शिमला। मुख्यमंत्री और परिवहन मंत्री के बीच अरसे चल रही तनातनी के बीच हिमाचल परिवहन निगम के अफसरों ने अंदरखाते अवैध तौर पर यात्रियों से पैसा वसूलने का इंतजाम कर रखा है। जो इंतजाम एचआरटीसी के अफसरों ने कर रखा उसका सीधा नुकसान वीरभद्र सिंह सरकार को सता की देहरी में पहुंचाने वाली प्रदेश की मासूम जनता को हो रहा है।
कायदे से तो ये मामला एमडी आर एन बता और एचआरटीसी के बाकी के अफसरों के स्तर पर सुलझ जाना चाहिए था। लेकिन ये अफसर पिछले दो सालों से मौज उड़ा रहे है।ऐसा नहीं है कि यात्रियों ने निगम के अफसरों को मौके से ही इस धंधे से रूबरू नहीं कराया हो।
हिमाचल प्रदेश परिवहन निगम की बसों में न्यूनतम किराया तीन किलोमीटर तक तीन रुपए है और बाकी का किराया किलोमीटर के हिसाब से वूसल किया जा रहा है।इस बारे में वीरभद्र सिंह सरकार के ही अतिरिक्ति मुख्य सचिव ने 30सितंबर 2013 काे एक अधिसूचना जारी की कर रखी है।जो इस प्रकार से है।
NOTIFICATION
Shimla-02, the 30th September, 2013
No. TPT-F (6)6/2003-III.—In supersession of this department’s Notification No. TPT-F(6)-6/2003-III dated 8th March,2010, the Governor, Himachal Pradesh in exercise of the powers
conferred by sub-section(1) of Section-67 of the Motor Vehicles Act,1988(Act No. 59 of 1988) is
pleased to issue following directions to the State Transport Authority, Himachal Pradesh,Shimla-04 and all Regional Transport Authorities in Himachal Pradesh regarding fixation of fare rates of stage carriage bus services in Himachal Pradesh.
Directions :
The State Transport Authority Himachal Prad esh and all Regional Tran sport Authorities in Himachal Pradesh shall ensure that the following ra tes of fares are fixed/charged for stage carriage bus services in the State of Himachal Pradesh in the public interest.
I) (Ordinary Bus Services including Mini Buses)
(Fare per passenger per kilometer in paise)
(i) Roads in Plains 90
(ii) Roads in Hills 145
II) (Deluxe Bus Service)
(Fare per passenger per kilometer in paise)
(i) Roads in Plains 110
(ii) Roads in Hills 180
III) (AC/Volvo Bus Service)
(Fare per passenger per Kilometer in paise)
(i) Roads in Plains 220
(ii) Roads in Hills 300
2. The fares shown above are maximum fares in clusive of all taxes. These directions will
come into force w.e.f. 01.10.2013.
Note:- The minimum fare shall be Rs.5/- .The fraction of rupee i.e. 50 paise or above will
be rounded off to next rupee and fraction of rupee below 50 paise shall be ignored.
By order,
Dr. P. C. Kapoor,
Additional Chief Secr etary (Transport).
न्यूनतम किराया बाद में पांच से तीन रुपए कर दिया था।ये खेल कैसे हो रहा है।जाने यहां।
मजे की बात है कि हिमाचल सरकार की अधिसूचना की एचआरटीसी के अफसरों ने तोड़ मरोड़ कर रख्ा दिया है।खासकर लॉंगरूट की बसों ,वॉल्बो और डीलक्स बसों में लोगों की जेबों में डाके का इंतजाम कर रखा है।कानूनविदों के मुताबिक सरकार की अधिसूचना की मान्यता है ।निगम ने अगर अधिसूचना के खिलाफ जाकरकुछकिया है तो वो अवैध है।
एचआरटीसी के अफसरों ने लॉंग रूट की बसों में चलने वालीबसों के कंडक्टरों के हाथों में जो टिकट काटने की मशीने दे रखी है उनमें से स्टॉपेज की गायब कर दिए है। अगर किसी यात्राी ने दाड़ला से चक्कर शिमला जाना है और वह दाड़ला से कुल्लू बस में बैठ गया है तो उसे चक्कर का टिकट नहीं मिलेगा उसे कंडक्टर न्यू बस स्टैंड का टिकट थमा देगा।उसकी मशीन में चक्कर,कॉसिंग जैसे स्टेशन फीड ही नहीं है।इसी तरह अगर कोई किसी लॉंग रूट की बस में घणाहटी से शिमला पुराने बस स्टैंड जाना चाहता है तो,तो उसे क्रॉसिंग में उतरना पड़ेगा।अगर वो क्रॉसिंग की टिकट मांगता है तो उसे न्यू बस स्टैंड का टिकट मिलेगा। क्योंकि कंडक्टर के पास टिकट काटने वाली मशीन में क्रासिंग स्टापेज ही नहीं है। यहां से उसे पुराने तीन रुपए का और टिकट लेकर पुराने बस स्टैंड आना पड़ेगा।इस तरह यात्री की जेब पर डाका डालने के इंतजाम कर दिया गया है। यह पूरे प्रदेश में हो रहा है और हजारों यात्रियों के साथ धोखा हो रहा है।
