शिमला।‘आमंत्रण से निवेश’ हिमाचल सरकार का प्रदेश में औद्योगिक निवेश को आकर्षित करने का मूलमंत्र है। इस दिशा में सरकार ‘इंवेस्टर मीट’ आयोजित कर विशेष प्रयास कर रही हैं। इसके अतिरिक्त, उद्योग विभाग में ‘निवेश प्रोत्साहन प्रकोष्ठ’ भी स्थापित किया गया है, जिससे नए निवेश आकर्षित किए जा सके। प्रदेश में औद्योगिक विकास को नई दिशा प्रदान करने के लिए मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में एक ‘निवेश सलाहकार परिषद’ स्थापित की गई है, जिसमें उद्योग जगत के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया गया है। इससे प्रदेश में औद्योगिक विकास के लिए नीति निर्धारण के लिए एक उचित मंच उपलब्ध होगा।
प्रदेश में राज्य स्तरीय एकल खिड़की स्वीकृति एवं अनुश्रवण प्राधिकरण का गठन किया गया है। इसके माध्यम से निवेशकों को एक ही आवेदन पत्र पर नए उद्योगों की स्वीकृतियां 90 दिन के भीतर दी जा रही हैं। वर्तमान प्रदेश सरकार ने 93 नई परियोजनाओं, जिनमें 31 नई तथा बड़ी एवं मध्यम औद्योगिक इकाइयों के विस्तार के 68 प्रस्तावों को स्वीकृति दी है। इनमें लगभग 6690 करोड़ रुपये का निवेश होगा और 8325 से अधिक युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। इसके अलावा, खाद्य प्रसंस्करण की 109 परियोजनाएं भी स्वीकृत की गई हंै, जिसके लिए राष्ट्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मिशन के अन्तर्गत 6.89 करोड़ रुपये का अनुदान स्वीकृत किया गया है।
एकल खिड़की स्वीकृति एवं अनुश्रवण प्राधिकरण द्वारा स्वीकृत औद्योगिक परियेाजनाओं को हिमाचल प्रदेश मुजारा एवं भू-सुधार अधिनियम के अनुच्छेद 118 के अन्तर्गत एक निर्धारित सीमा तक भूमि खरीदने के लिए स्वीकृति दी जा रही है। इससे उद्यमियों को अपने उद्योग के लिए भूमि खरीदने के लिए जटिल प्रक्रिया से नही गुजरना पड़ेगा।
प्रदेश सरकार ने उच्च क्षमता श्रेणी उपभोक्ता उद्योगों को देय विद्युत शुल्क 17 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत किया है। वर्तमान मध्यम तथा बड़े उद्योगों को इसे 15-17 प्रतिशत से घटाकर 13 प्रतिशत, नए मध्यम तथा बड़े उद्योगों के लिए प्रथम पांच वर्ष के लिए विद्युत शुल्क की दर 5 प्रतिशत निर्धारित की गई है। इसी प्रकार, प्रदेश सरकार ने मौजूदा लघु औद्योगिक इकाइयों के लिए विद्युत शुल्क की दर को 9 प्रतिशत से घटाकर 7 प्रतिशत किया है, जबकि नए लघु औद्योगिक इकाइयों के लिए इसकी दर प्रथम पंाच वर्षों के लिए 5 प्रतिशत निर्धारित की गई है। यहीं नहीं, प्रदेश के युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से ऐसे उद्योगों से प्रथम पांच वर्ष में केवल 2 प्रतिशत ऊर्जा शुल्क वसूला जाएगा, जो 300 मूल हिमाचली युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करेंगे।
