शिमला।प्रदेश की 69 लाख जनसंख्या को बचाने के बजाय वन्य प्राणियों को संरक्षण देने की प्रदेश सरकार की प्राथमिकताऔर वन्य प्राणी विभाग की कार्यप्रणाली पर हिमाचल किसान सभा ने गंभीर सवाल उठाए हैं। हिमाचल किसान सभा के राज्याध्यक्ष कुलदीप सिंह तंवर ने कहा कि यह कितनी बड़ी विडम्बना है कि सरकार वन्य प्राणियों के लिए प्रदेश के कुल क्षेत्रफल का 15 फीसदी हिस्सा प्रोटैक्टिड एरिया नेटवर्कके तहत संरक्षित करने को अपनी उपलब्धि मान रही है जबकि प्रदेश के लगभग 10 लाख किसानों के पास खेती के लिए मात्र 10 फीसदी के आसपास ज़मीन है।
तंवर ने कहा कि इसे त्रासदी ही कहा जाएगा कि वन्य प्राणी तो संरक्षित 15 प्रतिशत ज़मीन के बाहर भी दबंगई से घूम सकते हैं और इंसानों को वन्य प्राणियों के लिए संरक्षित वन भूमि से घास, लकड़ी और टी.डी. जैसे अपने हकों से भी वंचित किया जाता है। तंवर ने इसे अतार्किक और अन्यायपूर्ण करार देते हुए कहा कि अगर सरकार ऐसा कुछ करे कि वन्य प्राणियों के लिए ऐसी वन भूमि संरक्षित करे जिससे वे बाहर न निकलें और आबादी और फसलों पर हमला न करें तब तो यह न्यायसंगत है अन्यथा यह प्रदेश की जनता के साथ सरासर अन्याय है।
किसान सभा ने वन्य प्राणी विभाग को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि वन्य प्राणी विभाग सरकार को समस्या की गंभीरता की सही तस्वीर देने के बजाए बन्दरों की नसबन्दी के आंकड़ों को पेश करके गुमराह कर रहा है जबकि यह प्रयोग सफल नहीं हो पा रहा है और न ही इसका कोई असर दिखाई दे रहा है।
किसान सभा प्रदेशाध्यक्ष ने सरकार और वन विभाग द्वारा बन्दरों की नसबन्दी को भी सरकारी धन की बर्बादी करार दिया। उन्होंने कहा कि बन्दरों की नसबन्दी पर किया जा रहा खर्च बेवजह जनता पर बोझ बन रहा है। पिछले 7-8 वर्षों से अब तक बन्दरों की जितनी भी नसबन्दी की गई है उसका कहीं भी कोई असर नज़र नहीं आ रहा है और न ही किसानों को इसका कोई लाभ मिला है। तंवर ने कहा कि इसके बजाय तो सराकर 2007 की तर्ज़ पर अगर इनके नियंत्रण के लिए सांइटिफक कलिंग, इन्हें वर्मिन घोषित करने या इनके निर्यात को खुलवाने के लिए केन्द्र पर दबाव बनाने जैसे उपाय करे तो ज्यादा तर्कसंगत होगा।
तंवर ने खेद जताया है कि वर्षों तक और बार-बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह भी प्रदेश की जनता और यहां के किसानों की समस्याओं और भावनाओं को नहीं समझ पा रहे हैं या समझना नहीं चाहते हैं जबकि जितने बड़े पैमाने पर इस वक्त जंगली जानवर किसानों की फसलों को नुकसान कर रहे हैं किसान तुरन्त इस समस्या से निजात चाहते हैं।
किसान सभा अध्यक्ष ने कहा कि इस समय जंगली जानवर सिर्फ फसलों को ही नुकसान नहीं पहुंचा रहे हैं बल्कि इंसानों और पालतू पशुओं पर भी उनके हमले बढ़ रहे हैं। खेती को नुकसान पहुंचाने वाले जंगली जानवरों बन्दर, सूअर, सेहल, खरगोश आदि के अलावा तेंदुए, भालू घास-पत्ती के लिए जाने वाली महिलाओं, स्कूल जाने वाले छोटे बच्चों आदि पर हमला कर रहे हैं।
हिमाचल किसान सभा ने सरकार से मांग की है कि वह जंगली जानवरों के हमले में घायल इंसानों, फसलों और पशुओं को हुए नुकसान की एवज़ में पूरा-पूरा मुआवज़ा दे। सरकार मुआवज़े के नाम पर दी जाने वाली नाममात्र रकम देकर किसानों को गुमराह न करे। किसान सभा ने अपनी मांगों को दोहराते हुए जंगली जानवरों से तुरन्त प्रदेश की जनता को राहत देने की मांग की है।
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