शिमला। एक महिला कांस्टेबल के केवल एक ब्यान ने पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल,दो पूर्व आईएएस अफसरों,एक पूर्वआईपीएस अफसरों के खिलाफ मुकदमा चलाने की बुनियाद खड़ी कर दी है। बशर्तें महिला कांस्टेबल आगे चलकर अदालत में अपने बयान से मुकर न जाए या अभियोजन कोई खेल न खेल दें।मामला पूर्व आईपीएस अफसर अमरनाथ शर्मा को दोबारा नौकरी देने के मामले से जुड़ा है। पूर्व आईपीएस अफसर अमरनाथ शर्मा पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के लाडले अफसरों में थे और 2007 में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान उन्हें नादौन से टिकट देने की मुहिम भी चली थी।
उस वक्त के मामले की वीरभद्र सिंह ने अब अपने बेहद लाडले पुलिस अफसर रमेश छाजटा से जांच कराई और ए एन शर्मा के अलावा रिटायर हो चुके पूर्व चीफ सेक्रेटरी रवि ढींगरा व हाल ही रिटायर हुए अतिरिक्त चीफ सेक्रेटरी पी सी कपूर और पूर्व मुख्यमंत्री प्रेमकुमार धूमल के खिलाफ मुकदमा तैयार कर दिया है।
बताते है कि विजीलेंस में अफसर नेताओं और अफसरों के खिलाफ मामलों की जांच करने के लिए तैयार नहीं हो रहे है। इसलिए छाजटा को जो सोलन के एसपी भी को विजीलेंस का कुछ प्रभार देकर उन्हें मामले बांटे गए है।एक सप्ताह पहले विजीलेंस ने मामला अभियोजन की मंजूरी के लिए राज्यपाल उर्मिल सिंह को भेजा हुआ है जो संभवत 14 तारीख को आने वाली है।
ये हैं सारा मामला
पूर्व आईपीएस अफसर एएन शर्मा ने 2007 के विधानसभा चुनावों से पूर्वअपना इस्तीफा दे दिया था। उस समय वो नादौन से भाजपा से टिकट के दावेदार थे। लेकिन 27 नवंबर को भाजपा के प्रत्याशियों की जो सूची बाहर आई उसमें ए एन शर्मा का नाम नहीं था। जबकि 21 नवंबर तक ही ए एन शर्मा नियमों के मुताबिक अपने इस्तीफे की अर्जी वापस लेकर पुन: नौकरी में आ सकते थे। लेकिन अब छाजटा की जांच में सामने आया कि तबकि सरकार के पास 21 नवंबर तक इस्तीफे को वापस लेने की कोई अर्जी नहीं आई थी और तत्कालीन चीफ सेक्रटरी रवि ढींगरा ने उनका इस्तीफा मंजूर कर लिया। जांच के मुताबिक ऐसा कोई रिकार्ड भी सरकार के दस्तावेजों में नहीं है। इस बीच प्रदेश में चुनावका बिगुल बज गया और एन शर्मा कैट चले गए और उन्हें वहां से इस्तीफा मंजूर करनेके खिलाफ स्टे मिल गया।ये सब वीरभद्र सिंह की तत्कालीन सरकार के आखिरी दिनों में हुआ।
चुनाव के बाद प्रदेश से वीरभद्र सिंह की सरकार को जनता ने बाहर का रास्ता दिखा दिया और धूमल सरकार सतासीन हो गई।एएन शर्मा ने धूमल सरकार को रिप्रेजेंटेशन दिया।सरकार ने मामले को एग्जामिन करने के लिए अफसरों को भेज दिया। शर्मा ने अपने रिप्रेजेंटेशन में कहा कि वह नवबंर 2007 में पीटीसी डरोह में थे और 21 नवंबर को ही उन्होंने उनके इस्तीफे को वापस लेने के लिए चिटठी डिस्पैच कर दी थी। तत्कालीन होम सेक्रेटरी पीसी कपूर ने नोटशीट पर लिखा कि जब एक आईपीएस स्तर का अफसर लिखकर दे रहा है कि उसने इस्तीफा वापस लेने के लिए चिटठी भेज दी थी तो उस पर विश्वास किया जाना चाहिए और तत्कालीन चीफ सेक्रेटरी रवि ढींगरा ने शर्मा के रिप्रेजेंटेशन को मंजूर करते हुए मामला धूमल को सरका दिया र्और शर्मा बहाल हो गए । कैट में मामला खत्म हो गया।
