शिमला।स्पेशल जज वन की ओर से प्रदेश के पूर्व आबकारी व कराधान आयूक्तर जगदीश चंद शर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करने के आदेश के एक महीना हो जाने के बाद भी इस मसले पर विजीलेंस विभाग में खामोशी छाई हुइ है। विजीलेंस विभाग में कोई भी बड़ा खाकी वाला बाबू शनिवार को मौजूद नहीं था। छोटे बाबूओं ने कहा कि बड़े अफसरों से ही बात कर लें या एक दो दिन की मोहल्लत दें।
मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के अधीन महत्वपूर्ण विभाग विजीलेंस के ये हाल सरकार की कार्यप्रणाली को लेकर बहुत कुछ बयान कर रही है।
पूर्व आबकारी व कराधान आयुक्त जगदीश चंद के खिलाफ उन्हीं की विभाग की अफसर गीता सिंह ने आय से अधिक संपति एकत्रित करने व सप्लायर्स को अनुचित लाभ देने व सरकार के खजाने को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया था। जगदीश चंद पूर्व धूमल सरकार के समय 8 दिसंबर 2009 को आबकारी व कराधान आयुक्त नियुक्त किए गए थे। 4दिसंबर 2013 को वीरभद्र सिंह सरकार में उन्हें ट्रांसफर कर दिया गया।इन दिनों वो एचपीएमसी में तैनात है व सरकार में प्रधान सचिव भी है।गीता सिंह ने 10 दिसंबर2 014 को जगदीश चंद के खिलाफ एएसपी विजीलेंस को शिकायत दी। लेकिन कुछ नहीं हुआ तो उन्होंने रिमाइंडर भेज दिया । विजीलेंस ने कोई जांच नहीं की तो उन्होंने सीआरपीसी की धारा 156/3 के तहत अदालत में याचिका दायर कर दी। तब भी कुछ नहीं हुआ। इसके बाद वो अदालत चली गई।
याचिका में उन्होंने ये आरोप लगाए व कहा कि इस दौर में उन्होंने बहुत संपति एकत्रित की।
गीता सिंह ने कहा कि जगदीश चंद ने ठियोग में कोटी के रॉयल परिवार से 30बीघा जमीन सरकार की मंजूरी के बगैर खरीदी और सेल डीड 60लाख की बनाई जबकि इस जमीन की कीमत एक करोड़ से ज्यादा लगती है।जगदीश चंद ने धूमल सरकार में 27 नवंबर 2010 को वायर मैन्यूफैक्चरिंग एसोसिएशन के पक्ष में एक आदेश पारित किया । इसके बदले कुछ लिया गया।इस आदेश के तहत वाइडिंग वायर पर टैक्स 13.75से घटा कर 5 प्रतिशत कर दिया।जबकि सरकार के रूल्स ऑफ बिजनेस के मुताबिक करों की दर में बदलाव करने के लिए प्रस्ताव मंजूरी के लिए केबिनेट में ले जाना होता है।लेकिन उन्होंने अपने आदेश में कहा कि वाइडिंग वायर को इंडस्ट्रियल इनपुट समझा जाए।इन इनपुटों पर कम रेट लगाया जाता है।गीता सिंह ने अपनी याचिका में कहा कि जगदीश चंद ऐसे करने के लिए सक्षम नहीं थे।क्योंकि इंडस्ट्रियल इनपुट के तहत सरकार ने 226 आइटमें अधिसूचित की है।इस सूची में किसी भी तरह के बदलाव की शक्ति केबिनेट की मंजूरी के बगैर संभव नहीं है।उन्होंने कहा कि इस आदेश से सरकार के खजाने को करोड़ों नुकसान हो गया।
गीता सिंह आरोप लगाया कि बतौर आबकारी व कराधान अायुक्त जगदीश चंद ने बिलसपुर की मैसर्स एसपीएस स्टील रोलिंग मिल्ज लिमिटेड ग्वालथाई जो सेल से स्टील बिलेट्स को बतौर कच्चा माल लेकर टीएमटी सरिया बनाती है और तैयार माल को वापस सेल को दे देती है ।ये कंपनी 40 करोड़ का कच्चा माल चंडीगढ़ से लाई पर एंट्री टैक्स अदा नहीं किया और न ही तैयार माल पर वैट या सीएसटी अदा नहीं किया।
इस चोरी को स्वारघाट के इटीओ ने पकड़ लिया व 23मार्च2011 को 2करोड़ 8 लाख की पैनाल्टी बतौर एंट्री टैक्स लगा दी।केस की छानबीन होने के दौरान पता चला कि ये कपंनी जगदीश चंद की 26 अप्रैल और 12मई 2010 की क्लेरिफिकेशंस की आड़ में ये एंट्री टैक्स बचा रहे थी।ये दोनों आदेश गैरकानूनी थे और मैसर्स एसपीएस स्टील रोलिंग मिल को 2 करोड़ 8 लाख का लाभ दिया।
गीता सिंह याचिका में कहा कि जगदीश चंद ने उन्हें भी कई गैरकानूनी और भ्रष्ट स्पष्टीकरण और निर्देश दिए जिससे फील्ड में अराजकता फैल गई। गीता सिंह भी आबकारी व कराधान विभाग में अफसर है और उन्हें विजीलेंस ने धूमल सरकार में रिश्वत लेने के आरोप में अरेस्ट किया था।जब उन्हें अरेस्ट किया था तो जगदीश चंद आबकारी व कराधान विभाग के आयुक्त थे।
स्पेशल जज राजिंदर कुमार शर्मा ने ये आदेश 17 अक्तूबर को दे दिया।विजीलेंस मुख्यालय में विजीलेंस थाने से कहा गया किये मामला उनके पास आया थाव इसमें पहले से ही जांच चल रही थी। लेकिन अब मामला स्पेशल इंवेस्टिगेशन यूनिट 1 को सौंप दिया है। स्पेशल इंवेस्टिेगेशन यूनिट के छोटे बाबू ने कहा कि फाइले देखनी पड़ेगी। एक दो दिन लग जाएंगे। पहले वो बोले कि बड़े अफसरों से बात कर लो। लेकिन विजीलेंस मुख्यालय में एडीजीपी से लेकर एएसपी तक कोई भी पक्ष देने के लिए मौजूद ही नहीं था।
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