शिमला।मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने आज वन और राजस्व विभागों को निर्देश दिए कि वे यह सुनिश्चित बनाएं कि लोग सरकारी भूमि पर अतिक्रमण कर अवैध रूप से भांग और पोस्त की खेती न करें। उन्होंने कहा कि पुलिस शिक्षा, स्वास्थ्य, सूचना एवं जन सम्पर्क, कृषि, बागवानी विभागों को शामिल कर एक प्रदेश में नशाखोरी की समस्या से निपटने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित की जाएगी, जो युवा पीढ़ी को नशे से बचाने व नशे की समस्या के समाधान के लिए एक ठोस योजना प्रस्तुत करेगी।
मुख्यमंत्री ने नशे के धन्धे में संलिप्त लोगों पर शिकंजा कसने के लिए पुलिस अधिकारियों के एक समर्पित दल के साथ अलग पुलिस अधीक्षक कार्यालय आरम्भ करने का सुझाव दिया। वीरभद्र सिंह आज प्रदेश में नशाखोरी की समस्या से निपटने के लिए उठाए गए कदमों की समीक्षा के लिए आयोजित बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पंचायतों को उनके अधीन आने वाले क्षेत्रों में निजी या सरकारी भूमि पर किसी प्रकार के नशे की अवैध खेती के सन्दर्भ में सूचना देने का दायित्व सौंपा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि नशे के कारोबार या इस तरह की किसी गतिविधि की सूचना देने वाले व्यक्ति को पुरस्कृत किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि नशे का अवैध करोबार भारत के साथ-साथ विश्व भर के लिए एक चुनौती है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में नशे के कारोबार के उन्मूलन के लिए अनेक कदम उठाए गए हैं, लेकिन अभी तक उठाए गए कदम ही पर्याप्त नहीं हैं तथा ये कदम प्रदेश में भांग और पोस्त के उत्पादन के पूरी तरह निर्मूलन और बाहरी राज्यों से नशे के कारोबार को रोकने के लिए काफी नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में सतत विकास के साथ-साथ राज्य को पूरी तरह नशामुक्त बनाना हमारी प्राथमिकता है।
श्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि युवाओं का बड़ी संख्या में नशे की गिरफत में आना एक गम्भीर समस्या है और यदि समय रहते इसका समाधान नहीं किया गया तो हिमाचल को भी पंजाब राज्य की तरह समस्या का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने नशे की समस्या के समाधान के प्रति प्रदेश सरकार की वचनबद्धता को दोहराते हुए पुलिस और वन विभाग के अधिकारियों को भांग और पोस्त की अवैध खेती के निर्मूलन के लिए नियमित छापे मारने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार नशे की समस्या के उन्मूलन के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने इस समस्या को हर कीमत पर रोकने तथा दोषियों के विरूद्ध कड़ी कार्रवाई पर बल दिया ताकि न तो प्रदेश में नशे के सामान का उत्पादन हो और न ही यह सामान प्रदेश के बाहर से यहां लाया जा सके। वीरभद्र सिंह ने कहा कि नशे के धन्धे में बड़े मुनाफे का लोभ आपराधिक संगठनों को आकर्षित करता है। उन्होंने कहा कि इन्टरनेट के माध्यम से दवाईयों की अवैध बिक्री प्रमुखता से उभरती समस्या है, जिससे प्रभावी तरीके से निपटने की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पाया गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों के युवा ‘साइकोट्राॅपिक ड्रग्स’ के आदी हो रहे हैं, जो आसानी से उपलब्ध हो जाती है। उन्होंने पुलिस द्वारा नशे के कारोबार में संलिप्त लोगों पर कड़ी नजर रखे जाने की आवश्यकता पर बल दिया।
श्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि पुलिस को संगठित ड्रग ट्रेड में संलिप्त प्रमुख लोगों पर शिकंजा कसना चाहिए, क्योंकि यह पाया गया है कि वे 18 से 25 वर्ष तक के युवाओं को लालच देकर कुरियर के रूप में उनकी सेवाएं लेते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नशे की समस्या के समाधान में अध्यापकों को भी महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए और उन्हें कक्षाओं के बाद भी बच्चों पर नजर रखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि स्कूलों के आस-पास की दुकानों की नियमित निगरानी की जानी चाहिए और यदि ऐसी जगहों पर दुकानदारांे द्वारा किसी प्रकार के नशे की अवैध ब्रिकी का कोई सबूत मिले तो इसकी सूचना पुलिस को दी जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि पुलिस विभाग की नार्कोटिक विंग को मजबूत किया जाएगा और इस समस्या से निपटने के लिए धन की कमी आड़े नहीं आने दी जाएगी।
उन्होंने इस अवसर पर पुलिस एवं अन्य विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों से सुझाव भी मांगे। राजस्व मंत्री कौल सिंह ठाकुर ने कहा कि वन और राजस्व विभागों द्वारा सरकारी जमीन पर भांग और पोस्त की अवैध खेती पर नजर रखने के लिए एक संयुक्त अभियान चलाया जाएगा। उन्होंने कहा कि पुलिस और ड्रग निरीक्षकों द्वारा संयुक्त रूप से सन्देहास्पद दवाई की दुकानों, जो युवाओं को बिना डाक्टरी सलाह के और ऊंचे दामों पर युवाओं को दवाइयां बेचते हैं, पर नियमित छापेमारी की जाएगी। इस अवसर पर पुलिस एवं अन्य विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
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