हरकतों को देखते हुए एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया।
इसके अलावा ग्रीन बैंच ने एमसी की कई हिदायतें दी और 7 दिसबंर2013 के हाईकोर्ट के आदेशों की पालना करने के आदेश दिए है।
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