शिमला। प्रदेश हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को 1 अक्तूबर तक प्रदेश में कार्यरत उन सभी अधिकारियों के नामों की सूची व उनकी पोस्टिंग का पूरा हिसाब अदालत में तलब किया है जिनकी निष्ठा संदेह के घेरे में है।ये आदेश चीफ जस्टिस ए एम खानविलकर व जस्टिस कुलदीप सिंह ने दिए।
हाईकोर्ट ने ये आदेश पूर्व सहायक ड्रग कंट्रोलर शेर सिंह की याचिका की सुनवाई पर दिए। शेरसिंह को जिला सोलन में रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा था।
अदालत ने चीफ सेक्रेटरी को आदेश दिए कि वो ये पूरी जानकारी हलफनामे के साथ अदालत में पेश करे।
अदालत ने कहा कि इन अधिकारियों में वो शामिल होंगे जिन्हें अदालत ने सजा सुना दी हैया विभागीय जांच में मेजर पेनाल्टी लगाई गई है।
इसके अलावा जिन अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच में मेजर पेनाल्टी लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है या अदालत में बेइमानी को लेकर ट्रायल चला हुआ है।
उन अधिकारियों का रिकार्ड भी तलब किया गया है जिनके खिलाफ मामले चले व तकनीकी ग्राउंड पर बरी हो गए या सबूतों के अभाव में छूट गए। लेकिन उनकी निष्ठा को लेकर संदेह में है।
अदालत ने चीफ सेक्रेटरी को ये आदेश भी दिया कि इन अधिकारियों को जिन विभागों की में पोस्टिंग दी गई है वो विभाग कितने संवेदनशील व असंवेदनशील है इसे लेकर भी टिप्पणी करे।
मामले की सुनवाई 3 अक्तूबर को रखी गई है। शेरसिंह ने अदालत में कहा था कि प्रदेश में ऐसे दर्जनों आईएएस व एचएएस अफसर है जिन्हें रिश्वत के मामलों में पकड़ा गया व वो बाद में बहाल भी हो गए। कई अधिकारियों को तो सरकारने प्रॉस्क्यिूशन सेंक्शन ही नहीं दी।लेकिन उसके खिलाफ अलग तरह में मापदंड अपनाएजाए रहे है।हाईकोर्ट ने इस मामले में पहले भी सरकार को कई निर्देश दिए है।
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