शिमला। प्रदेश सरकार ने रेत बजरी के खनन के लिए प्रदेश के तीन जिलों उना,कांगड़ा व हमीरपुर में खनन स्थ्लों को नीलाम करने का फैसला लिया है।ये एलान उद्योग मंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने आज राजधानी में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में लिया।
उन्होंने कहा कि तीन हैक्टेयर तक की माइनिंग लीज हिमाचलियों को दी जाएगी। इससे ज्यादा की लीज में भी हिमाचलियों को 10 प्रतिशत की कीमत रियायत दी जाएगी। मुकेश अग्निहोत्री ने कहा तीन जिलों में माइनिंग स्थलों को नीलाम करने के बाद बाकी जिलों में भी इसे नीलाम किया जाएगा।इसमें अभी फारेस्ट एक्ट आड़े आ रहा है। उना में अभी तक 30 ऐसे स्थल चिन्हित किए जा चुके है जिनकी नीलामी की जानी है। उन्होंने कहा कि नीलामी के बाद जिसे ये माइनिंग स्थल मिलेंगे वही पर्यावरणर की मंजूरियां लेंगे और सरकार इसके लिए उन्हें दो साल का समय देगी। इसके अलावा सरकार ने प्रदेश में कहीं भी रेत बजरी की डंपिंग पर पांबदी लगा दी है और अगर कहीं डंपिंग पाई गई तो उस क्षेत्र के माइनिंग अफसर इसके लिए जिम्मेदार होगा। इन स्थलोंको दस साल तक नीलाम किया जाएगा।
उन्होंंंंने माइनिंग को लेकर गंभीर मुददे को उजागर करते हुए कहा कि प्रदेश में 300 क्रशर है,345 माइनिंग लीज पर है। इनमें से 166 खदाने चल रही है और 188 माइनिंग पर्यावरण मंजूरियों के अभाव में बंद हो गई है।102 क्रशर स्थानीय मलबे के आधार पर चलाया जा रहा है।उन्होंने खुलासा किया कि 17 माइनिंग स्थलों को ही पर्यावरण की मंजूरियां मिली है बाकी को मंजूरियां ही नहीं मिली है। इन 17 मंजूरियों में भी 3 को केंद्र से व 14 को राज्य से मंजूरियां मिली है। इनमें से 10 माइनिंग स्थल हमीरपूर में ही है।
यही नहीं प्रदेश में पर्यावरण की मंजूरियां देने के लिए केंद् की ओर से गठित होनी वाली राज्य कमेटियों को भी गठित नहीं किया गया है। अग्निहोत्री ने कें्रद सरकार से आग्रह किया कि वो नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के समक्ष पैरवी करे और केंद्र के पास माइनिंग को लेकर लंबित फाइलों को क्लीयर करे।
उन्होंने कहा कि माइनिंग से 250 करोड़ रुपए की आय एकत्रित करने का लक्ष्य रखा है।
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