शिमला । वन मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी ने कहा कि प्रदेश में इस साल 45 लाख औषधीय पौधे लगाए जा रहे हैं। 71 बन्द पड़ी नर्सरियों को पुनः चालू करवाया गया और उनमें लगभग 13 लाख पौधे तैयार किए गए हैं।
इसके अलावा लैन्टाना को हटाने के लक्ष्य 10000 हैक्टेयर कर दिया गया जिसके लिए 16 करोड़ का प्रावधान किया गया है इससे प्रदश के लाखों पशुपालको तथा 50,000 से अधिक भेड़ पालक परिवारों को राहत मिलेगी।
ठाकुर सिंह भरमौरी रविवार को शिमला में संवादददाता सम्म्ेलन में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि 24 जुलाई को राज्यस्तरीय वन महोत्सव जि़ला सोलन की क्वारग पंचातत की डुमहीर-टिक्करी में आयोजित किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि पौधरोपण की सुरक्षा को सुदृढ़ बनाने के लिए बाढ़बंदी के लिए आर.सी.सी. के खम्बों के उपयोग का निर्णय लिया गया है। पौधरोपण के रखरखाव की अवधि 3 साल से बढ़ा कर पांच साल की गई है। कैट प्लान के तहत लगाए गए प्लान्टेशन के रखरखाव की अवधि 7 साल की गई है।
भारतीय वन सर्वेक्षण संस्थान, देहरादून द्वारा जारी 2013 की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश के हरित आवरण में पिछले दो सालों में 4 वर्ग कि.मी. की वृद्धि दर्ज की गई है जो मुख्यतः किन्नौर जि़ला के जलग्रहण क्षेत्र में सफलतापूर्वक किए गए व्यापक पौधरोपण का परिणाम है।
भरमौरी ने कहा कि जापानी शहतूत को काटने तथा बेचने पर प्रतिबन्ध समाप्त कर दिया गया है। पहले यह छूट केवल सफेदा, पापुलर, बिंयुस, ओई,कचनार, शहतूत तथा बांस पर ही लागू थी। इससे किसानों को जरूरत के समय बिक्री करके आय अर्जित करने की सुविधा होगी । उन्होंने कहा कि टीडी नियमों के तहत बर्तनदारों को नया मकान बनाने के लिए 15 सालों में एक बार 7 घन मीटर तथा पुराने मकान की मुरम्मत के लिए 5 सालों में एक बार 3 घन मीटर खड़े लकड़ी देने का निर्णय लिया गया है।
उन्होंने कहा कि मौसम में बदलाव से होने वाले नुकसान को रोकने के लिए चंबा तथा कांगड़ा जि़लों के लिए 310 करोड़ का प्रोजेक्ट जर्मन सरकार के सहयोग से लागू किया जाएगा। इसकी अवधि 8 साल की होगी। इसके तहत चीड़ की जगह बान तथा चैड़ी पत्ती के पेड़ लगाने पर जोर दिया जाएगा।
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