शिमला। हिमाचल प्रदेश के बजट सत्र में जहां इस बार विपक्षी पार्टी भाजपा ने सरकार को सदन के भीतर रहने की रणनीति बनाकर सरकार के नाको चने चबाएं वही सतापक्ष कांग्रेस व भाजपा दोनों दलों में विखराव भी झलका। 11 मार्च से 10 अप्रैल तक चले इस बजट सेशन में 22 बैठकें हुई और स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह,उदयोग मंत्री मुकेश अग्निहोत्री, पंचायती राज मंत्री अनिल शर्मा और शहरी विकास मंत्री सुधीर शर्मा का परफार्मेंस पिछले दो दो सालों में हुए विधानसभा सत्रों की तुलना में अच्छा रहा। खासकर प्रश्नकाल के दौरान इन मंत्रियों के सटीक जवाबों ने भाजपा विधायकों को खुद पर हावी नहीं होने दिया।
मंत्रियों में विदया स्टोक्स, ठाकुर सिंह भरमौरी,सुजानसिंह पठानिया ने कई बार सदन को ठहाकों से गुंजाया। मंत्री प्रकाश चौधरी और धनीराम शांडिल की परफार्मेंस भी काफी हद तक सुधरी नजर आई। सबसे बड़ी कामयाबी मुख्यमंत्री वीरभद्रसिंह की ये रही कि इस बार भाजपा के निशाने पर वो सीधे तौर पर बहुत कम बार आए। जबकि भाजपा विधायकों खासकर महेंद्र सिंह ने परिवहन मंत्री जीएस बाली को स्कूली बच्चों की यूनिफार्म खरीद मामले और कंडक्टर भर्ती मामले पर निशाने पर रखा।
हिलोपा के एक मात्र विधायक भी बाली को निशाने पर जब तब निशाने पर लेते रहे। हालांकि बाली ने तरकीबों का सहारा लेकर अपना बचाव किया। इसी तरह भाजपा के निशाने पर वन मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी भी कई बार आए।
आईपीएच मंत्री विदया स्टोक्स के एक जुमले से भाजपा इतनी आहत हुई कि वो वॉकआउट कर बाहर चले गए और विपक्ष लॉबी से नालायक मंत्रियों का बर्खास्त करो जैसे नारे भी लगे। सदन में बात यहीं नहीं रुकी जब खेल बिल पर बहस हुई तो नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल और सदन के नेता वीरभद्र सिंह की तल्खियों का पैमाने कई सीमाएं लांघ गया और मामला माता पिता और पुत्रों तक जा पहुंचा।
पूर्व सांसद चंद्र कुमार के पुत्र व कांग्रेस विधायक नीरज भारती की ओर से की गई टिप्पणियां नेता प्रतिपक्ष धूमल समेत भाजपा विधायकों को चिढ़ाती रही। इस पर स्पीकर बीबी बुटेल कई बार फंसे भी कि वो क्या बोले। लेकिन अप्रत्यक्ष तौर मुख्यमंत्री का भारती को मौन प्रश्रय मिलता हुआ नजर आया।
सबसे अलग व विनोदप्रिय सरल स्वभाव के लिए जाना जाने वाले स्पीकर बीबी बुटेल भी सत्र में एक दिन भाजपा ही नहीं कांग्रेस विधायकों पर भी तल्ख नजर आए। यहां तक कि इस दिन स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह को भी बोलना पड़ा कि स्पीकर महोदय आप हमारी ओर देखते ही नहीं,इन्ही(भाजपा) की सुनते है। कांग्रेस विधायक कुलदीप कुमार भी उनकी तल्खी का शिकार हुए।कई बार वो खुद भाजपा के निशाने पर आए। बेशक ये भाजपा विधायकों की रणनीति का हिस्सा रहा हो।
भाजपा विधायकों ने तो उनके खिलाफ नारे लगाते हुए एक बार सदन का वॉकआउट भी कर दिया। बावजूद इसके उन्होंने विपक्ष का पूरा ध्यान रखा। लेकिन जिस दिन खेल बिल पास होना था उस दिन उन्होंने विपक्ष के दांव को भांपा भी और सरकार के बिल को पास भी करवा दिया। उन्होंने सदन में कहा भी कि उन्हें लगा कि भाजपा विधायक सरकार के बिल को रोक रही है।
भाजपा खेल बिल को टालने की रणनीति में नजर आई। बिल पेश करने को लेकर सता पक्ष और विपक्ष और अफसर दीर्घा में ये धारणा साफ थी कि ये बिल भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर और धूमल को निशाने पर लेने के लिए है। इसी बिल पर चर्चा शुरू करने की कमान धूमल ने भाजपा विधायक सुरेश भारदवाज को दी। वो बोले भी व कई प्रावधानों पर सरकार को संकट में डालने की कोशिश की भी।
