शिमला। हिमाचल प्रदेश वामपंथ में भयंकर घमासान शुरू हो गया है। वामपंथी संगठनों में दरारें उभर कर सामने आ गई और एक के बाद एक करके संगीन इल्जामों के बीच वापमंथ से जुड़े संगठनों के नेताओं को संगठनों से बाहर निकालने और इस्तीफों का दौर शुरू हो गया हैं। इसके अलावा अब सीटू में समानंतर संगठन खड़ा करने का काम हो रहा हैं।
सीटू ने आज अनुशासनहीनता के नाम पर सीटू राज्य कमेटी के सदस्य बिहारी सेवगी,किन्नौर सीटू के जिलाध्यक्ष दिनेश नेगी और उपाध्यक्ष जीवन नेगी को सीटू से तुरंत प्रभार से निष्कासित करने का फरमान जारी किया हैं।सीटू के प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने कहा कि ये तीनों संगठन के संविधान को खुली चुनौती दे रहे हैं।इसलिए इन्हें बाहर का रास्ता दिखाया गया हैं। लेकिन दूसरी ओर सेवगी ने कहा कि उन्होंने 13 मार्च को ही इस्तीफा दे दिया था।
रामपुर में सीटू के मुख्य नेता बिहारी सेवगी 23 फरवरी को अपने पद इस्तीफा देकर 13 मार्च को कांग्रेस के मजदूर संगठन इंटक में चले गए हैं । उनकी पीठ पर कांग्रेस सांसद व कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष प्रतिभा सिंह से लेकर उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने हाथ रख दिया है और उन्हें इंटक का प्रदेश उपाध्यक्ष बना दिया हैं। जाहिर है यह रामपुर से किन्नौर व लाहुल स्पिति के काजा- लोसर तक फैली वामपंथ की जड़ों को कमजोर करने वाला हैं। सेवगी 1999 से सीटू में थे उन्होंने रामपुर से लेकर किन्नौर व लाहुल स्पिति में वामपंथ को मजबूत करने के लिए बहुत काम किए हैं लेकिन उनका इल्जाम है कि उन्हें राज्य सचिवालय की ओर से लगातार दरकिनार किया जाता रहा हैं।
बड़ा व संगीन इल्जाम यह भी लगाया गया कि सीटू के पैसे को माकपा के खाते में गलत तरीके से डाला गया हैं।
सेवगी ने reporterseye.com से बात करते हुए माकपा के राज्य सचिव ओंकार शाद पर संगीन इल्जाम लगाते हुए कहा कि शाद अपने लोगों को आगे करते हुए गुटबाजी को बढ़ाना देने का काम कर रहे हैं। वह चम्मचों को आगे कर रहे है जबकि जिन्होंने वामपंथ के लिए जमीनी स्तर पर काम किया उन्हें बाहर धकेला जा रहा हैं।
शाद के साथ –साथ वह माकपा के पूर्व विधायक व प्रदेश में वामपंथ के बडे़ चेहरे राकेश सिंघा पर भी इल्जाम लगाने से पीछे नहीं हटे। उन्होंने कहा कि सिंघा के चुनावों में उन्होंने अपने स्तर पर काम किया व 55 हजार रुपए एकत्रित किए। जमीन पर जन संगठन कहीं थे ही नहीं । उन्हें कोई तरजीह भी नहीं दी गई।
राज्य सचिवालय की ओर से रामपुर व ननखड़ी में उनके विरोध के बावजूद संगठन को खड़ा करने की कोशिश की हैं जबकि इन जगहों पर संगठन का कहीं कुछ है ही नहीं।
सीटू के महासचिव प्रेम गौतम और सीटू के शिमला जिला के अध्यक्ष कुलदप सिंह पर उन्होंने कई इल्जाम लगाए और कहा कि उनके आरोपों की कोई जांच नहीं की गई। उन्होंने कहा कि 23 फरवरी को अपना इस्तीफा देने के बाद उनसे कशमीर सिंह, अजय दुल्टा और जगत राम ने बात की लेकिन सबने मिलकर उनके खिलाफ एकतर फा फैसला ले लिया। उनका पक्ष तो सुना ही नहीं गया।
सेवगी ने इल्जाम लगाया कि मापका काम करने वालों को नहीं कान भरने वालों की कदर करती हैं।जिसने भी पार्टी नेता के फैसलों से असहमति जताई उन पर अनुशासन का डंडा चला दिया गया।
उन्होंने कहा कि रामपुर में गुटबाजी व क्षेत्रवाद हावी हैं। इस बावत उनका ईशारा माकपा के राज्य सचिव शाद की तरफ ही हैं।
उन्होंने कहा गौतम व कुलदीप डोगरा ने सीटू को अपनी जागीर बना दिया हैं।सीटू व अन्य सहयोगी यूनियनों में संबद्ध यूनियनों में गुट खडे़ कर दिए गए हैं। निजी कंपनियों व प्रबंधन के बीच उनकी खुली आलोचना व तथ्यहीन इल्जाम लगाए जाते हैं।
उन्होंने संगीन इल्जाम लगाया के कुलदीप कंपनी व ठेकेदारों के साथ मिला हुआ हैं।गौतम व कुलदीप दोनों कंपनियों व ठेकेदारों से मिलकर मजदूरों को प्रताडि़त कर रहे हैं। जब मजदूर समय पर वेतन न मिलने और अन्य मांगों को लेकर धरना देते हैं तो ये दोनों कंपनी व ठेकेदारों को मजदूरों के खिलाफ कार्यवाही करने को उकसाते हैं। उन्होंने संगीन लगाया कि कंपनियों से मिलकर ये मजदूरों को नौकरियों से हटवा देते हैं। ऐसा लगता है कि ये मजदूरों के लिए नहीं कंपनी के लिए काम करते हैं।
हालांकि अपने इस बावत कोई सबूत उन्होंने अभी तक जारी नहीं किया हैं लेकिन प्रदेश के वामपंथ के भीतर चल रही खलबली को उन्होंने जरूर बाहर कर दिया हैं।
उनहोंने कहा कि वह मजदूरों की हकों की लड़ाई को बीच में नहीं छोड़ सकते। इसलिए मजदूरों की खातिर उन्होंने इंटक का हाथ थाम लिया है और वह मजदूरों के लिए काम करेंगे। कड़छम वांगतू पन बिजली परियोजना में बीते दिन सीटू नेताओं के खिलाफ गो बैक और दादागिरी नहीं चलेगी के नारे लग गए। वहां पर मजदूर यूनियनों को तोड़ा जा रहा हैं। उन्होंने दावा किया कि वह जमीनी व जन नेता है।
याद रहे 2017 के विधानसभा चुनावों में वामपंथ के खाते में एक सीट जीती गई थी। विधानसभा में एकमात्र वामपंथी विधायक राकेया सिंघा ने अपनी एक अलग छवि भी बनाई थी।इससे पहले प्रत्यक्ष चुनावों में शिमला नगर निगम पर महापौर व उप महापौर की सीटें जीत कर पूर्व महापौर संजय चौहान और उप महापौर टिकेंद्र पंवर से उम्मीद जगी थी उतर भारत में वामपंथ उभर रहा हैं। लेकिन इस बार चुनावों में वामपंथ पूरी तरह से ध्वस्त हो गया हैं। अब यह विद्रोह और घमासान सामने आ गया हैं। नगर निगम शिमला के चुनाव सिर पर है लेकिन वामपंथी पता नहीं कहां दुबके पड़े हैं जबकि कांग्रेस व भाजपा मैदान में डट गई हैं।
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