शिमला।किसान समुदाय को लाभान्वित करने के लिए राज्य सरकार ने वर्ष 2014-15 के रबी सीजन में प्रदेश में राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना कार्यान्वित करने का निर्णय लिया है। यह योजना प्रदेश के उन सभी किसानों पर लागू होगी जिन्होंने गेंहू व जौ की फसल उगाई है। योजना के कार्यान्वयन के लिए प्रदेश में स्थानों का निर्धारण किया गया है जिसमें तहसीलें व उप तहसीलें भी शामिल हैं।केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के कृषि तथा सहकारिता विभाग ने रबी सीजन के दौरान राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना के कार्यान्वयन को अपनी स्वीकृति प्रदान की है।
फसल बीमा की राष्ट्रीय कृषि बीमा की राज्य स्तरीय समन्वय समिति ने निर्णय लिया है कि योजना को रबी सीजन 2014-15 के दौरान गेहूं व जौ की फसलों पर लागू किया जाएगा। इस योजना को लागू करने की जिम्मेदारी भारतीय कृषि बीमा कम्पनी लिमिटेड को दी गई है।योजना के तहत प्राकृतिक आग, आसमानी बिजली, आंधी, ओलावृष्टि, तूफान इत्यादि, सूखा तथा अन्य बीमारियों इत्यादि से होने वाले नुकसान को योजना छत्र के अन्तर्गत लाया गया है जबकि युद्ध व न्यूक्लर नुकसान इत्यादि इसमें शामिल नहीं होगा।
यह योजना ऋण धारक किसानों पर जिन्होंने वित्तीय संस्थानों वाणिज्य बैंकों, सहकारी बैंकों, क्षेत्रीय बैंकों तथा प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों से कृषि ऋण लिए हैं पर अनिवार्य आधार पर निर्धारित अवधि से लागू की गई है। गैर-ऋणी किसान अपनी इच्छा से योजना का लाभ उठा सकते हैं।
गेहूं व जौ की फसल के लिए कुल उत्पादन का औसतन 80 प्रतिशत स्तर निर्धारित किया गया है। ऐसे मामलों में ऋण धारक किसान को कम से कम ऋण राशि के बराबर बीमा करना होगा। यदि फसल ऋण की राशि वास्तविक उपज से अधिक है और औसतन उपज का 150 प्रतिशत है तो सामान्य प्रीमियम दर लागू होगी, जितना ऋण लिया गया है क्योंकि पूरी ऋण राशि का बीमा करना अनिवार्य किया गया है।
पात्र छोटे व सीमान्त किसानों को कुल प्रीमियम पर 50 प्रतिशत सरकारी अनुदान के लिए पात्र होंगे। राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि मक्की, धान और आलू की बीमा योग्य फसलों पर किए जाने वाले प्रीमियम उपदान को बढ़ाने और अदरक की फसल को फसल बीमा योजना के अन्तर्गत 10 से 50 प्रतिशत करने का निर्णय लिया है जिसमें राज्य का हिस्सा 45 प्रतिशत और केन्द्र का 5 प्रतिशत है। छोटे व सीमान्त किसानों को कुल प्रीमियम की केवल 50 प्रतिशत की अदायगी करनी होगी।
पी.ए.सी. अथवा बैेंक शाखाओं में ऋण धारक किसानों के फसल बीमा प्रस्ताव को स्वीकार करने की तिथि निर्धारित की गई है। गैर ऋण धारक किसानों के लिए यह तिथि 31 जनवरी, 2015 जबकि ऋण धारक किसानों के लिए 31 मार्च, 2015 निर्धारित की गई है। प्रदेश सरकार ने कार्यान्वयन एजैंसी में उपज सम्बन्धी दावे प्रस्तुत करने के लिए 30 सितम्बर, 2015 निर्धारित की है।
दावों का निपटारा केवल राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत उपज डाटा के आधार पर किया जाएगा जो सामान्य फसल अनुमान सर्वेक्षण द्वारा संचालित फसल कटान प्रयोगों की संख्या के आधार पर होगा। इसके अलावा कोई अन्य तरीका जैसे अन्नवारी/पैसावारी और सूखे की घोषणा इत्यादि पर नहीं होगा। राज्य स्तरीय बैंकर्ज समिति, अग्रणी बैंक प्रबन्धकों, सहकारी बैंकों तथा भारतीय कृषि बीमा कम्पनी को तत्काल इस योजना को प्रदेश में लागू करने के लिए आवश्यक पग उठाने के निर्देश दिए गए हैं।
कार्यान्वयन एजैंसी अर्थात भारतीय कृषि बीमा कम्पनी लिमिटेड को राज्य सरकार के हिस्से के जारी होने के उपरान्त शीघ्र दावों की अदायगी सुनिश्चित बनानी होगी। किसी विवाद के कारण दावे की अदायगी में देरी होती है इसके लिए कार्यान्वयन एजैंसी उत्तरदायी होगी।
बैंकों को भी यह सुनिश्चित बनाना होगा कि कार्यान्वयन एजैंसी से प्राप्त दावे राशि की प्राप्ति की तारीख से 15 दिनों के भीतर लाभार्थियों को दावे की राशि जारी व वितरित करनी होगी। जिला स्तरीय बैंकर्ज समिति के समन्वयक योजना की प्रगति का अनुश्रवण समय समय पर आयोजित बैंठकों में करेंगे।
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