शिमला।राजनीतिक रोटियां सेंकने का जरिया बन गए प्रदेश के बेरोजगारों के साथ प्रदेश के नेता और नौकरशाह खिलवाड़ करने पर उतारू हैं। इसकी मिसाल राजधानी के चौड़ा मैदान में क्रमिक अनशन पर दिन-रात कंपकंपाती ठंड में तंबू गाड़ कर बैठे JOA IT अभ्यर्थी पेश कर रहे हैं।
इन अभ्यर्थियों का पहला कसूर यह है कि इन्होंने जमकर मेहनत की और सरकार की और से निकाले गए JOA IT के पदों को रात दिन पढ़ाई करके क्वालीफाई किया। इनका दूसरा कसूर ये है कि इन्होंने पिछले दरवाजे से नौकरी हासिल करने से इंकार कर दिया।
पहले तो दिसंबर 2017 से लेकर दिसंबर 2022 तक सता में रही जयराम सरकार ने अपनी राजनीतिक व प्रशासनिक अपरिपक्कता के चलते इन बेरोजगार युवाओं व युवतियों की जिंदगी अंधेरे में धकेलने का काम किया अब वही जयराम और उनकी भाजपा इनके पीछे खड़ा होने का स्वांग रच रही हैं।
जयराम सरकार ने जो किया वह तो किया,उनसे पहले वीरभद्र सिंह सरकार की बेरोजगारों के मामले में करतूतें दिन रात पढ़ाई करने वाले बेरोजगारों को बेबस करने में कम नहीं रही हैं।अब कांग्रेस की सरकार सत्ता में है तो सुक्खू सरकार भी इनको सताने का कोई मौका छोड़ने को तैयार नहीं हैं। जब विधि विभाग की राय सामने आ गई थी इनके परिणाम को लटकाने के पीछे सताने के मंशा के अलावा और कुछ हो ही नहीं सकता। मामला JOA IT अभ्यर्थियों से ही जुड़ा नहीं बल्कि बाकी पदों से भी जुड़ा हुआ हैं।
जयराम सरकार में हुआ सारा गोलमाल
जयराम सरकार में मार्च 2020 में JOA IT ( जिसका पोस्ट कोड था 817) की1100 के करीब पदों के लिए विज्ञापन निकला था। इसके बाद नवंबर 2020में जयराम सरकार ने JOA IT के तीन सौ से ज्यादा और पदों को इसमें जोड़ दिया। अब ये 1400 से कुछ ज्यादा पद हो गए। इसके बाद जनवरी 2021 में चार सौ से ज्यादा और पदों को इन पदों के साथ जोड़ दिया गया इस तरह JOA IT के ये 1867 पद हो गए जिनके लिए दो लाख से ज्यादा बेरोजगार युवाओं व युवतियों ने बाद मार्च 2021 में लिखित परीक्षा दी और जुलाई में लिखित परीक्षा का परिणाम भी निकल गया। यही नहीं 1400 पदों के लिए तो काउसलिंग या वैरिफिकेशंस भी हो चुकी हैं। ऐसे में परिणाम तो कंप्यूटर के एक क्लिक से ही दूर हैं।
इस मामले में तमाम घालमेल जयराम सरकार में ही हो गया। जयराम सरकार के राजनीतिक व प्रशासनिक अपरिपक्कवता का यही सबसे बड़ा नमूना था। इसके कायदे से जो पद पहले विज्ञापित कर दिए गए उनका निपटारा अलग से कर देना चाहिए।जो बाद बाद में जोड़े गए उनके अलग से प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए थी। बेशक मामले अदालतों में गए तो भी वहां सरकार सही रुख अपना कर चीजें सही तरीके से पेश कर सकती थी। सरकार के पास विधिवेताओं और नौकरशाहों को पूरा कुनबा है जो हर महीने मोटा वेतन अपनी जेब में डालते हैं। ये इनकी जिम्मेदारी थी कि ये बेरोजगारों के साथ खिलवाड़ नहीं होने देते। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
सुप्रीम कोर्ट भी गया मामला
ये मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा और सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2023 को अपने फैसले में साफ किया कि सभी 1867 पदों की भर्ती प्रक्रिया को पूरा कर परिणाम घोषित किया जाए। अब सुप्रीम कोर्ट से फैसला आ चुका था तो सुक्खू सरकार के पास पूरा मौका था कि वह युवाओं के साथ हुए खिलवाड़ को रोकते। लेकिन वह ऐसा नहीं कर पाए। उनके नौकरशाह सलाहकार बहुत कुछ करने नहीं देते।
विजीलेंस जांच ने फंसाया पेंच
सुक्खू सरकार के सत्ता में आने परअधीनस्थ सेवाएं चयन बोर्ड में धांधलियों का भंडा फूट गया। विजीलेंस ने वहां पर पेपर लीक के मामले को लेकर एक के बाद एफआइआर दर्ज की और गिरफतारियां भी की। JOA IT परीक्षा देने वाले सात अभ्यर्थियों के खिलाफ भी मामला दर्ज हुआ हैं। इन लोगों को बोर्ड के कर्मचारियों ने डायरी में प्रश्न लिख कर लीक कर दिए थे। ऐसा विजीलेंस जांच में सामने आया था। कायदे से इन सात अभ्यर्थियों को बाहर कर बाकियों के परिणाम घोषित देने चाहिए थे। लेकिन सुक्खू सरकार ने ऐसा नहीं किया।
विधि विभाग की राय के बाद भी कैबिनेट की सब- कमेटी
JOA IT मामले में विधि विभाग की राय के बाद भी सुक्खू सरकार की ओर से कैबिनेट की सब –कमेटी का गठन करना इन बेरोजगारों को सताने के अलावा कुछ नहीं हैं। अगर सब कमेटी गठित करनी ही थी तो जब जनवरी में विधि विभाग ने राय दी थी उसके दो दिन बाद ही गठित कर दी जाती।
ये रही विधि विभाग की राय
विधि विभाग की राय इन तमाम JOA IT अभ्यर्थियों के पक्ष में हैं। इसमें साफ लिखा है कि सात पदों पर नियुक्ति रोक बाकिया को नौकरी दी जा सकती हैं। यह रहस्यमयी हो गया है कि विधि विभाग की राय के बाद कैबिनेट की उप समिति गठन करने की सलाह मुख्यमंत्री को किसने दी होगी।
ऐसा नहीं है कि ये JOA IT अभ्यर्थी सुक्खू से मिलते नहीं रहे हैं। इन JOA IT अभ्यर्थियों की माने तो पहले तो सुक्खू यह कहते थे कि मंत्री इस मामले में उनका साथ नहीं दे रहे हैं। बाद में JOA IT अभ्यर्थियों ने सभी मंत्रियों से मुलाकात की । लेकिन मंत्रियों ने कहा कि इस मामले में उनकी ओर से कोई रोक नहीं हैं। फैसला मुख्यमंत्री को ही लेना हैं। ऐसा दावा ये अभ्यर्थी करते हैं।
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