शिमला। प्रदेश सरकार ने तहसील अर्की के बागा में लगे जेपी कंपनी के सीमेंट प्लांट के मलबे से तबाह हुए पानी का स्त्रोतों को बहाल न करने के मामले में सरकार ने एसडीएम अर्की से एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट तलब की है। उधर ,अपनी विभिन्न मांगों को लेकर ग्राम पंचायत मांगल के कई गांवों भलग,सहनाली आदि के लोगों ने फसलों के मुआवजे का भूगतान न करने,ढुलाई का र्प्याप्त काम न देने जैसी मांगों को लेकर जेपी कंपनी केखिलाफ आंदोलन छेड़ दिया है। पानी केस्त्रोतों को बहाल करने के मसले पर प्रधान सचिव उदयोग ने एसडीएम अर्की को कहा है कि स्थानीय लोगों ने सरकार को ज्ञापन भेजा है जिसमें उन्होंने मांग की जेपी कंपनी ने बागा में पानी के स्त्रोतों को बहाल नहीं किया है। ऐसे में लोगों की मांग के अनुरूप कार्रवाई अमल में लाई जाए।
ग्राम पंचायत मंगाल के स्थानीय लोगों ने सरकार के नोटिस में लाया था कि जेपी कंपनी के प्रबंधकों की ओर से हाईकोर्ट के 9जनवरी 2012 व15मई2013 के केअलावा एनजीटी के 14अगस्त2014 के आदेशों के खुलेआम उल्लंघना की जा रही है।स्थानीय लोगों ने कहा था कि अदालतों ने पानी के सभी स्त्रोतों व मलबे को उठाने के निर्देश दिए थे लेकिन 2012 से लेकर अभी तक इन आदेशों की पूरी तरह से पालना नहीं हुई है। स्थानीय लोगों ने ज्ञापन में कहा था कि सरकार ने डंपिंग साइट भी मंजूर कर दी है। लेकिन मलबा नहीं उठाया जा रहा है। ज्ञापन में कंपनी से मलबा उठवाने व स्टोन क्रशर लगावाने के लिए सरकार से दखल देने की मांग की गई है।
ज्ञापन में ये भी कहा गया है के कंपनी ने 2008 से 2014 तक चुनिंदा लोगों को ही मकानों व फसलों का मुआवजा दिया है। उन्होंने सरकार से इस बावत सूची मुहैया कराने की मांग की है।इस पर प्रधान सचिव उदयोग ने एसडीएम अर्की से रिपोर्ट तलब कर दी है।
यहां पढ़े प्रधान सचिव की ओर से एसडीएम अर्की को दिए निर्देश का पत्र-:
उधर,स्थानीय आपरेटर जेपीं कंपनी की वादा खिलाफी के खिलाफ पिछले तीन दिनों से हड़ताल पर है। लेकिन इन्हें न तो प्रशासन ने और न ही जेपीं प्रबंधन ने बातचीत के लिए बुलाया है। इन आपरेटरों का कहना है कि 27अगस्त2011 को शिमला के पीटरहाफ होटल में सरकार के आला अफसरों,जेपी के अफसरों और स्थानीय आपरेटरों के बीच एक बैठक हुई थी। जिसमें जेपी कंपनी ने आपरेटरों के साथ समझौता किया था कि कंपनी रोजाना रूड़की व पानीपत में कंपनी के संयत्रों के लिए रोजाना 150 ट्रकों को ढुलाई का काम देगा। लेकिन कंपनी ट्रकों को इन संयत्रों को नहीं भेज रहा था। इसके अलावा ट्रकों के यार्ड बनाना था ,वो भी नहीं बनाया गया।सड़कों के खस्ता हालात है। स्थानीय लोग इन सब मसलों को लेकर जेपी कंपनी के खिलाफ लामबंद हो गए है।
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