शिमला। जयराम सरकार के नाक के नीचे पिछले दो से तीन सालों में रोहडू वन मंडल के टिक्क।र क्षेत्र में सैंकडों देवदार, कायल और बाकी प्रजातियों हरे पेडों का अवैध कटान हो गया है लेकिन न विभाग को पता चला और न ही जयराम सरकार को । यही नहीं सबूत मिटाने की मंशा से जंगल में आग तक लगा दी गई है और जब घर-घर सर्च अभियान चला तो लोगों ने लकडी के स्लीपर, तख्ते और कडियां खुले में या बगीचों में या सडक के किनारे या फिर नालों में फेंक दी या छिपा दी ताकि कानून के शिकंजे से बचा जा सके। इतना कुछ होने के बाद भी सरकार व विभाग के स्त र पर न तो मंत्री न नौकरशाह और न ही विभाग के प्रमुख या अन्य आला अधिकारी मौके पर पहुंचे। शिकायत कर्ता का दावा है कि उसे जान से मारने की धमकियां मिल रही है और उसने शिमला एसपी से पुलिस सुरक्षा की मांग की है। जयराम सरकार में वन माफियाओं का वनकाटुओं के हौसलें बुलंद हैं।
शिकायत कर्ता की माने तो आलम यह रहा है कि लोगों ने वन विभग के जमीन को कब्जा कर उस पर लगाए सेब के बगीचों में बाड या फेंसिंग के तौर पर इन छोट पेडों का इस्तेममाल कर दिया है। अगर पैमाइश की जाए तो वह यह बाड 30 से 40 किलोमीटर तक लंबी हो जाएगी। शिकायत कर्ता इस बावत गूग्गहल एप्पौ से की गई पैमाइश को आधार बता रहा है।
कई शिकायतें करने बाद भी जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो पिछले 18 मई को शिकायतकर्ता ने फेसबुक का सहारा लिया। उसके बाद विभाग के अधिकारियों नींद खुली और वन विभाग व पुलिस ने कार्रवाई शुरू की। थाना गांव के रहने वाले व्हीस्ल ब्लोअर सुरेंद्र पाप्टा की माने तो यह आंकडा तीन से चार हजार पेडों तक पहुंच चुका है। इसमें तीन हजार से ज्यादा तो छोटे पेड है जबकि तीन से पांच सौ तक बडे पेड शामिल है।
जबकि दूसरी ओर रोहडू के डीएफओ शहनवाज अहमद भटट ने कहा कि शुरूआती जांच में सामने आया है पिछले पांच से छह महीनों में देवदार व कायल के 74 हरे पेड काटे गए है। वन विभाग और पुलिस विभाग संयुक्तह रूप से जांच कर रही है और गुजेंदली, दरोटी, दयोरीघाट, थाना, खांगटा, टांगरी, टिक्कर, शरौंथा आदि गांवों में घर-घर सर्च अभियान चलाया जा रहा है।
अभी तक 14 लोगों जिनके ठिकानों से अवैध लकडी बरामद की गई है के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें शिकायत कर्ता भी शामिल है। कुल 106 घन मीटर लकडी में से 97 घन मीटर लकडी बरामद कर ली गई है और सर्च अभियान जारी है। डयूटी से कोताही बरतने के लिए एक गार्ड, एक बीओ और एक रेंज अफसर को निलंबित कर दिया गया है। भटट के मुताबिक इस लकडी की कीमत एक करोड से ज्यादा हैं।
पाप्टा का कहना है कि उल्हें अंदेशा है कि सबूत मिटाने के लिए जंगल में वन विभाग के कर्मियों या उनकी मिलीभगत से ही आग लगाई गई हो लेकिन डीएफओ भटट से इस इल्जा्म को खारिज करते है व दावा करते है कि यह आग गांव वालों ने लगाई ताकि सबूतों को मिटाया जा सके। लेकिन काटे गए पेडों के ठूंठ मौजूद हैं। सबूत मिटे नहीं हैं। उन्होंबने कहा कि पाप्टा की ओर से बताया जा रहा आंकडा सही नहीं है।
पाप्टा वन व पुलिस विभाग के जांच से संतुष्ट नहीं है और उन्होंने मांग कर दी है कि इस मामले की जांच अन्य व स्वातंत्र एजेंसी को सौंप दी जाए ताकि सच सामने आ सके और असली गुनहगार पकडे जा सके।
पाप्टा का कहना है कि वह एक अरसे से पेडों के कटान और वनों पर किए गए अवैध कब्जे को लेकर विभाग को शिकायतें कर रहा हैं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही हैं। कुछ लोग सरेआम सरकारी संपति की लूट मचाए हुए हैं। उन्होंने वाटसएप्प पर अधिकारियों को शिकायतें व सबूत भी भेजे। उसने कहा कि यहां पर चिरानियों के कई डेरे थे उन सबको भगा दिया गया है अगर उनसे पूछताछ होती तो पता चल जाता कि कहां –कहां पर पेड काटे गए है और किसके कहने पर काटे गए हैं।उनके मोबाइल के लोकेशंस व काल डिटेल भी खंगाली जा सकती थी ताकि वह जंगलों में कितने दूर तक गए हैं यह पता चल सके। डीएफओ रोहडू ने कहा कि स्थाई चिरानियों का विवरण तो पुलिस के पास है व इस पहलू की भी जांच की जाएगी।
