शिमला। 36676 करोड़ रुपए के कर्जां के नीचे दबी प्रदेश सरकार अपने कारनामें सुधारने में नाकाम रही है।इन कर्जों में लोक कर्जे और सकल बाजार कर्जे शामिल है। ये खुलासा कैग की विधानसभा पटल पर रखी रिपोर्ट में किया गया है ।रिपोर्ट में सरकार के सभी विभागों,बोर्डों व निगमों में 2049 करोड़ 77 लाख रुपए की गड़बड़ी का खुलासा किया गया है। कैग की रिपोर्ट में कहा गया हैकि लीज मनी के 40 करोड़ 53 लाख रुपए गलत तरीके से इंडस्ट्रियल एरिया विकास अथारिटी को डसयवर्ट कर दिए है।14 करोड़ तीन लाख रुपए विभागीय खर्चोा के तौर पर गलत तरीके से इस्तेमाल किए गए। कैग ने विभिन्न स्कीमों को लागू करने के आंतरिक नियंत्रण तंत्र को बेहद कमजोर 8पाया है।
सरकार के कारनामों का खुलासा करते हुए कैग ने कहा है कि मार्च 2013 तक 40205 यूटिलाइजेशन सर्टिफिकिेट जारी नहीं किए गए है। इनमें से सबसे ज्यादा बुरी स्थिति शिक्षा विभाग की है जहां से 11214 प्रमाणपत्र जारी नहीं हुए है।ग्रामीण विकास विभाग के 3424सामाजिक न्याय व आधिकारिता विभाग के 1276, भाषा व कला विभाग के 385,इंडस्ट्री के 229,शहरी विकास के 106 यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट जारी नहीं किए गए है।राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल योजना को लेकर कहा है कि पूर्व की धूमल सरकार के कार्याकाल 2009 से मौजूदा वीरभ्ज्ञद्र सिंह सरकार के कार्याकाल 2014 तक केंद्र सरकार के 82 करोड़ 17 लाख और 11 करोड़ 50 लाख को या तो इस्तेूमाल नहीं किया या फिर कहीं और डायवर्ट कर दिया। जिसकी वजह से प्रदेश सरकार को केंद्र ने 87 करोड़42 लाख रुपए कम मिले । सरकार ने पानी की स्कीमों का हस्तांतरण ग्राम पंचायतों और ग्राम जल व स्वच्छता कमेटी को नहीं सोंपा जिसकी वजह से केंद्र सरकार ने 59 करोउ़ 27 लाख रुपए से प्रदेश को वंचित कर दिया।
यही नहीं प्रदेश सरकार को ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ पेयजल मुहैया कराने का जो टारगेट 2012 में पूरा करना था वो 2014 में भी पूरा नहीं हो पाया।
कैग में नगर निगम के कारनामों पर भी रोशनी डाली है। कैग में खुलासा किया गया है कि निगम वार्ड सभाओं व वार्ड कमेटी का गठन नहीं कर पाया है।
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