शिमला। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के 13 ठिकानों पर 26 सितंबर को हुई सीबीआई छापेमारी के बाद उनकी व उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह की गिरफ्तारी के अंदेशे के बीच आज हिमाचल हाईकोर्ट ने सीबीआई की ओर से उनकी गिर फ्तारी करने पर रोक लगा दी है। अदालत ने वीरभद्र सिंह की याचिका की सुनवाई करते हुए सीबीआई को जांच जारी रखने के आदेश दिए लेकिन साथ ही कहा कि वो अदालत को बताए बगैर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की गिर फ्तारी नहीं करेगी। मामले की अगली सुनवाई 18 नवंबर को लगी है। गिरफ्तारी पर रोक के आदेश हाईकोर्ट के जस्टिस राजीव शर्मा व जस्टिस सुरेशवर सिंह ठाकुर की खंडपीठ ने जारी किए है।
वीरभद्र सिंह की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील व कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने उनकी पैरवी की।
सीबीआई की छापेमारी के बाद वीरभद्र सिंह पर गिरफ्तारी की तलवार लटक गई थी जिसे देखते हुए उन्होंने प्रदेश हाईकोर्ट में एफआईआर को रदद करने व सीबीआई जांच पर स्टे के साथ ही किसी भी तरह की गिरफ्तारी पर रोक लगाने का आग्रह किया था। अदालत ने आज अपना आदेश सुना दिया।अदालत ने कहा है कि अगर मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी की जरूरत पड़ती ही है तो सीबीआई को पहले अदालत की इजाजत लेनी होगी।
मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी पर तो फिलहाल रोक लग गई है लेकिन सीबीआई जांच जारी रहेगी। बावजूद इसके मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की मुश्किलें कम होती नजर नहीं आ रही है।
उधर, दिल्ली हाईकोर्ट में वीबीएस रिश्वत कांड और आय से अधिक संपति के मामले में 14 अक्तूबर को सुनवाई होनी है। सीबीआई को उस दिन दिल्ली हाईकोर्ट में रिपोर्ट पेश करनी है।
उधर ,वीरभद्र सिंह के आय के मामले को लेकर आयकर विभाग सुप्रीम कोर्ट में गया हुआ है। इस तरह वीरभद्र सिंह के ये मामले सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली हाईकोर्ट,हिमाचल हाईकोर्ट और दिल्ली में सीबीआई कोर्ट में लंबित हो गए है। इस तरह ये मामला दिलचस्प हो गया है और जाहिर तौर पर अब इस मामले पर दिलचस्प राजनीति होनी वाली है।
विपक्षी पार्टी भाजपा ने उनके इस्तीफे को लेकर उन पर पहले ही दबाव बनाना शुरू कर दिया है। लेकिन आलाकमान के वीरभद्र सिंह के पक्ष में उतर जाने से स्थिति बदली है।
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