शिमला। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की कमान में चल रही प्रदेश कांग्रेस सरकार के दो साल के शासन काल को किसान सभा ने हर मोर्चे पर विफल करार दिया है।किसान सभा के अध्यक्ष कुलदीप सिंह तंवर ने कहा कि पिछले दो सालों में प्रदेश में स्वास्थ्य, सड़क, परिवहन सेवाओं में जहां भारी गिरावट आई है वहीं भू माफिया, वन माफिया और कुछ विभागों में भ्रष्टाचार में भारी बढ़ोतरी हुई है। कांग्रेस की कार्यप्रणाली और दो वर्षाें की कारगुज़ारियों से प्रदेश की 70 लाख जनता और हर तबका निराश और हताश है। खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली आबादी और उनमें 63 फीसदी सीधे तौर पर कृषि-बागवानी से आजीविका चलाने वाले किसानों को कोई भी राहत यह सरकार नहीं दे पाई है।
हिमाचल किसान सभा के राज्याध्यक्ष और सीपीआईएम के राज्य सचिव मंडल सदस्य कुलदीप सिंह तंवर ने सरकार के दो वर्षों के शासनकाल पर टिप्पणी करते हुए सरकार पर निशाना साधा है। लोगों ने भाजपा को नकारते हुए कांगे्रस को इसलिए सत्ता सौंपी थी कि उन्हें कुछ राहत मिलेगी लेकिन सरकार के दो साल का कामकाज दर्शाता है कि जन समस्याएं हल होने के बजाय लोगों पर संकट और भी ज्यादा गहराया है। कहीं जनता को ज़रा सी राहत की उम्मीद जगती भी है तो सरकार उस पर तुरन्त कुठाराघात करने से भी बाज़ नहीं आ रही। अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की कीमतों में कमी आने से डीज़ल और पैट्रोल के दामों में हुई कमी पर प्रदेश सरकार ने वैट बढ़ाकर जनता को यह छोटा सा लाभ लेने से भी वंचित कर दिया है।
तंवर ने कहा कि इस समय प्रदेश का किसान अपने अस्तित्व के लिए लड़ रहा है। 50 फीसदी के पास आधा एकड़ यानी 6 बीघा से भी कम ज़मीन रह गई है जिस पर गुज़ारा करना असंभव है। ऊपर से मंहगे कृषि इनपुट्स की वजह से उत्पादन लागत बढ़ गई है लेकिन उसके मुकाबले में मण्डी में उचित दाम नहीं मिल रहा और न ही कोई सुरक्षा है।
किसान नेता ने कहा कि सरकार न तो बन्दरों और अन्य जंगली जानवरों से किसानों को कोई राहत दे पाई है और न आवारा-नकारा पशुओं की समस्या का समाधान कर सकी है। अतिक्रमण के मुद्दे पर भी सरकार की नीति स्पष्ट नहीं है। छोटे किसानों और भूमिहीनों द्वारा कब्ज़ाई गई वन भूमि को छुड़ाने के लिए सरकार उन पर लगातार दबाव बना रही है और जबरन भूमि छुड़ा रही है। इसके लिए कांगड़ा में लोगों के घरों तक को उखाड़ फेंका गया जबकि बड़े भू-माफिया पर सरकार मौन है।
सरकार विदेशों से आने वाले सेब के आयात में आयात कर बढ़ाने में भी सफल नहीं हो पाई जबकि वर्तमान प्रदेश सरकार बनने के डेढ़ वर्ष तक केन्द्र में कांग्रेस की ही सरकार रही।दो साल के इस अर्से में सड़कों की हालत सुधरने के बजाए ज्यादा खराब हुई है और नतीजतन सड़क हादसों के सैंकड़ों जाने गई हैं। लोक निर्माण विभाग में भयंकर भ्रष्टाचार व्याप्त है।
तंवर ने कहा कि जिस नारे को लेकर वर्तमान मुख्यमंत्री ने प्रदेश की राजनीति में प्रवेश किया था आज उसी वन माफिया पर नियंत्रण करने में सरकार नाकाम हो रही है। वन निगम में कम दामों पर टिंबर की बिक्री करके प्रदेश के राजस्व में करोड़ों रुपये का घाटा करवाया जा रहा है।
डाॅ. तंवर ने कहा कि सरकारी सेवाओं की जगह पक्की नौकरियां देने के बजाय सरकार आउटसोर्स करके काम चला रही है जिससे ग्रामीण सेवाओं की व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है जिसके नतीजे सामने दिखाई देने लगे हैं। हाल ही में हुई मामूली बर्फबारी के कारण कई इलाकों में हफ्ते भर बिजली सप्लाई बहाल नहीं हो पाई है।
उन्होंने कहा कि ऐसी जन विरोधी और नवउदारवादी नीतियों के चलते प्रदेश कजऱ् में डूब चुका है जिसके चलते हर प्रदेशवासी पर इस समय 41136 रुपये का कजऱ् तले दबा हुआ है और अगर इसी रफ्तार यह बढ़ता रहा तो 2019-20 में यह कजऱ् बढ़कर 79757 रुपये पहुंच जाएगा।
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