अब 2012 में सता में वीरभद्र सिंह की सरकार आई तो किसी ने इस मामले की शिकायत कर दी। शिकायतकर्ता ने शिकायतपत्र के साथ एक अखबार की कतरन भी लगाई और मांग की कि इस मामले की जांचकी जाए।क्योंकि ए एन शर्मा ने चुनाव लड़ने के लिए अपनेपद से इस्तीफा दिया था। लेकिन बाद में धूमल से मिलीभगत कर और कानूनों का दुरुपयोग कर शर्मा को नौकरी पर बहाल कर जनता के खजाने को नुकसान पहुंचाया गया है।शिकायत की जांच सोलन के एसपी रमेश छाजटा के सुपुर्द कर दी गई।
उन्होंने जांच शुरू की और वो जांच करते हुए भाजपा के कार्यालय जा पहुंचे और लेकिन वहां ऐसा कोई रिकार्ड नहीं मिला जिससे ये साबित हो कि शर्मा ने इस्तीफा चुनाव लड़ने के लिए दिया था। छाजटा जिस अखबार में शर्मा के भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने की खबर छपी थी,उसके कार्यालय भी गए और उसके संवाददादता से लिखकर देने का आग्रह किया। लेकिन ऐसा कुछ लिख कर नहीं दिया गया।छाजटा ने अब नादौन से तब हिलोपा के प्रत्याशी बलदेव मंडयाल का बयान लिया। बयान में मंडयाल ने कहा कि हां, एएन शर्म भाजपा से टिकट की रेस में थे।
महिला कांस्टेबल के बयान ने खड़ी की बुनियाद
छाजटा की जांच में सबसे महत्वपूर्ण ब्यान पीटीसी डरोह की डिस्पैचर महिला कांस्टेबल संध्या का आया है जिसमें संध्या ने कहा है एन एन शर्मा के इस्तीफे को वापस लेने की चिटठी को स्पेशल मैसेंनजर के जरिए 27 नवंबर 2007 को शिमला भेजा गया था।चूंकि डाक कम होती थी तो डाक रोजाना नहीं भेजी जाती थी। इसी बयान के आधार पर ये पूरा केस टिका हुआ है। यहां ये महत्वपूर्ण है कि नादौन के टिकट की घोषणा भी 27 नवंबर 2007 को ही हुई थी और नादौन से एएन शर्माकेनाम की घोषणा नहीं हुई थी। छाजटा ने इस मामले में रवि ढींगरा,पीसी कपूर,ए एन शर्मा व धूमल के खिलाफ वििभन्न धाराओं के तहत मुकदमा तैयार कर विजीलेंस मुख्यालय को भेज दिया। चूंकि 2007में रवि ढींगरा ने बतौर मुख्य सचिव एएन शर्मा का इस्तीफा मंजूर किया था और जब उनकी बहाली हुई तो भी रवि ढींगरा की मुख्य सचिव थे।पीसीकपूर ने बिना दस्तावेज देखे ही नोटशीट पर लिख दिया कि जब एक आईपीएस अफसर लिख कर दे रहा है कि 21 नवंबर 2007 को ही उसने इस्तीफावापस लेने की चिटठी भेज दी थी तो ,इस पर विश्वास किया जाना चाहिए।
धूमल चूंकि मुख्यमंत्री थे तो आखिर में साइन उन्हीं के हुए है।
उधर, विजीलेंस मुख्यालय के अफसरों ने बाजीगरी करते हुए इन सब रिटायर अफसरों के खिलाफ मुकदमा के लिए अभियोजन की मंजूरी लेने के लिए मामला राज्यपाल उर्मिल सिंह को भेज दिया।हालांकि कहा जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न फैसलों और आदेशों के मुताबिक राज्भवन को इस मामले में बीच में लाने की जरूरत ही नहीं थी। वीरभद्र सिंह के सीडी कांड में भी विजीलेंस ने अभियोजन की मंजूरी नहीं ली गई थी।अब मामला राजभवन में अटका पड़ा है। राजभवन क्या करता है इस पर सबकी निगाह है।
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