इस क्षेत्र में इतना कुछ हो गया लेकिन वन विभाग के मुखिया व अन्यक आला अफसर शिमला से कहीं हिले नहीं है। मुख्य वन अरण्यपाल एस डी शर्मा ने कहा शिकातय कर्ता पेडों के कटान को लेकर बढा चढा कर आंकडा दे रहा है। डीएफओ की रपट में 74 पेडों का आंकडा है। यह पूछे जाने पर कि आला अधिकारी मौके पर क्योंट नहीं गए शर्मा ने कहा कि वह खुद मौके पर जाएंगे। ध्या न रहे यह इलाका उन्हीं के अधीन आता है।
वन विभाग के मुखिया व प्रधान मुख्यी वन अरण्यनपाल अजय श्रीवास्तव ने कहा कि विभाग ने डीएफओ से रपट मांगी हुई है और जांच अभी जारी है। यह पूछे जाने पर कि क्याज यह छोटा मोटा अपराध है जो अभी तक कोई भी आला अधिकारी मौके पर नहीं गया है। श्रीवास्तव ने कहा कि यह गंभीर मामला है व आला अधिकारियों को जल्द मौके पर भेजा जाएगा।
उधर पाप्टा ने कहा कि विभाग ने अभी तक केवल चार –पांच जगहों से जहां से स्लीपर, तख्तों व कडियों को ऊपर से नीचे को सरका कर फेंका जाता है वहीं सर्च अभियान चलाया है। इस क्षेत्र में 16 से 17 ऐसे स्थल या स्लाइडिंग्ज है जहां से लकडी को नीचे को फेंका जाता है व यहां पर इसके निशान साफ है।
पाप्टा ने मांगी सुरक्षा
इस कांड को उजागर करने के बाद पापटा ने पुलिस सुरक्षा की मांग की है। इस बावत एसपी शिमला मोनिका भुटुंगरू ने कहा कि पाप्टा के आवेदन को आगामी जांच के लिए टिक्कर पुलिस चौकी को भेज दिया गया है।
मंत्री बोले अवैध कटान नोटिस में नहीं , नोटिस में लाने के बाद तीन अधिकारियों को मौके पर भेजने के दिए आदेश
इस बावत जब प्रदेश के वन मंत्री राकेश पठानिया से बात की तो उन्हों ने कहा कि उन्हें व्यक्तिगत तौर पर इस तरह के कटान की जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में वन माफिया काम नहीं कर रहा है और वह अभी विभाग के मुखिया को इस मामले की जांच करने के आदेश दे रहे है।
कुछ वीरवार को कहा था कि वह कल यानी आज मौके के लिए दो डीएफओ और एक मुख्य अरण्यपाल की टीम को भेज रहें हैं। उनके साथ फील्ड स्टाफ भी रहेगा। पठानिया ने कहा कि किसी को बख्शा नहीं जाएगा लेकिन वह पहले रपट मंगा लेते हैं। यही नहीं पुलिस ने घर-घर छानबीन की है मामले की जांच हो रही है। उन्हें अधिकारियों ने बताया है कि 74 पेड काटे गए है व यह आंकडा अस्सी व नब्बे तक पहुंच सकता है। उन्होंने कहा कि अगर वन विभाग की जमीन पर कबजा कर बगीचे लगाए गए है तो वह जिला उपायुक्त शिमला को निशानदेही के आदेश देंगे।
स्थानीय कांग्रेस विधायक रोहित ठाकुर ने कहा कि वन विभाग कार्रवाई कर रहा है । यह पूछे जाने पर कि शिकायत कर्ता की ओर से काटे का गए पेडों का जो आंकडा बताया जा रहा है क्या वह इससे इतेफाक रखते है, रोहित ठाकुर ने इस सवाल का कोई जवाब नहीं दिया । यह पूछे जाने पर कि क्या वह वन व पुलिस विभाग की अब तक की जांच से संतुषट है , कांग्रेस विधायक ने कहा कि वन विभाग कार्रवाई तो कर रहा है।
याद रहे पूर्व की कांग्रेस सरकार में भाजपा ने फारेस्ट गार्ड होशियार सिंह की हत्या के मामले में पूरी कांग्रेस सरकार को घेर दिया था व तत्कालीन कांग्रेस सरकार पर वन माफियाओं के साथ मिलीभगत के इल्जाम लगा कर तूफान खडा कर दिया था। लेकिन इस मामले में कांग्रेस के नेता खामोश है। यहां अगर सरकारी पक्ष को भी सही माने तो 74 पेड तो कटे ही है।
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