प्रदेश में ऊना, कांगड़ा तथा सोलन जिलांे में अत्याधुनिक औद्योगिक क्षेत्र विकसित किए जाएंगे। इन औद्योगिक क्षेत्रों में निवेशकों की सुविधा के लिए विश्व स्तरीय सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी। कांगड़ा जिले के कंदरौरी में औद्योगिक क्षेत्र विकास के लिए 106 करोड़ रुपये व्यय कर 72-82-74 हेक्टेयर भूमि हस्तांतरित की गई है, जबकि ऊना जिले के पंडोगा में 112 करोड़ रुपये की लागत से 60-29-20 हेक्टेयर भूमि पर अत्याधुनिक औद्योगिक क्षेत्र विकसित किया जाएगा।
शिमला जिले के रामपुर बुशैहर के निकट दत्तनगर में भी एक नया औद्योगिक क्षेत्र विकसित किया जा रहा है।
सोलन जिला के बद्दी में 147 करोड़ रुपये की लागत से एक टूल रूम की स्थापना की जा रही है। इसके लिए बटोली-कलां गांव में 100 बीघा भूमि उपलब्ध करवाई गई है। इससे न केवल माइक्रो, लघु तथा मध्यम औद्योगिक इकाइयों को तकनीकी सहायता मिलेगी, अपितु बेरोजगार युवाओं के कौशल विकास एवं उन्नयन में भी सहायता मिलेगी। उद्यमियों की सुविधा के लिए प्रदेश सरकार ने राज्य में स्थापित होने वाले नए उद्योग के लिए सेल डीड अथवा लीज डीड पर स्टाम्प शुल्क में 50 प्रतिशत कटौती की है। इसी प्रकार नए उद्योगों के लिए भू-उपयोग हस्तांतरण शुल्क को भी वर्तमान दर से घटाकर 50 प्रतिशत किया गया है।
ऊना जिले में निजी क्षेत्र में 200 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से एक ‘फूड पार्क’ स्थापित किया जा रहा है। हमीरपुर जिले में 17 करोड़ रुपये की लागत से एक स्पाइस पार्क की स्थापना की जा रही है तथा इसके लिए भारतीय स्पाइस बोर्ड को भूमि हस्तांतरित की गई है। ऊना जिले में 10.08 करोड़ रुपये की लागत से एक सार्वजनिक सुविधा केन्द्र तथा 1.55 करोड़ रुपये की लागत से दक्षता विकास केन्द्र की स्थापना की जा रही है। प्रदेश से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए बद्दी में 2.75 करोड़ रुपये की लागत से एक इंलैंड कन्टेनर डिपो तथा 10.81 करोड़ रुपये की लागत से बद्दी ट्रेड सेंटर की स्थापना की जा रही है। इससे क्षेत्र में औद्योगिक विकास को व्यापक बढ़ावा मिलेगा।
प्रदेश सरकार केन्द्र सरकार के साथ बेहतर सम्बन्ध व समन्वय बनाए हुए हैं, ताकि प्रदेश के औद्योगिक विकास के लिए अधिक से अधिक केन्द्रीय सहायता प्राप्त की जा सके। प्रदेश सरकार के सतत् प्रयासों के परिणामस्वरूप केन्द्र सरकार बड़े उद्योगों के लिए संयंत्र एवं मशीनरी के लिए अधिकतम 30 लाख रुपये तक तथा सूक्ष्म, छोटे एवं मध्यम उद्योगों के लिए तथा मौजूदा उद्योगों के विस्तार के लिए अधिकतम 50 लाख रुपये तक 15 प्रतिशत पूंजी निवेश उपदान को मार्च, 2017 तक जारी रखने को सहमत हो गई है।
इसी प्रकार कच्चे माल को प्रदेश के बाहर से प्रदेश तक तथा तैयार माल को फैक्टरी से निकटतम ब्राॅडगेज रेल लाईन तक पहुंचाने के लिए 75 प्रतिशत की दर से भाड़ा उपदान की अवधि को मार्च, 2017 तक बढ़ाने में भी केन्द्र सरकार सहमत हो गई है।
प्रदेश सरकार के सतत् प्रयासों से हिमाचल प्रदेश तेजी से निवेशकों का एक पसंदीदा स्थल बनकर उभरा है। इससे न केवल प्रदेश में आर्थिक गतिविधियों का संचार होगा, बल्कि प्रदेश के युवाओं को अधिक से अधिक रोजगार उपलब्ध होंगे।
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