शिमला। प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को वीरभद्र सिंह के 1993 से 1998 के शासनकाल में हुए चिट भर्ती घोटाले में चार सप्ताह के भीतर चालान पेश करने के आदेश दिए है। वीरभद्र सिंह की तत्कालीन सरकार के शासनकाल के दौरान विभिन्न विभागें,बोर्ड, निगमों व विश्वविदयालयों में चिटों पर नौकरियों रेवडि़यां की तरह बांट दी गई थी।
मुख्य कार्यवाहक न्यायाधीश जस्टिस मंसूर अहमद मीर और जस्टिस कुलदीप सिंह की खंडपीठ ने पूर्व आईएएस अफसर वहिमाचल अधीनस्थ सेवाएं चयन बोर्ड हमीरपुर के पूर्व अध्यक्ष सुरेंद्र मोहन कटवाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिए।
कटवाल की ओर से हाईकोर्ट में दायर अर्जी में कहा गया कि इस मामले में हाईकोर्ट के 7 नवंबर 2005 के आदेशों के बाद दर्ज एफआईआर नंबर 1/2006 के बावजूद अवैध नियुक्तियों के इस मामले में विजीलेंस की ओर से कोई जांच नहीं हो रही है, और जब से हाईकोर्ट ने इस मामले को मानिटरिंग करना छोड़ दिया तो जांच में कोई प्रगति नहीं हुई।
उधर, सरकार की ओर से इस मामले में हाईकोर्ट में अनुपालना रिपोर्ट फाइल की गई ।अनुपालना रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले की जांच दिसबंर 2013 के आखिरी सप्ताह में पूरा कर दी गई थी। सरकार ने कहा कि 60 विभागों व संस्थानों में जांच की गई व छह विभागों के खिलाफ चार्जशीट तैयार की गई है। जबकि छह विभागों में विभागीय कार्यवाही करने की सिफारिश की गई है।12 विभागों व संस्थानों में आरोपी अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ रिटायरमेंट,मौत की वजह से विभागीय कार्रवाई की सिफारिश नहीं की जा सकी है।जबकि36 विभागों व संस्थानों में क्लोजर रिपोर्ट की सिफारिश की गई है।
अदालत ने पहले की दो अनुपालना रिपोटर्स को जो बंद लिफाफे में हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के पास है को डिप्टी एडवोकेट जनरल जे के वर्मा को सौंपने के निर्देश दिए है। ताकि वो चालान पेश कर सके।
बाहर की एजेंसी से जांच कराने की मांग पर सुनवाई 18 मार्च को
इस मामले की जांच बाहर की एंजेसी कराने के मांग को लेकर भी एसएम कटवाल ने एक अर्जी हाईकोर्ट के सामने दायर की थी । हाईकोर्ट ने उनकी इस अर्जी पर कटवाल को निर्देश दिए कि वह 18 मार्च को अदालत को अर्जी की मेंटेंनेबिलिटी पर अपना पक्ष रखे। कटवाल ने अर्जी में लिखा था कि मौजूदा समय में वीरभद्र सिंह प्रदेश के मुख्यमंत्री है व जांच भी किसी न किसी तरह उन्हीं के खिलाफ है। उन्होंने मामले की जांच राज्य से बाहर की एजेंसी से कराने और सरकार मामले की जांच निष्पक्ष जांच के लिए स्वतंत्र वनिष्पक्ष अफसर नियुक्त करने के निर्देश देने का आग्रह किया था।
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