शिमला। केबिनेट के फैसले के बाद 960 मैगावाट की थोपन पवारी जंगी हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट को हासिल करने के लिए नीदरलैंड की कंपनी ब्रेकल कारपोरेशन की ओर से दी गई गलत जानकारी की वजह से सरकार को हुए नुकसान की भरपाई करने का रास्ता साफ हो गया है। सरकार ब्रेकल पर जुर्माना भी लगाएगी।ब्रेकल कारपोरेशन ने इस प्रोजेक्ट को हासिल करने के लिए सरकार के समक्ष अपनी कंपनी को लेकर गलत जानकारी दी थी।
इस मामले में कई अधिकारियों ने भी कारगुजारियां दिखाई थी।अधिकारियों को ब्रेकल की ओर से दी गई हर जानकारी को तस्दीक करना था। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। बाद में ब्रेकल कारपोरेशन की आरे से दी गई जानकारियों को तस्दीक किया गया तो वहुत कुछ गलत पाया गया था। ब्रेकल की ओर से सरकार के पास जमा अपफ्रंट मनी के 280 करोड़ अदानी पावर की ओर से जमा कराने का खुलासा हुआ था। इस पैसे को सरकार जब्त कर सकती थी।
पूर्व की धूमल सरकार ने इस प्रोजेक्ट को ब्रेकल कारपोरेशन को आवंटित कर दिया था। इस बीच रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने अदालत का दरवाजा खटखटा दिया व ब्रेकल कारपोरेशन के फ्राड का खुलासा कर दिया। जिस पर हाईकोर्ट ने इस आवंटन को रदद कर दिया व साथ ही सरकार को दो ऑप्शन अपनाने के आदेश दिए। हाईकोर्ट ने आदेश किए या तो इस प्रोजेक्ट के लिए दोबारा निविदाएं मंगाई जाए या इसे बोली में दूसरे नंबर पर आई बोलीदाता को दे दिया जाए। दूसरे नंबर की बोली अनिल अंबानी की रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर की थी।
विवादों को देखते हुए सरकार ने इस प्रोजेक्ट के लिए दोबारा बोली लगाने का फैसला लिया।इस मसले पर नौकरशाही दो धड़े में बंट गई थी। एक धड़ा ब्रेकल कारपोरेशन के पक्ष में था तो दूसरा रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर को इस प्रोजेक्ट को देना चाहता था। लेकिन जिस तरह के खुलासे हुए उससे इस मामले में केस दर्ज करने की नौबत आ गई थी।
सरकार ने दोबारा निविदाएं मंगाने का फैसला ही लिया था लेकिन निविदिाएं मंगाई नहीं थी। इस पर रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी।सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई 16 सितंबर को होनी है लेकिन उसे सरकार की ओर से उठाए जाने वाले किसी भी आगामी कदम पर स्टे नहीं मिला है।
इस प्रोजेक्ट की सारी प्रक्रिया को डायरेक्टोरेट एनर्जी अंजाम दे रहा था।डायरेक्टोरेट के चीफ इंजीनियर सुभाष गुप्ता ने कहा कि केबिनेट ने दोबारा निविदाएं मंगाने का फैसला लिया है। इसके अलावा ब्रेकल कारपोरेशन पर लगाए जाने वाले जुर्माने की गणना की जानी है। सरकर की ओर से निर्देश आने है।उन्होंने कहा कि ब्रेकल की ओर से जमा कराईगई 280 करोड की अपफ्रंट मनी वैसे ही पड़ी है। उस पर फैसला लिया जाएगा।विवादों में रहे इस मामले में अभी सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी आना है। केबिनेट ने बुधवार को ब्रेकल के खिलाफ कार्रवाई करने का फैसला लिया था।
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