शिमला।प्रदेश के जिला बिलासपुर में स्टील व दवाई की दो फैक्टरियां बैंकों व वितीय संस्थाओं से लिए करीब 86 करोड़ के कर्ज को वापस नहीं लौटाना चाहती इसलिए उन्होंने भारी घाटा दिखाकर इन्हें बंद कर दिया है और मामला बोर्ड फार इंडस्ट्रियल एंड फाइनेशिय रिक्ंस्ट्रक्शन के यहां दायर कर रखा है। उद्योग मंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने ये खुलासा प्रश्नकाल के दौरान भाजपा विधायक रणधीर शर्मा की ओर से पूछे गए सवाल के जवाब में किया। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार इस मामले में कुछ नहीं कर सकती। ये उदयोग अपनी वजह से बीमार हुए है इन्होंने बाइफर में खुद कहा है कि वो घााटे में है और आगे कारखाने को नहीं चला सकते।
भाजपा विधायक रणधीर शर्मा ने सवाल पूछा था कि बिलासपुर के ग्वालथाई में स्थित स्टील और दवाईं की दो फैक्टरियां बंद हो गई है । इन उद्योगों का कहना है कि बिजली की खपत ज्यादा है।क्या सरकार इन बढ़े हुए रेटों को कम करेगी। मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि बिजली बीजेपी के समय 2011-12 में बढ़ी थी और इन्होंने ये कारखाना 2012-13 में दी बैलेंसशीट के आधाार पर बंद किया है। बिजली बोर्ड ने एक पर सवा करोड़ ओर दूसरे पर एक करोड़ चार लाख रुपए के चार्जिज लेने का दावा किया है।
भाजपा विधायक रणधीर शर्मा ने कहा कि इन उदयोगों के बंद होने से 25 सौ के करीब लोग बेरोजगार हो गए है। उन्होंने कहा कि जब प्रदेश को आर्थिक पैकेज मिला तो जब तक इंसेंटिव मिलता रहा तो ये चलते रहे। ये कारखाने चले क्या इस बारे में सरकार कुछ करेगी। उन्होंने कहा कि बिजली का ये बकाया 2003 से चल रहा है।इसे पिछली डेट से मांगा जा रहा है।रणधीर ने कहा कि सरकार निवेश को लेकर मुबंई तक चली गई है लेकिन पहले के लगे उदयोगों को मदद नहीं कर रहे है।उन्होंने कहा कि सारे उदयोग उना में ही लग रहे है।
इस पर मुकेश अग्निहोत्री ने रणधीर शर्मा से कहा कि आप मूल प्रश्न का राजनीतिकरण कर रहे है।इन कारखानेदारों को आप भी जानते है। आप पहले भी इस मामले को उठा चुके है। इन दोनों उदयोगों ने बाइफर में जाकर घुटने टेक दिए है। ऐसे में सरकार कुछ नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि सरकार उना में ही नहीं बिलासपुर में भी उदयोग लगाने में मदद कर रही है। आपके क्षेत्र में 9 उदयोग लग रहे है।
आईआईटी स्लोह पर भी बवाल
प्रश्नकाल के दौरान ही आईआईआईटी स्लोह के मामले पर भी खूब बवाल मचा। भाजपा विधायक वीरेंद्र कंवर ने इस आईआईटी को लेकर 2011 में जारी हुई नोटिफिकेशन को सदन में रखने की मांग की । साथ ही उन्होंने ये भी जानना चाहा कि इस आईआईटी को पहले लंबलेड़ लगाया जा रहा था। 2013 में इसे स्लोह के लिए शिफ्ट क्यों किया गया। जबकि वहां पर तीन हजार पौघों की नर्सरी को उखाड़ा जा रहा है। कंवर ने इस मसले में कोड ऑफ कंडक्ट के दौरान शिलान्यास करने को लेकर भी सवाल उठाया।
सवालों को जववाब देते हुए तकनीकी मंत्री जी एस बाली ने कहा कि केंद्र की सलेक्शन कमेटी ने स्लोह को चयनित किया था। इसलिए इसे वहां बनाया जा रहा है। कंद्र ने 2011 में 20 आईआईटी खोलने का फैसला लिया था । ये संस्थान केंद्र,राज्य व निजी कंपनियों के सहयोग से लगाई जानी थी। ये पीपीपी आधार पर लगनी थी। बाली ने कहा कि जिस उदयोगपति ने बीजेपी के समय निजी क्षेत्र के हिस्से के 20 करोड़ रुपए देने की प्रतिबदधता दिखाई थी वो बाद में पैसे देने से मुकर गया। बाली ने कहा कि उन्होंने सचिव तकनीकी शिक्षा संजय मूर्ति को मुबंई बात करने भी भेजा लेकिन वो तैयार नहीं हुआ। सरकार ने प्रदेश के दो निगमों से पैसे लेकर हमीरपुर में कक्षाएं चला दी है और स्लोह में आईआईटी का काम चल रहा है।
इस बीच वीरेंद्र कंवर और धूमल ने बार बार सवाल उठाया कि 2011 की नोटिफिकेशन को सभापटल पर रखा जाए। आखिर में बाली ने कहा कि वो फाइल से नोटिफिकेशन निकाल कर विधायकों को दें देंगे।
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