शिमला।हिमाचल में 1998 से 2003 तक व 2007 से 2012 तक पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल की ओर से सताए गए भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और मोदी के करीबी जगत प्रकाश नडडा को केंद्रीय सरकार में केबिनेट मंत्री बनाकर हिमाचल भाजपा में हावी परिवाद को खत्म करने का श्रीगणेश कर दिया है।ऐसा बीजेपी के जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं का मानना है।हालांकि अभी कोई नतीजा निकालना बहुत जल्दी होगी।
सूत्रों के मुताबिक नडडा के ताकतवर होने का सीधा मतलब हिमाचल भाजपा में बड़ा बदलाव माना जा रहा है। धूमल विरोधियों की माने तो हिमाचल भाजपा पर धूमल, उनके बेटों और रिश्तेदारों का कब्जा हो गया था। चाहे फिर रविंद्र सिंह रवि हो या गुलाब सिंह ठाकुर। अब तो हमीरपुर से भाजपा के पूर्व दिग्गज जगदेव चंद के पुत्र नरेंद्र ठाकुर को भी रिश्तेदारी की डोर में बांध दिया गया है।कई लोग हिलोपा में चले गए । बताते है कि धूमल ने पार्टी में विरोधियों को हराने में कभी कोई कसर नहीं छोड़ी । चाहे वो शांता हो या कोई और।पार्टी नेताओं की माने तो ये सब जानकारी मोदी को है।हालांकि मोदी की भी कई मामलों में धूमल को शह रही है।
लेकिन लोकसभा चुनावों में पार्टी पर धूमल का ये परिवार वाद का वर्चस्व तबाह हो गया और मोदी की हवा में में हिमाचल से चारों सांसद जीत गए
1998 से2003 और 2007 से 2012 तक के भाजपा सरकार के कार्याकाल में नडडा को धूमल ने बहुत सताया था और वह रोते हुए हिमाचल की राजनीति से बाहर हुए थे । नडडा ने अपने संबंधों के दम पर राष्ट्रीय राजनीति में अपना कद बढ़ाया। नडडा के पास स्वास्थ्य विभाग था और धूमल ने विनीत चौधरी को स्वास्थ्य सचिव लगाया था।विनीत चौधरी के मार्फत धूमल ने नडडा को दबोच कर रखा था । इसी कार्याकाल में विनीत चौधरी में नडडा को बताया था किआईएएस अफसर क्या होता है।2007 से 2012 के कार्याकाल में नडडा को वन महकमे का मंत्री बनाया गय और अवय शुक्ला प्रधान सचिव वन रहे। इस दौरान भी नडडा को जमीन पर तारे दिखाए जाते रहे। बाद उन्हें मजबूर होकर संगठन में जाना पड़ा।धूमल और उनके बेटों की राजनीतिक कैरियर में रोड़ा बने नडडा को प्रदेश की राजनीति से बेदखल करने के लिए कई गुल खिलाए गए।
लेकिन नडडा के मंत्री बनने के बाद प्रदेश भाजपा में जिन्हें धूमल के बेहद करीबी माना जाता था वह नडडा के मंत्री बनने के बाद रात को ही पलटी मार गए और नडडा के पाले में जा पहुंचे।भाजपा के करीबी सूत्र बताते है कि बिंदल तो पहले ही नडडा को आइने में उतार चुक थे और अब वो सारे भाजपाइयों से कहते फिर रहे है कि सोलन में उनके खिलाफ चल रहे मामले अगर धूमल चाहते तो धूमल सरकार में खत्म हो गए होते । लेकिन धूमल ने अपने दांव चले और मामलों में खेल खेल दिया।वह धूमल के पाले से छिटक चुके है।
इसके अलावा नूरपुर से धूमल के बेहद करीबी नेता राकेश पठानिया भी नडडा से गले मिल आए है।ये भ्ी पलटी मार चुके है।एक भाजपा के नेता की माने तो एचपीसीए मामले में फंसे एचपीसीए के प्रवक्ता संजय शर्मा भी नडडा से मिल कर एचपीसीए कांड की पूरी कथा सुना आए है।संजय शर्मा पूर्व विधायक प्रवीण शर्मा के भाई है। शिमला से भाजपा विधायक सुरेश भारदवाज भी नडडा के दरबार में जा आए है।हिलोपा के महारथी महेश्वर सिंह भी नडडा को वधाई दे आए है।
उधर,नडडा के मंत्री बनने से धूमल खेमे में मायूसी छाई हुई और सबकी नजर धूमल,रविंद्र सिंह रवि व उनके रिश्तेदारों पर लगी है कि वो क्या दांव खेलते है।बताते है कि शांता ने भी अपने पते खोल दिए है।शांता का राजनीतिक केरियर आखिरी दौर में है लेकिन वो धूमल को सबक जरूर दिखाना चाहते है।ऐसे में धूमल चारों ओर से घेर दिए गए है।
सबसे बड़ी मजे की बात है कि जे पी नडडा और मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बीच आपस में गाढ़ी यारी है।दोनों के रिश्ते जगजाहिर है। वीरभद्र सिंह जब कभी भाजपा की ओर से संकट में घिरे उन्होंने नडडा का बेजा इस्तेमाल कर अपनी नैया पार लगाई है और नडडा को भी वीरभद्र सिंह मदद करते रहे है।अब धूमल और उनके बेटों के खिलाफ वीरभद्र सिंह ने कई मामले अदालत में पहुंचा दिए है ।ऐसे में इन मामलों में इन सबको सजा हो और ये पिता पुत्र दोनों चुनाव लड़ने की पात्रता खो दे इस तरह की गेम वीरभद्र सिंह व नडडा दोनों के लिए सूट करती है।राजनीति के माहिरों की माने तों दोनों खिलाड़ी मंजे हुए तो हैं ही।गेम भी साफ है और वक्त व किस्मत भी साथ है।
इसके अलावा सचिवालय में जो आईएएस अफसर वीरभद्र सिंह की नाक के नीचे धूमल की माला जपते रहते थे उनकी सिटी पिटी गुम हो गई है।
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