शिमला। भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर की हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन को प्रदेश हाईकोर्ट से बड़ा झटका लग गया है। हाईकोर्ट ने एचपीसीए की ओर से रजिस्ट्रार कोआपरेटिव सोसायटी की ओर से जारी नोटिस के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया। याचिका भाजपा सांसद व एचपीसीए के अध्यक्ष अनुराग ने दायर की थी। इससे अनुराग और उनकी एचपीसीए की मुश्किलें बढ़ गई है।
हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन ने हाईकोर्ट में रजिस्ट्रार कोआपरेटिव सोसायटी की ओर से 7 सितंबर को जारी 11 पेज के नोटिस को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट याचिका दायर की थी। याचिका में माना गया कि एचपीसीए अब सोसायटी नहीं रह गई है ये कंपनी बन गई है इसलिए रजिस्ट्रार कोआपरेटिव सोसायटी एचपीसीए पर कानून का डंडा नहीं चला सकती। कंपनी भारत सरकार के अधीन आती है।एचपीसीए ने रजिस्ट्रार कोआपरेटिव सोसायटी के नोटिस को गैरकानूनी करार दे कर एचपीसीए को अपना काम करने देने का आग्रह किया था। अनुराग ठाकुर ने इस नोटिस को रदद करने का भी आग्रह किया था।
लेकिन हाईकोर्ट ने एचपीसीए की याचिका को खारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार नोटिस ही तो भेजा है कोई कार्रवाई नहीं की है। मुख्य न्यायाधीश ए एम खानविलकर व जस्टिस कुलदीप सिंह की खंडपीठ ने एचपीसीए की याचिका को खारिज कर दिया है।
गौरतलब हो कि अनुराग ठाकुर व एचपीसीए को उम्मीद थी कि इस मामले पर हाईकोर्ट से राहत मिल जाएगी।
रजिस्ट्रार कोआपरेटिव सोसायटी आर डी नजीम ने 7 सितंबर को एचपीसीए को नोटिस जारी कर कहा था कि प्रदेश सरकार ने एचपीसीए को रियायती दरों पर सरकारी जमीन दे रखी है। ऐसे में वो सरकार की अनुमति के बगैर सोसायटीको कंपनीमें नहीं बदल सकती।नोटस में ये भीकहा गया था कि एचपीसीए को सरकार की ओर से मिली जमीन, लीज,ग्रांट इन एड,और अन्य वितीय मदद का ब्योरा भी दे। साथ ही ये भी बताएं की सोसायटी को भंग करने के लिए क्या किसी अथारिटी से मंजूरी ली गई थी।आखिरी बैलेंसशीट और सोसायटी के गवर्ननिंग बॉडी के सदस्यों की सूची भी मांगी थी।
नोटिस में लिखा गया था कि प्रथम दृष्टया एचपीसीए की गवर्निंग बॉडी ने सरकार, जनता व रजिस्ट्रार कोआपरेटिव सोसायटी से फ्राड किया है।
एचपीसीए ने अभी इस नोटिस का जवाब नहीं दिया। एचपीसीए को 23 सितंबर तक इस नोटिस का जवाब देना है।
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