इसके बाद रविंद्र रवि,रणधीर शर्मा, सतपाल सती ने इस बिल पर सरकार पर हमला करने का प्रयास किया।लेकिन वो प्रावधानो पर घेरने के बजाय सरकार की मंशा व राजनीतिक नजरिए से फायदेमंद हमले करते रहे।सरकार की ओर से डिप्टी स्पीकर जगत सिंह नेगी बिल पर बोले और चर्चा में अनुराग ठाकुर तक को ले आए। बाद में उनके और भाजपा विधायकों के बीच भिड़ंत भी हुई और उन्होंने भाजपा विधायकों को सदन के बाहर देख लेने की बात कह दी।हालांकि उनके कहने का तात्पर्य लीगल एक्शन लेने से थे। लेकिन शोर शाराबे के बीच इसे बाहर चलकर देख लेने की धमकी समझ लिया गया और भाजपा विधायकों ने सरकारी गुंडे नहीं चलेंगे जैसे नारे लगाते हुए सदन से वॉकआउट कर दिया। बाद में स्पीकर ने कहा भी कि वो सरकारी गुंडे नहीं है।
विधानसभा के बजट सत्र में पहली बार भाजपा और कांग्रेस खेमे में बिखराब नजर आया। जब से मोदी सरकारमें जे पी नडडा मंत्री बने है तब ही से भाजपा में बाहर ये बिखराव नजर आ गया था।लेकिन इसकी झलक इस बार सदन में भी यदा कदा नजर आती रही है। भाजपा मुख्यालय कांड पर भाजपा विधायक महेंद्र सिंह ठाकुर ने सत्र से पहले नियम 62 के तहत चर्चा करने का प्रस्ताव दे दिया था। भाजपा के कुनबे में तब विखराव नजर आया जब धूमल खेमे के पांच विधायकों ने इस मसले पर स्थगन प्रस्ताव दे दिए। हालांकि बाद में महेंद्र सिंह ने अपना प्रस्ताव वापस लेकर स्थिति को धूमल के पक्ष में करने में मदद की। उन्होंने धूमल को बता दिया कि वो भी मायने रखते है व मूव चलना जानते है।
दूसरे पिछले दो सालों से सदन में हर बार मुख्यमंत्री निशाना रहे थे। लेकिन इस बार सुरेश भारदवाज ने भाजपा मुख्यालय कांड को आगे सरका कर धूमल खेमे को अपनेएजेंडे पर लगा दिया । इस कांड में भारदवाज के करीबी राजेश शारदा घायलहो गए थे और वोअपने वोटरों को ये बताने में कामयाब रहे कि उन्होंने धूमल समेत पूरी भाजपा को अपने एजेंडे पर लगने के लिए मजबूर कर दिया। जिस तरह से उन्होंने हर बिल पर सदन लीड ली उससे उन्होंने ये भी साबित कर दिया कि वो लीड कर सकते है।खास कर खेल बिल पर धूमल खेमे के सारे विधायक उनकी लाइन ढोते रहे।
पंचायती राज में पंचायतों के एक दूसरे के पटवार सर्कलों में जाने के मसले पर तो भाजपा विधायक नेता प्रतिपक्ष धूमल से अलग लाइन लेते नजर आए।जयराम ने हिलोपा विधायक महेश्वर सिंह की लाइन पकड़ी व नई पंचायतों के गठन का सुझाव दिया जबकि धूमल चाहते थे कि हर पटवार सर्कलों के तहत पंचायतें रहे।धूमल खेमा परिवहन मंत्री जी एस बाली पर वार करने से बचता रहा लेकिन महेंद्र सिंह ने वार करने का कोई मौका नहीं छोड़ा।इससे पहले दो सालों में जितने भी सत्र चले हर सत्र में धूमल खेमा हावी रहता था।लेकिन इस बार फिजा बदली नजर आई। इसके अलावा भी कई और मामलों में बिखराव नजर आता रहा।कंटेंट के हिसाब से धूमल के अलावा भाजपा विधायकों में सुरेश भारदवाज, रणधीर शर्मा, जयराम ठाकुर और महेंद्र सिंह ठाकुर टॉप पर रहे । जबकि रविंद्र रवि सतपाल सती व बाकियों ने राजनीतिक व रणनीतिक वार किए।
उधर सतापक्ष में पहले दिन से ही बिखराव चलता रहा है। डिनर पार्टियां चलती रही है।इस बार भी सतापक्ष में बाली पर जब भी हमला होता,वीरभद्र खेमा मौन रहता और जब वीरभद्र सिंह पर हमला होता तो केवल और केवल बंबर ठाकुर, नीरज भारती और कभी प्रकाश चौधरी पक्ष लेते नजर आए। नीरज भारती हर बार मुख्यमंत्री के पक्ष में आ जाते ।
(0)