शिमला।अपनी काली करतूतों के लिए मशहूर व रसूखदार आरोपियों का साथ देने के लिए तत्पर पुलिस की हरकतें एक 8वीं क्लास के बच्चे की ओर से तीसरी मंजिल से छलांग लगा देने के मामले को लेकर दायर याचिका की सुनवाई के दौरान प्रदेश हाईकोर्ट के नोटिस में आ गई है। मामला रोहड़ू के एक स्कूल का है।पिछली 22 नवंबर को यहां स्थित नामी स्कूल गलोरी इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल के आठवीं क्लास के एक छात्र ने स्कूल के तीन मास्टरों की पिटाई से बचने के लिए स्कूल की तीसरी मंजिल से छलांग लगा दी। शुक्र है कि इस बच्चे की जान बच गई। इलाज पीजीआई में हुआ।
मामला पुलिस के पास गया तो पुलिस ने हैरतअंगेज कारनामा दिखा दिया और एफआईआर ऐसी धाराओं के तहत लिखी की हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस मंसूर अहमद मीर और जस्टिस त्रिलोक चौहान भी दंग रह गए। हाईकोर्ट में पुलिस की ओर से पेश की गई स्टेटस रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि पुलिस ने जुवेनाइल जस्टिस केयर एंड प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन एक्ट 2000 की धारा 23 के तहत एफआईआर दर्ज की है।पुलिस ने जब हाईकोर्ट में याचिका दायर हुई तो तीन टीचरों को अरेस्ट भी कर दिया और उनको अदालत से जमानत भी मिल गई। आईपीएस की धाराएं गायब कर दी गई।
हाईकोर्ट ने पुलिस के इसी कारनामें पर हैरानी जताई की इस एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज कैसे हो गई। यहां यह उल्लेखनीय है कि जिला शिमला के एसपी मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बहुत लाडले अफसर डी डब्ल्यू नेगी है और जिस रोहड़ू का ये मामला है,वीरभद्र सिंह वहां से विधायक चुन कर आते थे। वहां के मामले की ये स्थिति है।
हाईकोर्ट ने कहा कि पुलिस ने जांच को लेकर जो कुछ शपथपत्र में कहा है वो कहीं नहीं जाता । यह ये खुलासा नहीं करता कि जिस दिन ये घटना घटी उस दिन से लेकर आज तक पुलिस ने क्या जांच की है।
हाईकोर्ट ने मामले में अप्रत्याशित कदम उठाते हुए आदेश दिए कि इस मामले की जांच रोहड़ू के डीएसपी करे और एसपी खुद जांच की देखरेख करे। पुलिस ने हाईकोर्ट को दी स्टेटस रिपोर्ट में बताया कि मेडिकल रिपोर्ट हासिल नहीं की जा सकी है। क्योंकि मामला पुलिस में 22 नवंबर को आया ही नहींहै।जबकि स्कूल में लगे डिजिटल वीडियो रिकार्डर की फारेंसिक रिपोर्टचंडीगढ़ आनी है।इसके अलावा ट्रीटमेंट समरी का भी पुलिस इंतजार कर रही है।
हाईकोर्ट ने पुलिस को वार्निंग दी है कि जांच में किसी भी तरह की कोताही को गंभीरता से लिया जाएगा और पुलिस को ताजा स्टेटस रिपोर्ट और केस डायरी अगली तारीख् पर पेश करने के आदेश दिए गए है। अगली सुनवाई 29 दिसंबर को रखी है।
इस मामले में जिस तरह से पुलिसिया कारनामें दिखाए गए है उससे साफ है कि पुलिस भरोसे के काबिल ही नहीं रही है।दूसरे ये सवाल खड़ा हो गया है कि क्या एक स्कूल पुलिस को प्रभावित कर सकता है और पुलिस की इतनी हिम्मत हो गई है कि वो हाईकोर्टतक की आंखों में धूल झोंकने से गुरेज नहीं करती। ऐसे में आम आदमी पुलिस पर कैसे भरोसा करे,ये सवाल बड़ा है।
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