मीडिया में भी ये मसला आ चुका है। लेकिन मंत्री भी चुप है और लाडले अफसर भी। गौरतलब हो कि अधिकतर लॉंगरूट की बसों में सीटें खाली होती है।लेकिन सरकार की अधिसूचना को ताक पर रखकर जहां जाना ही नहीं है वहां का टिकट काट कर ज्यादा वसूली करने की वजह से लोग प्राइवेट बसों में यात्रा कर रहे है।
परिवहन मंत्री बाली जिस दिन से महकमे के मंत्री बने उसी दिन से राग अलाप रहे है कि एचआरटीसी घाटे में है। लेकिन यात्रियों को लूटने और उन्हें परिवहन की बसों में यात्रा करने से रोकने के कई इंतजाम खुद ही एचआरटीसी ने कर रखे है।मामला यही नहीं है। एचआरटीसी के अफसरों ने बहुत सारी बसे नॉन स्टॉप के नाम से चला रखी है। ये बसें चुनिंदा स्टॉपेज में ही रुकती है।एचआरटीसी के पास पहले ही बसें नहीं है।सरकार ने800बसें मंगा रखी है।ये नॉन स्टॉपेज बसें खाली सड़कों पर घूमती रहती है और वीरभद्र सिंह सरकार को सता लाने वाली जनता बसों की इंतजार में एक-एक घंटे तक सड़कों पर बेबस लटकी रहती है।नॉन स्टाप बसें यात्रियों के लिए रुकती नहीं है।
यात्री ज्यादा से ज्यादा एचआरटीसी की बसों में यात्रा करे इसके लिए लाडले अफसरों ने यलो कार्ड,स्मार्टकार्ड और ग्रीन कार्ड जैसे योजनाएं चला रखी है।40किमी के दायरे के लिए येलो कार्ड की योजना है। लेकिन आठ बजे के बाद लोकल बसों को छोड़ बाकी बसों में ये मान्य ही नहीं है।ये नॉन स्टाप बसों में भी मान्य नहीं है। अमूमन ये बसें खाली होती है और चालक बहुत बारब सें रोक लेते है लेकिन कार्ड होने के बावजूद किराया पूरा वसूला जाता है।
मामला यही नहीं रुकता है।अगर किसी यात्री को बॉल्वों और सेमी डीलक्स बस से हीरानगर से धर्मशाला जाना है और वो बुकिंग कराता है तो उसका किराया शिमला से वसूला जाएगा और उसे पिक हीरानगर से किया जाएगा। तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य सचिव पीसी कपूर की ओर से सितंबर2013 में जारी अधिसूचना केमु ताबिक इन बसों में भी किराया किलोमीटर के हिसाब से वसूलने का आदेश है।अगर किसी ने कंडाघाट से चंडीगढ़ या दिल्ली जाना है तो उसका किराया शिमला से वसूला जा रहा है। जो सरकार की अधिसूचना के खिलाफ है।
परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक आर एन बता से जब ये पूछा गया कि यात्री ने जिस स्टेशन पर जाना ही नहीं है तो वहां का किराा क्यों वसूला जा रहा है। उन्होंने कहा कि स्टेजिज का मामला है।ये ठीक है। आप लिखकर दे भेज दीजिए।कुछ अमेंड करना होगा तो देखेंगे।हालांकि उन्होंने माना कि अलग अलग बसों के लिए अलग किराए की कोई अधिसूचना नहीं है। किराए को लेकर अधिसूचना एक ही है।उन्होंने कहा कि आप लिखकर भेज दीजिए।
उधर, परिवहन निगम के रिजनल मैनेजर नेपवन कुमार शर्मा ने बड़ी अजीबों गरीब दलील दी। उन्होंन कहा कि लॉंग रूअ की बसों में टिकट काटने वाली मशीनों में अगर हर स्टापेज को फीड किया जाएगा तो बहुत स्टेशन हो जाएंगे।इन मशीनों और एचआरटीसी के अफसरों के आगे सरकार की अधिसूचना दम तोड़ गई है और इन अफसरों ने अपनी ही सरकार की अधिसूचना को चुनौती दे सरकार को ठेंगे पर रख दिया है।बड़ा सवाल ये है कि अपनी ही सरकार की अधिसूचना को चुनौती देने वाले अफसर अपने पदों पर कैसे विराजमान है। ऐसे में एचआरटीसी के अफसरों की दलीलें जो भी लोकसभा चुनावों में वीरभद्र सिंह सरकार को जनता ट्रेलर दिखा चुकी है।
(0)